कैसा
है नया इंडिया और कैसे बना
रहे हैं मेक इन इंडिया को !!
इधर
कुछ समय से ऐसी खबरे अखबारो
के पन्नो मैं आ रही हैं ,जिनको
पड़ने के बाद मन मैं यह सवाल
उठा |
सबसे
पहले तो मुजफ्फरपुर के श्री
कृष्ण मेडिकल कॉलेज मैं सौ
अधिक बच्चो की इन्सेफ़्लाइटीस
से हो रही मौते ,
एक
बारगी गोरखपुर के मेडिकल कालेज
मैं ऑक्सीज़न के अभाव मैं इसी
रोग से हुई मौते याद आ जाती
हैं |
जब
वनहा के मुख्य मंत्री आदित्यनाथ
योगी ने सफाई दी थी की ---गड़बड़ी
की जांच की जाएगी |
इस
कमी की जिम्मेदार हैड ऑफ
डिपार्टमेंट ,इतिफाक
से मेडिकल कूलेज के प्रिन्सिपल
की पत्नी थी !!
सो
होना क्या था ,
ऑक्सीज़न
के आपूर्तिकर्ता पर छ्प मारी
की गयी ,और
उसके वीरुध रिपोर्ट लिखवा दी
गयी !
उसका
कहना था की साल भर से ज्यादा
बकाए का भुगतान नहीं होने पर
उसे मजबूरन यह कदम उठान पड़ा
!
जबकि
उसने संस्थान को बता दिया था
की "”
भुगतान
"”नहीं
होने पर आपूर्ति करना संभव
नहीं होगा |
उसका
भुगतान तो पता नहीं हुआ भी या
नहीं इसकी कोई खबर नहीं आई |
मामला
मुख्यमंत्री के ज़िले का जो
था |
जिस
डाक्टर ने निजी तौर पर दूसरे
अस्पतालो से आक्सीजन के
सिलेन्डर लिए थे --उसे
निलंबित किया गया -जेल
भेज दिया गया ___
क्योंकि
वह मुसलमान था !!!
अब
बिहार मैं देखे तो मरीजो की
बदती भीड़ को देखते हुए सरकार
ने कोई विशेस इंटेजाम नहीं
किए |
ना
तो दूसरे ज़िलो से डाक्टरों
को और नाही पैरा मेडिकल स्टाफ
को बुलाया गया |
घटना
को मुख्य मंत्री नितीश कुमार
जिनहे उनके भक्त "”सुशासन
बाबू "”
कहते
हैं ,
ने
भी पटना से 80
किलोमीटर
दूर जाने मैं आठ दिन लगा दिये
!
पर
सिर्फ राउंड लेने और अधिकारियों
से बात करने के अलावा उन्होने
भी ,
कोई
विशेस कदम नहीं उठाया !
हालांकि
उनसे पहले केन्द्रीय स्वास्थ्य
मंत्री हर्षवर्धन अपने राज्य
मंत्री के साथ अस्पताल जरूर
पहुंचे |
परंतु
न कोई दवाओ का प्रबंध ना ही
डाक्टरों की टीम भेजी |
पत्रकारो
के सवाल के जवाब मैं बस इतना
ही कहा की सरकार कर रही ,
पर
क्या कर रही हैं यह नहीं बताया
गया !!
कोई
एनजीओ भी इस अवसर पर आगे नहीं
आया ,की
वह अस्पताल मैं आने वाले बीमार
बच्चो और उनके साथ आ रहे परिवार
के लोगो को कुछ मददा पाहुचता
|
अचरज
की बात तो यह हैं की बिहार मैं
हुई इतनी बड़ी घटना को वनहा के
अखबार घोंट कर पी गए !
उन्होने
सरकार से सवाल पूछना भी उचित
नहीं समझा !!
यह
हैं हमारा स्वतंत्र मीडिया
!!!
इतना
ही नहीं जिन परिवारों नए अपने
बच्चे बीमारी मैं खोये हैं ,
अब
नितीश कुमार की सरकार उन लोगो
के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ करा रही
हैं ?
गुनाह
उनका यह हैं की उन्होने सरकार
की "”
गैर
ज़िम्मेदारी के खिलाफ प्रदर्शन
किया था !!
इसे
कहते हैं की दवा तो दी नहीं
उल्टे जले पर नमक छिड़क दिया
!!
