राजस्थान प्रदेश सरकार का तुगलकी फरमान वाकई आश्चर्य चकित करनेवाला है |
वसुंधरा राजे सिंधिया की सरकार बिलकुल """महारानी """ वाली स्टाइल मे चलायी जा रही है | उन्होने पहले
तो 17000 स्कूल को बंद कर दिया ----क्योंकि इस फैसले से उन्हे """""राजकोष""" की बचत करनी थी |
इसके पहले उन्होने केंद्र सरकार से सहयाता प्राप्त ""मनरेगा"" योजना को बंद करने की सिफ़ारिश की
क्योंकि प्रदेश की मिलो मे '''सस्ते मजदूर """"नहीं मिलते थे | क्योंकि लीग अपने गाव मे रह कर मजदूरी
करके उससे मिलने वाली कमाई से ''संतुष्ट''' थे | फिर ग्रामीण छेत्रों मे शिक्षा के प्रसार से राजस्थानी सामंती '''' संस्क्रती'''' के अनाचार का खुलासा मीडिया मे हो रहा था || इसलिए """प्रजा""" का """अनपद """"बना रहना एक ज़रूरी शर्त है | इस लिए स्कूल बंद किए गए | लेकिन चकित रह जाना पड़ता है जब वही सरकार
जिसने 17000 स्कूल बंद किए ---वही शासन पंचायत के चुनावो के लिए उम्मीदवार का ''' दसवी''' कछा पास होना ज़रूरी कर दिया | !!!! है न अचंभे की बात
यह फरमान तब और गैर जायज हो जाता है -जब यह तथ्य पता चले की राज्य की विधान सभा मे सत्ता धारी भारतीय जनता पार्टी के 23 विधायक भी दसवी पास नहीं है ---मतलब यह की इस
शर्त को वे लोग ""तय "" कर रहे है जो खुद उस ""परीक्षा ''' को पास नहीं कर सके !! है न टाजूब की बात \ इतना ही नहीं बीजेपी के दो संसद भी दसवी पास नहीं है ,,परंतु वे नरेंद्र मोदी जी की सरकार की नीव है | इस फरमान से लगता है की आदिवासी छेत्रों मे जो लोफ़ '''लोकप्रिय'' है वे दसवी पास भले ही न हो परंतु अपने
लोगो -और इललके मे पकड़ अच्छी रखते है | इस हथियार से ऐसे लोग चुनाव से बाहर हो जाएँगे \ कोई
आदिवासी ठिकानेदार का छोरा जो कॉलेज फ़ेल भले होगा लेकिन चुनाव लड़ेगा ---तो लोग पुराने संबंधो
का ख्याल करके उसे जीता देंगे | एक बार चुनाव '''जीत'''भर जाये -फिर तो वही होगा --जो पूरे देश मे हो रहा है |
अर्थात पाँच साल तक तो कोई रोक-टॉक नहीं होगी | यह सब इसलिए हो रहा है की राजस्थान के लोग आज भी ''महारानी''' की नज़र मे प्रजा है ------नागरिक नहीं | वे बहुमत का नहीं ---अपनी मन मर्ज़ी का शासन चाहती है | लेकिन यह घटना वनहा पर लोकतन्त्र के नाम हो रहे नाटक का सबूत है |
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