नवमी हंगामे पर केंद्र का ममता को घेरने की नापाक कोशिस
!! अबकी बार पुलिस मुखिया की शिकायत
केंद्रीय गृह
मंत्री अमित शाह का अमला गैर बीजेपी राज्यो
की घटनाओ पर “” विशेस “ रूप से क्रियाशील हो जाता है | यह हुगली जिले के रिशरा में नवमी जुलूस को लेकर हुई पथरबाजी को लेकर हुई
घटना , पर बंगाल के बीजेपी
आद्यक्ष सुकान्त मजूमदार द्वरा प्रदेश के पुलिस के मुखिया मनोज मालवीय के वीरुध की गयी शिकायत से मिलती हैं
| बीजेपी नेता ने इस बार मुख्य मंत्री ममता बनर्जी की स्थान पर
पुलिस महानिरीक्षक को निशाना बनाया है | गृह मंत्री को भेजी शिकायत में कहा गया है की मालविया के रहते “” राम भक्त
और हिन्दू तथा बीजेपी कार्यकर्ताओ के वीरुध कारवाई को रोका नहीं जा सकता !! यह शायद पहली बार
हुआ है की बीजेपी के किसी प्रदेशाद्यक्ष ने नौकरशाही को निशाना बनाया है ! कारण साफ हैं की
बंगाल की अफसरशाही को केंद्र की सत्ता से भयभीत कराना हैं | पहले भी मोदी सरकार
के गृह मंत्री राज्य के मुख्य सचिव के वीरुध कारवाई कर चुके है | पहले मुख्य सचिव का दिल्ली तबादला किया गया , जब उन्होने
अवकाश ले लिया तब उन्हे निलंबित किया गया | अबकी बार निशाने पर पुलिस के मुखिया
हैं | क्या इस बार भी केंद्र अखिल भारतीय सेवा के नियमो का उसी
प्रकार उपयोग करेगी जैसा उसने पहले मुख्य सचिव
के मामले में किया था ?
इस बार
सुकान्त मजूमदार ने बीजेपी कार्यकर्ताओ के लोकतान्त्रिक अधिकारो के हनन का मुद्दा उठाया
है | जैसे दूसरे
समुदाय के लोगो के लोकतान्त्रिक अधिकार संविधान प्रदत्त नहीं है !! केंद्र की मोदी सरकार , केरल में भी इसी भांति हरकत कर चुकी हैं , जब वनहा
एक आरएसएस के कार्यकर्ता की रंजिश के चलते हत्या हुई थी तब भी केंद्रीय गृह मंत्रालय
ने राज्यपाल को कारवाई करने की सलाह दी थी | इस बार भी राज्यपाल ने रिशरा का दौरा करके दोषियो के खिलाफ कड़ी कारवाई करने का बयान दिया हैं
| जब उप राष्ट्रपति बंगाल के राज्यपाल ते तब वे भी राज्य सरकार
की आलोचना किया करते थे और हस्तछेप करने की कोशिस करते थे |
वैसे राज्यपालों की यह “”चेतना “” बीजेपी शासित राज्यो में नहीं जगती है ! गनीमत
है की बिहार के राज्यपाल अथवा वनहा की बीजेपी इकाई ने अभी तक राज्य के राजनीतिक नेत्रत्व
को ही निशाने पर रखा हैं | सत्तर साल के देश के इतिहास में
राजनीतिक दल अपना विरोध राजनीतिक स्तर पर ही करते रहे हैं , परंतु मोदी काल में सारी परंपराए दलीय स्वार्थ की गुलाम हो गयी हैं |
जनहा राज्य की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने रिशरा
में नवमी को हुए हिंसक वरदातों के लिए “”बाहरी तत्वो “” को जिम्मेदार बताया है , वनही बीजेपी इलाके के अलपसंख्यकों
को उत्पात के लिए दोषी बता रही है | जबकि चैनलो पर दिखाये गए रील में नवमी के जुलूस में भगवा धारी युवक के हाथ
में पिस्तौल सा साफ दिखयी दे रही हैं !
इस विवाद
में ओआईसी के बयान , को लेकर भी विदेश मंत्रालय मैदान में उतार आया है ,| ओआईसी ने हुगली में हुई हिनशक वरदातों में अल्पसंख्यको की जान – माल को लेकर
सरकार के “”सांप्रदायिक सोच “” से कारवाई का आरोप लगाया था | जिस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिदम बागची ने कहा की यह बयान ओआईसी के
भारत विरोधी एजेंडे को ही साबुत करता हैं |
बीजेपी के प्रदेश आधायक्ष मजूमदार ने बंगाल पुलिस पर ही आरोप लगा दिया है की “”वह हिन्दुओ और उनकी
संपती की सुरक्षा नहीं कर रही , वरन परेशान कर रही है | यानि पुलिस को बीजेपी के उप्द्र्वि तत्वो के खिलाफ कारवाई नहीं करनी चाहिए
| शायद यही उनके हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा का फलित हैं |
बॉक्स
जितनी शिद्दत
अमित शाह जी का मंत्रालय बंगाल की घटनाओ को
लेकर चिंतित है और उसके राज्यपाल भी फौरन बयानबाजी
करते है ---- क्या इंदौर में रामनवमी को एक गैर कानूनी मंदिर की बावड़ी धंस जाने से
36 लोगो की मौत पर कोई कारवाई की बात अभी तक
अमित शाह जी के मंत्रालय ने क्यू नहीं की ? क्या इसलिए
की यानहा उनकी पार्टी की सरकार हैं ! इसलिए यानहा की सरकार और अमले के सौ खून माफ !
अभी
तक की जांच से यह सा हो चुका है की मंदिर “’अतिक्रमण “” कर के बनाया गया था | हालांकि मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान की पहल पर मंदिर पर बुल्ल्दोजर चला दिया गया है | एवं सत्ताधारी दल का पालित – पोषित संगठन बजरंग दल ने राज्य सरकार की मंदिर को धराशायी करने की कारवाई के खिला प्रदर्शन
किया था ---- परंतु उन पर न तो कोई गिरफ्तारी हुई और नाही कोई कारवाई हुई | इंदौर नगर निगम , जिसकी ज़िम्मेदारी थी की वह “”अवैध”” कब्जो के खिलाफ कारवाई करता --- पर ऐसा
कुछ नहीं हुआ | हाँ दुर्घटना
में मारे गए लोगो को राज्य सरकार और प्रधान मंत्री कोश से आर्थिक सह्यता जरूर देने की घोसना हुई हैं | अब देखना यह होगा की यह धन राशि उनको कब मिलती है |
क्यूंकी ऐसा कई मामलो में देखने को मिला है –घोसनाओ के बावजूद भी प्रभावित लोग सहता राशि के महीनो छककर काटते रहते हैं |
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