दक्षिण
के एक आईआईटी के दलित छात्र
ने अध्ययन के लिए बैंक से क़र्ज़
लिया था |चार
साल का कौर्स पूरा हो जाने के
बाद उसको नौकरी नहीं मिल पायी
|
लेकिन
बैंक ने अध्ययन पूरा होने के
बाद ,
अपनी
लेनदारी की किश्त का नोटिस
भेज दिया |
अब
बेकार इंजीनीयर क्या करे ?
क़र्ज़
चुकाने के लिए वह अपनी किडनी
बेचने के लिए तैयार हो गया ,
जिससे
क़र्ज़ को चुकाया जा सके !!
परंतु
नए इंडिया मैं ,
उस
बेचारे की किडनी भी कोई अस्पताल
लेने को तैयार नहीं हुआ
------क्योंकि
वह एक दलित की किडनी थी !!!!!
यह
कैसा देश हैं जनहा अध्ययन के
लिए क़र्ज़ की वसूली के लिए तो
बैंक "””बहुत
तत्परता से काम करता हैं "””
पर
जो जानबुझ कर अरबों -
करोड़ो
रुपये लेकर भी बैंक को भुगतान
नहीं करते -----उनका
ये वित्तीय संस्थान बड़े आदर
से स्वागत करते हैं !!
क्योंकि
वह क़र्ज़ किसी "”बड़े
"”
आदमी
के कहने पर दिया गया था !!!
बिहार
के पड़ोसी राज्य झारखंड मैं
भी
भीडतंत्र की ही चलती हैं ,
वैसे
यह आदिवासी बहुल राज्य हैं
जनहा धर्म या जाति का झगड़ा
नहीं हुआ करता था ,
गाय
के नाम पर भी मुसलमानो को
आतंकित नहीं किया जाता था |
पर
वनहा भी अब "”अन्य
कारणो '’
से
मुसलमानो को हिंशा का निशाना
बनाने की घटनाए बहुत हो रही
हैं |
पिछली
सरकार मैं राज्यमंत्री रहे
सिन्हा जी द्वरा भीड़ द्वरा
मुसलमानो को मरने के अभियुक्त
को माला पहनाए जाने की फोटो
काफी चर्चा मैं थी |
उनका
मासूम उत्तर था की वे मिलने
आ गए तो क्या करता !!~!!
इस
बार तबरेज अंसारी को भीड़ ने
इसलिए पीट -पीट
कर अधमरा कर दिया की --क्योंकि
उनको शक था की उसने साइकल चुराई
हैं |
हालांकि
चोरी की गयी साइकल की कोई बरमदगी
नहीं दिखाई गयी |
आखिर
पाँच दिन बाद वह मर गया !!
पीछे
छोड गया अपनी पत्नी शबीसता
को !
जिसके
ना तो कोई मायके मैं हैं ना ही
कोई ससुराल मैं !!!
हालांकि
पुलिस ने तबरेज की हत्या के
सिलसिले मैं 11
लोगो
को गिरफ्तार किया है
अभी
खबर आई हैं की झारखंड मैं ही
एक '’अलियार
मोची '’को
भीड़ ने इस लिए पीट पीट कर मार
डाला ---क्योंकि
गाँव के बाहुबलियो को शक था
की वह "”गुनिया
या ओझा "”
था
|
जिसने
गाव की दो महिलाओ को बीमार कर
दिया !!!
क्या
हम वाक़ई इक्कीसवी सदी मैं जी
रहे हैं ---अथवा
इतिहास के अंधकार युग मैं ?
यह
सब तब हो रहा हैं जब सुप्रीम
कोर्ट ने मोब लिंचिंग के
मामले मैं झारखंड सरकार को
इस बारे मैं एक व्यवस्था करने
की ताकीद पिछले वर्ष दी थी |
जिसमाइन
निर्देश दिया गया था की ऐसे
मामलो की जांच त्वरित गति से
हो और सुनवाई फास्ट ट्रैक अदलत
करे |
साथ
ही घटना के प्र्भवितों को
मुआवजा के प्रबंध भी किया जाये
|
पर
साल गुजर गया पर कोई भी कदम
सरकार ने ऐसी घटनाओ पर रोक
लगाने अथवा जनता को शिक्षित
करने का कोई प्रयास किया हो
!!
