सर्जिकल
स्ट्राइक – सबूत और सवाल तथा
--राष्ट्रप्रेम
बनाम देशद्रोह
भारतीय
सेना द्वारा पाक अधिकरत काश्मीर
के आतंकी ठिकानो पर 28
सितंबर
की रात 1.30
बजे
से अलसुबह 4.30
तक
आतंकी ठिकानो को "”हमला
कर बर्बाद "”
करने
केउद्देश्य से सरगिकल आपरेशन
हुआ |
डाइरेक्टर
जनरल मिलिट्री आपरेशन लेफ्टिनेंट
जेनरल रणबीर सिंह की 29सितंबर
को हुई प्रैस कोन्फ़्रेंस मे
बताया गया था की इस मुहिम मे
24
पैरा
के कमांडो पाकिस्तान की सीमा
मे दो से चार किलोमीटर अंदर
तक जा कर सात ठिकानो को बर्बाद
किया |
इस
हमले मे दो पाकिस्तानी सैनिको
और 35
आतंकियो
के मारे जाने का दावा किया गया
था |
प्रैस
कान्फ्रेंस ने
किसी को भी सवाल पुछने की इजाजत
नहीं थी |
क्योंकि
मामला देश की सुरक्षा का है
-यह
कहा गया था
परंतु
29
सितंबर
की शाम को ही सयुक्त राष्ट्र
संघ के महा सचिव |
मून
के राजनीतिक सहायक के हवाले
से कहा गया की सर्जिकल स्ट्राइक
जैसी को घटना नहीं हुई |
उसी
रात कश्मीर मे भारत पाक सीमा
पर तैनात संयुक्त राष्ट्र
के चौकसी दस्ते की ओर से भी
बयान आया की ऐसी कोई वारदात
सीमा पर नहीं हुई है ,
हा
राइफल और मोर्टार से गोलीबारी
दोनों ओर से रह -रह
कर हुई | इस
घटना क्रम के बावजूद गृह
मंत्री राजनाथ सिंह ने बंगाल
- उड़ीसा
- बिहार
और पंजाब के मुख्य मंत्रियो
को स्थिति से अवगत कराया |
उन्होने
राजनीतिक दलो के नेताओ काँग्रेस
के गुलाब नबी आज़ाद और कम्यूनिस्ट
पार्टी के सीतरम येचूरी आदि
को सरकार की तरफ से स्थिति से
अवगत कराया गया |
_शक
का कारण -------
30 सितंबर
को देश के सभी समाचार पत्रो
मे सेना के विजय अभियान की धूम
रही | सत्ता
-संगठन
से जुड़े लोगो ने तो अभूतपुरवा
प्रशान्नता ज़ाहिर की |
विपक्ष
ने भी सेना के इस करी की और
जवानो के साहस और शौरी की तारीफ
की |
परंतु
पाकिस्तान द्वारा महाराष्ट्र
के चंडू बाबूलाल चौहान ,
37 राष्ट्रीय
राइफल के सिपाही को बंदी बनाए
जाने की खबर फोटो सहित जारी
कर दी | इस
खबर को जानकार आरक्षक की नानी
की मौत हो गयी |
इस
घटना के बाद लोगो ने सरकार से
सवाल करने शुरू कर दिये |
गृह
मंत्रालय ने मंजूर किया की
सिपाही हमारा है और हम उसे
वापस देश मे लाने की कोशिस कर
रहे है |
इस
घटना के पूर्व सेना द्वारा
यह दावा किया गया था की ना तो
हमारा कोई सिपाही घायल हुआ
ना ही मारा गया -
देश
के मीडिया घरानो द्वरा मोदी
सरकार की सफलता के कसीदे मे
यह घटना एक कंकड़ साबित हुआ
देशप्रेम
और राष्ट्र की दुहाई ------------
इसके
बाद सरकार से सेना की कारवाई
का सबूत मांगने की आवाज उठने
लगी तब राष्ट्रभक्ति की “”सनद
देने वाले स्वयंभू “” नेताओ
ने बयान देने वालो को गद्दार
