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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Feb 25, 2013

आतंकी विस्फोट का जिम्मेदार कौन और कौन करे कारवाई

आतंकी विस्फोट का जिम्मेदार कौन और कौन करे कारवाई ?



 विस्फोट के बाद एक बार फिर राजनीतिक दलों  में ज़बानी जंग  शुरू हो गयी हैं ,की ,यह किसकी  गलती हैं और इस का जिम्मेदार कौन हैं -किसे कारवाई करनी थी ? इन प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए हमे शुरू से देखना होगा } एन  सी टी सी  क्या राज्यों के अधिकारों में हस्तछेप  हैं -क्या हमे आतंकी घटनाओ के लिए अमेरिकी  ढंग अपनाना चाहिए  ?  देखा गया हैं की जब -जब ऐसी घटनाये होती हैं तब - तब दलो  के नेता टीवी और समाचार पत्रों में  काफी कड़े बयां देते  हैं । जो अमेरिकी ढंग  अपनाने की बात करते हैं वे भी , केंद्र की सरकार को दोषी बताते हुए ""तबर्रा "" पड़ना शुरू कर देते हैं । पर उनमें कोई भी इस काम को कैसे अंजाम दिया जाए उस बारे में चुप रहते हैं । टीवी पर हनी वाली  चर्चा में तो जीभ खुजाने के लिए बयां वीर काफी ऐसे सुझाव देते हैं , जिनको  आमली जामा  देना बहुत मुश्किल ही नहीं वरन नामुमकिन सा हैं । क्योंकि  वे देश की सामर्थ्य - उसकी -सीमाए  और कानून का बंधन  के कारन  आने  वाली दिक्क़तो  को नज़रंदाज़ कर देते हैं । आगे देखेंगे  की उनके कहे या -उवाच को क्यों नहीं किया जा सका । 

                         हमारे संविधान में शांति - व्ययस्था  का दायित्व  राज्यों को दिया गया हैं , फलस्वरूप  अपने- अपने  इलाकों में उनकी अलग पुलिस  हैं , , जिसका काम अपराधो रोकना और हुए  अपराधो की विवेचना कर के  अदालत में पेश करना  हैं । यह एक सच्चाई हैं की  देश की  ज़मिन पर राज्यों का हुकुम चलता हैं  ,उनका ही कब्जा हैं । अर्थात केंद्र  के पास अपना कहने  को कोई इलाका नहीं हैं -सिवाय  उसके कार्यालयों के  और वे भी  बिजली -सड़क -पानी के लिए उस स्थान की नगर निगम और प्रदेश सरकार  पर निर्भर हैं । 

                                   इन तथ्यों के प्रकाश में अब हमे आतंकी  घटनाओ की  जांच और ज़िम्मेदारी की बात करनी हैं ।  हैदराबाद  का बम विस्फोट  दंड संहिता के अनुसार  एक अपराध ही हैं ,और इसी लिए थाने में उसकी रिपोर्ट लिखी गयी हैं  । अब  कारवाई  की शुरुआत भी आन्ध्र पुलिस  ने कर दी  हैं , लेकिन इस घटना को आतंकी  कारवाई  होने के कारन इसके सूत्र  अनेक राज्यों तक फैले हुए हैं  । चूँकि हर राज्य की पुलिस  का काम करने का  तरीका  अलग हैं लिहाज़ा  कठिनाई  आ रही हैं ।  ऐसे में ज़रुरत हैं एक संस्था की जो  देश के सभी भागो में  एक साथ कारवाई कर सके -वह भी बिना किसी  अडंगे के । जैसे इनकम टैक्स की  कारवाई  सारे देश में निर्विघ्न  की जाती हैं ।  अब इसी चुनौती  से  निपटने  के लिए ही केंद्र  ने  आतंक विरोधी  केंद्र { N.C.T.C.} बनाने  का फैसला किया हैं । 

                                                                         इस फैसले  का तथ्य यह हैं  की ज़मीन  भले ही राज्यों  के अधीन हो  परन्तु आतंकी  हमले  भारत  की भूमि   पर होता हैं , उसकी   प्रभुसत्ता  पर होता हैं अतः कारवाई  भी केंद्र  को करनी होगी । पर यह कैसे हो - प्रश्न  यही हैं । अब इसी काम को अंजाम  देने के लिए आतंक विरोधी केंद्र की स्थापना  प्रस्तावित हैं । इस पहल के विरोध करने वाले भी  मांग करते हैं की अमेरिका की भांति यंहा पर भी सुरक्षा   बंदोबस्त होने चहिये , पर वे इस मांग केके विस्तार को नहीं समझते  । 

                 सर्व प्रथम  तो अमेरिका एक सुपर पॉवर हैं वह इंटरनेशनल  दबावों को  नकार सकता हैं , हम नहीं । भले ही हम टीवी पर  संसद में बयां देकर  वाह  वाही लूट लें परन्तु हकीक़त में क्या हम पाकिस्तान पर  हमला कर सकते हैं नहीं । क्योंकि अगर उसने एटॉमिक हथियारों का इस्तेमाल किया तो  क्या हम उसके लिए तैयार हैं ? दूसरा सवाल हैं की जितना धन वह  ख़ुफ़िया  तंत्र पर खर्च करता हैं  क्या हम कर सकते हैं ? कतई  नहीं , जब हम आधार मज़बूत नहीं कर सकते तो हमे वंही सुझाव या मांग करनी चाहिए  जो हमारी आर्थिक चादर के अनुरूप संभव हो । इस सन्दर्भ में  एक ज्वलंत  प्रश्न हैं राज्यों के अधिकारों का । 
                                                            अमेरिका में भी शांति व्यस्था स्थानीय निकायों और राज्यों का अधिकार हैं , परन्तु वंहा काउंटी में पुलिस होती हैं मगर गंभीर परिस्थितियों  में स्टेट फाॅर्स और नेशनल गार्ड  की भी मदद ली जाती हैं । ऐसे अपराध जिनके  सूत्र राज्यों की सीमा के ,.बाहर  हो उनकी छानबीन फेडरल ब्योरो  करता हैं । इसके लिए वह स्थानीय पुलिस  का मोहताज़ नहीं होता । वरन वह संदिग्ध व्यक्तियों को सीधे गिरफ्तार करता हैं ।  उनसे पूछताछ  करता हैं ,बाद में मुक़दमा भी राज्य की नहीं वरन  विशेस अदालतों में चलता हैं । वंहा यह अधिकार हैं ,और यंहा इसी अधिकार को राज्यों  की प्रभुता का अतिक्रमण  बताते हुए विरोध हो रहा हैं ।  ९/१ १  के बाद अमेरिकी केंद्रीय  एजेंसी  ने सैकड़ो लोगो नज़रबंद रखा  --वंहा किसी राज्य ने न तो आपति जताई न ही विरोध किया  । 
                अगर एक साथ आतंकी गुटों के खिलाफ कारवाई  करनी हैं तो  वह  केंद्रीय एजेंसी ही हो सकती हैं ,दूसरा कोई उपाय नहीं हैं । विरोध करने वाले स्वरों को  यह सत्य  जानना होगा ,और मंज़ूर करना होगा ।  

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