क्या व्यक्ति की आज़ादी समाज और देश से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं ?
सी आई ए के कर्मचारी स्नौडेन को लेकर आज कल न केवल मानव अधिकारो की रक्षा की संस्थाए चिंतित हैं ,वरन ''महाशक्ति''' कहे जाने वाला अमेरिका भी परेशान हैं | वह पगलाया हुआ दुनिया के सभी देशो को धम्की दे रहा हैं की ''कोई उसे अपने यंहा राजनीतिक शरण न दे | लेकिन अमरीका के ही पड़ोसी देश वेनेजुयाला ने स्नोडेन को राजनीतिक शरण देकर इस सुपर पावर को ठेंगा दिखा दिया हैं |
इस घटना से यह तो साफ हो गया हैं की अमरीका की धम्की के बावजूद भी कोई राष्ट्र अपने संप्रभुता का इस्तेमाल खुलमखुल्ला कर के भी दुनिया की बिरदारी मे सर ऊंचा रख सकता हैं | यह बात हमारे देश के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं , क्योंकि हमारे चारो तरफ अगर शत्रुता का वातावरण नहीं हैं तो कम से कम अविसवास और धम्की का तो है ही | बंगला देश के जन्म से लेकर उसे अपने पैर पर खड़े होने मे भारत ने मदद की परंतु वह भी कट्टर वादियो के दबाव मे अक्सर बेरुखी दिखाता हैं | उधर नेपाल जो अकेला हिन्दू राष्ट्र था वह भी आज शत्रुता का रवैया अपनाए हुए हैं | उसकी प्रगति के लिए नदी और बिजली की अनेक परियोजनाओ के लिए हमारे देश ने खुले हाथ से मदद की , पर वही आज चीन के प्रभाव मे आकार दुश्मनी करे बैठा हैं | वक़्त बेवक्त बयानबाजी और अन्तराष्ट्रिय बिरादरी मे चीन के साथ खड़ा हो कर परेशानी पैदा करता हैं | चीन और पाकिस्तान की बात तो आईने की तरह साफ हैं इन दोनों से ही हमारा युद्ध हो चुका हैं | पाकिस्तान अगर सीमा पर आए दिन गोली बारी कर के अशांति पैदा करता हैं तब चीन हमारी सीमा पर आए दिन घुस कर हमारी संप्रभुता को चुनौती देता रहता हैं | ऐसे मे ज़रूरी हैं की हमारी सरकार भी कुछ ऐसा कर के दिखाये की लोगो का विसवास अपने देश और उसकी सरकार पर कायम रहे |
सी आई ए के कर्मचारी स्नौडेन को लेकर आज कल न केवल मानव अधिकारो की रक्षा की संस्थाए चिंतित हैं ,वरन ''महाशक्ति''' कहे जाने वाला अमेरिका भी परेशान हैं | वह पगलाया हुआ दुनिया के सभी देशो को धम्की दे रहा हैं की ''कोई उसे अपने यंहा राजनीतिक शरण न दे | लेकिन अमरीका के ही पड़ोसी देश वेनेजुयाला ने स्नोडेन को राजनीतिक शरण देकर इस सुपर पावर को ठेंगा दिखा दिया हैं |
इस घटना से यह तो साफ हो गया हैं की अमरीका की धम्की के बावजूद भी कोई राष्ट्र अपने संप्रभुता का इस्तेमाल खुलमखुल्ला कर के भी दुनिया की बिरदारी मे सर ऊंचा रख सकता हैं | यह बात हमारे देश के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं , क्योंकि हमारे चारो तरफ अगर शत्रुता का वातावरण नहीं हैं तो कम से कम अविसवास और धम्की का तो है ही | बंगला देश के जन्म से लेकर उसे अपने पैर पर खड़े होने मे भारत ने मदद की परंतु वह भी कट्टर वादियो के दबाव मे अक्सर बेरुखी दिखाता हैं | उधर नेपाल जो अकेला हिन्दू राष्ट्र था वह भी आज शत्रुता का रवैया अपनाए हुए हैं | उसकी प्रगति के लिए नदी और बिजली की अनेक परियोजनाओ के लिए हमारे देश ने खुले हाथ से मदद की , पर वही आज चीन के प्रभाव मे आकार दुश्मनी करे बैठा हैं | वक़्त बेवक्त बयानबाजी और अन्तराष्ट्रिय बिरादरी मे चीन के साथ खड़ा हो कर परेशानी पैदा करता हैं | चीन और पाकिस्तान की बात तो आईने की तरह साफ हैं इन दोनों से ही हमारा युद्ध हो चुका हैं | पाकिस्तान अगर सीमा पर आए दिन गोली बारी कर के अशांति पैदा करता हैं तब चीन हमारी सीमा पर आए दिन घुस कर हमारी संप्रभुता को चुनौती देता रहता हैं | ऐसे मे ज़रूरी हैं की हमारी सरकार भी कुछ ऐसा कर के दिखाये की लोगो का विसवास अपने देश और उसकी सरकार पर कायम रहे |
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