और अनेक उपाधियों से अलंकरत
किया |
राजनीतिक
लाभ तो नहीं
इस सारी कारवाई पर संदेह
होने का कारण विधान सभा के
भावी चुनाव ,
कहे
जा रहे है |
क्योंकि
दिल्ली मे भारतीय जनता पार्टी
की पैदली पराजय --वह
भी जब की 2014
के
हाल मे हुए चुनावो के महानायक
मओडी जी ने स्वय पाँच "”महा
रैलि की थी |
परंतु
परिणाम सभी जानते है की सतार
सदस्यो वाली विधान सभ मे मात्र
तीन सीट मिली |
फिर
बिहार के चुनावो मे संगठन -
दल
और सरकार की ताक़त के साथ गठबंधन
बना कर चुनाव लड़ा गया --परिणाम
सौ के आंकड़े के नीचे भारतीय
जनता पार्टी रही |
बंगाल
मे हुए चुनावो मे भी शिकष्त
खानी पड़ी हालांकि वनहा के
चुनावी सेनापति बहुमत का दावा
प्रैस के सामने करते रहे |
फिर
उत्तराखंड का प्रकरण हुआ
--जिसमे
केंद्र और राज्यपाल की बदौलत
रावत सरकार को बर्खास्त किया
|
जिसे
सुप्रीम कोर्ट ने बहाल करते
हुए केंद्र के वीरुध तीखी
प्रतिकृया दी |
देशप्रेम
का फतवा हक़ीक़त मे सत्या नहीं
होता |
क्योंकि
पहले भी ऐसे वाकये हुए है जब
सेना को दुश्मन के इलाके मे
जाकर हमला किया |
परंतु
वह सब "”गोपनीय
"”ही
रखा गया <
तो
इस बार क्यो विपरीत हुआ ?
दूसरा
यह की जब कारवाई सार्वजनिक
की है तब आप को सब बताना पड़ेगा
| यह
कह कर सरकार के नुमाइंदे नहीं
बच सकते की की इस से देश की जनता
का मनोबल गिरेगा |
जब
उरी मे सत्रह जवानो को पठानकोट
मे ग्यारह जवानो को दुश्मनों
के हाथो शहीद होना पड़ा तब तो
कुछ भी ऐसा नहीं ह
घटाटोप
प्रचार से सत्य को धाकने का
एक वाकया याद आता है -----बात
केदारनाथ त्रासदी के दौरान
की है जब खबर फैली की गुजरात
के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी
ने पाँच सौ गुजराती तीर्थ
यात्रियो को एयर लिफ्ट कर
पंद्रह सौ इनोवा कारो से उबके
घरो को भेज दिया गया |
अब
इस दावे को पहले दिन समाचार
पात्रो मे खूब प्रमुखता मिली
|
तब
कुछ लोगो को ध्यान इस बात पर
गया की सेना और नागरिक हेलेकोप्टर
एक दिन मे तीन सौ से ज्यादा
को ही देहारादून लाया जा सकता
है | और
जिन गुजराती परिवारों को एअर
लिफ्ट करने का दावा किया जा
रहा है उन्हे कन्हा से और कैसे
यह "””
बड़ा
काम "””
अंजाम
दिया ?? जब
इस बात की खोजबीन शुरू हुई
---तब
गुजरात सरकार की ओर से कहा गया
की हमने कोई विज्ञप्ति नहीं
जारी की थी |
इस
"”घपले
के लिए "””
एक
विज्ञापन एजन्सि को दोषी बताया
गया |
उपरोक्त
कारणो से ही सार्वजनिक छेत्र
के लोगो को संदेह होता है --और
सबूत मांगते है |
इस
से राष्ट्र के मर्म पर प्रहार
नहीं होता ---
क्योंकि
असत्य मर्म नहीं होता है |
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