राजनीति
और उद्योग के लिए अक्तूबर का
काला सोमवार !
साल
के अक्तूबर का चौथा सोमवार
देश के लिए काला अध्याय सा बन
गया है |
इसकी
धुरी तीन शहरो मे थी – लखनऊ -
मुंबई
और वाराणसी |
उत्तर
प्रदेश की राजधानी मे सत्तारूद
दल -समाजवादी
दल मे जिस प्रकार यादवी सघर्ष
मे मुलायम सिंह -
शिव
पाल सिंह और मुख्य मंत्री
अखिलेश सिंह के मध्य आरोप -
प्रत्यारोप
का लेन-देन
हुआ उसे कोई भी सम्झौता रफ़फू
नहीं कर सकता |
सत्ता
और संगठन की इस लड़ाई मे अगर
किसी की प्रतिस्ठा और सामरथ्य
को चुनौती मिली है तो वे है
पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह
|
दूसरी
घटना मुंबई मे देश के सबसे
बड़े औद्यगिक घराने "”टाटा
"”
के
प्रधान कार्यकारी सायरस
मिस्त्री का इस्तीफा,,तथा
रतन टाटा का अन्तरिम अद्यक्ष
बनाना |
लिखे
जाने तक यह नहीं साफ हो सका
है की टाटा संस के बोर्ड ने
उन्हे हटाया -अथवा
उन्होने स्वयं त्यागपत्र
दिया |
कहा
जा रहा है की ब्रिटेन मे जागुआर
कंपनी को एक पाउंड मे बेचने
के उनके फैसले से निवेशको मे
अशंतोष था |
यह
भी कहा जा रहा है की इस घराने
की मशहूर कंपनी टीसीएस मे हुए
बदलाव से दूसरी कंपनियो
इन्फोसिस का लाभांश मे व्रधी
हुई |
जबकि
टीसी एस का लाभांश कम हुआ |
अब
कारण का खुलासा दो -चार
डीनो मे होने की संभावना है
| परंतु
टाटा ग्रुप के लिए यह बहुत बड़ा
झटका है ,
क्योंकि
यह पहली बार हुआ है की किस ने
अपनी आयु पूरी किए बिना विदाई
ली|
उम्मीद
है की शेयर मार्केट मे इसका
असर मंगलवार को दिखाई पड सकता
है |
तीसरी
घटना प्रधान मंत्री नरेंद्र
मोदी के महोबा और वाराणसी के
एक दिनी दौरे से जुड़ी है|
जैसा
की उम्मीद थी की वे अब चुनावी
मोड पर आ गए है |
आशाओ
के दिये जलाने की एक कोशिस
उन्होने फिर की है --यह
कह कर की वे उत्तर प्रदेश को
"”उत्तम
प्रदेश "”
बनाने
का वादा करते है |
हालांकि
उन्होने इसके लिए दस वर्ष का
समय मांगा !
अब
देश मे चुनाव विधान सभा का हो
या लोक सभा का ---
होता
तो वह पाँच वर्ष के लिए ही होता
है |
याद
रखने की बात है की कुछ ऐसा ही
वादा उन्होने बिहार के चुनाव
मे किया था |
मोदी
जी की तर्ज़ पर ही मुख्य मंत्री
शिवराज सिंह ने भी नौ साल मे
पाँच इन्वेस्टर समिट की है
| 23
अक्तूबर
को इंदौर मे पाँचवी समिट के
समापन के अवसर पर उद्योग पतियों
को "”उम्मीद
दिलाई "”'की
फरवरी 2019
मे
छठे निवेशक सम्मेलन की सदारत
भी वे ही करेंगे |
बस
एक ही हक़ीक़त बताना भूल गए की
2018 मे
मध्य प्रदेश के विधान सभा
चुनाव होंगे |
अब
या तो उन्हे कोई ज्योतिष ने
यह भविष्य वाणी की होगी अथवा
चुनाव जीतने का कोई गुरु मंत्र
उनके पास है |
जिसके
कारण वे उस समय की भी बात कर
गए जिस के बारे मे कुछ कहा जाना
अनिश्चित है |
परंतु
उनके आत्म विश्वास की तो कदर
करनी ही होगी |
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