इसीलिए
कभी गाय चोरी या टोना टोटका
के मामले मैं गाव्न के बाहुबली
कमजोर लोगो को शिकार बनाते
हैं |
जिससे
की उनका रौब दाब बना रहे |
जमींदारी
प्रथा मैं जैसे नीची जाति के
लोगो को --बराबरी
का दर्जा नहीं दिया जाता था
,आज
भी वही आतंकवाद कायम हैं |मध्य
प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री
कहा करते थे ---की
दंगा {जिसे
मोब लिंचिंग भी कह सकते हैं
}
या
ऐसी सामूहिक हिंसा बिना अफसर
या नेता की शह के बिना नहीं हो
सकता |
झारखंड
की घटना अथवा उत्तर प्रदेश
मैं बजरंग दल या किसी धार्मिक
सेना नामधारी संगठन द्वारा
की जाने वाली वारदात भी इसी
श्रेणी मैं आती हैं |
बुलंदशहर
मैं बजरंग दल की भीड़ द्वरा
एटा के ठाकुर पुलिस इंस्पेक्टर
की जिस निरममा तरीके से हत्या
की गयी थी -----
उसमैं
भी राजनीतिक दबाव मैं पुलिस
ईमानदारी से कारवाई नहीं कर
पायी |
अभी
गए दिन फिर एक ठाकुर लड़के ने
दलित लड़की को छेड़ा ,
और
विरोध किए जाने पर लड़की के दो
परिवार जानो को कार से रौंद
कर मार डाला |
मजे
की बात है की वनहा की पुलिस
घटना की रिपोर्ट भी नहीं लिख
रही थी !
जब
लड़की के परिवारजनों ने सड़क
पर आवागमन रोक दिया ,
तब
रिपोर्ट लिखी गयी |
पर
वह भी सड़क दुर्घटना की !!!
जबकि
मरने वालो के परिवार वालो ने
लिखी तहरीर मैं ठाकुर के लड़के
द्वारा छेदखानी किए जाने का
आरोप लगाया गया है |
पुलिस
घटना को सड़क दुर्घटना बता कर
मामले को ज़मानती अपराध बनाने
पर तुली हैं |
जबकि
यौन उत्पीड़न के मामले मैं
कानून बहुत सख्त हैं |
अब
अंत मैं एक किस्सा नागरिक
सम्मान से “”\पीड़ित
‘’’’ उड़ीसा के माउंटेन मन
उर्फ दैतारी का |
उन्होने
जन सुविधा के लिए गोनासिका
की पहाड़ियो को अकेले दमपर
खोद कर 3
किलोमीटर
की नहर बनाई थी |
जिससे
की लोगो को पानी की कमी से
परेशान नहीं होना पड़े |
सरकार
ने उनके काम को देखते हुए उन्हे
“”पद्म श्री “” सम्मान प्रदान
किया |
अब
यह सम्मान उनकी गले की फांस
बन गया हैं |
पहले
वे मजदूरी कर के अपना और परिवार
का पेट भरते थे |
परंतु
सम्मान मिलने के बाद लोगो नए
उन्हे काम पर रखना बहड़ कर दिया
हैं !!!
क्योंकि
सम्मान पाये व्यक्ति को मजदूरी
पर कोई रखना नहीं चाहता |
सत्तर
साल की उम्र मैं वे चींटी के
अंडे खा कर जी रहे हैं !!!
अब
वे अपने सम्मान को राष्ट्रपति
रामनाथ कोविद को लौटना चाहते
हैं |
कान्हा
तो भरे पेट के लोग इस सम्मान
को पाने के लिए सिफ़ारिश और
पैसा ख़रच भी करते हैं ,
और
कान्हा वे इसको लौटने की सोच
रहे हैं |
वह
भी किसी के समर्थन या विरोध
मैं नहीं बस मजबूरी मैं !!!
इस
संदर्भ मई एक बुजुर्ग की बात
याद आ रही है ,
अंग्रेज़ो
ने उन्हे “”रॉय बहादुर “” की
पदवी प्रदान की थी |
लोगो
ने यह सम्मान मिलने के बाद
उनसे दावत मांगी |
तब
उन्होने कहा की भाई किस खुशी
मैं दावत दूँ ?
तब
लोगो ने कहा की इतना बड़ा सरकारी
सम्मान मिला हैं ,
इसलिए
,
उनका
जवाब था की भाई कोई वेतन या
पदोन्नति तो हुई नहीं हैं |
जो
कोई आम्दानी बदती |
उल्टे
पोस्ट कार्ड का खर्चा बड़ गया
हैं |
लोगो
के बधाई के जवाब देने के लिए
|
कुछ
कुछ वैसा ही दैतारी के साथ हुआ
हैं |
पर
आखिर मैं वही सवाल यह कैसा नया
इंडिया और कैसा हैं मेक इन
इंडिया !!
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