संत और शासन की रस्साकशी
विगत समय मे एक """संत आशा राम "" की गिरफ्तारी मे इंदौर की पुलिस और प्रदेश शासन को बहुत ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी थी | तीन दिन की बीमारी और महिला समर्थको के कारण पुलिस बल प्रयोग करने से बचता रहा | || परंतु तथाकथित संत के ""प्रभावशाली "" समर्थको ने भी उन्हे पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने की सलाह दी | तब जाकर उन्हे इंदौर से राजस्थान ले जया गया ,और अदालत मे पेश किया जा सका | कुच्छ ऐसा ही हरियाणा के हिसार जिले और बरवाला के आश्रीमो के चारो ओर बच्चो और औरतों का हुजूम बैठा कर एक दीवाल बना दी है || जिस के कारण पुलिस और प्रशासन दोनों ही असमंजस मे है || उच्च न्यायालया के आदेश के अनुसार तथा कथित संत रामपाल को हत्या के मामले मे हाजिर होना है ||
कर्नाटक मे भी ऐसे ही एक महिला प्रेमी भगवा वस्त्र धारी स्वामी को गिरफ्तारी के लिए भी प्रशासन को थोड़ी तकलीफ हुई थी | तब भी उनके समर्थको ने हल्ला मचाया था | वैसे भी जब कभी किसी भगवा वस्त्र धारी कानून के पंजे मे फसता है ----------तब -तब ऐसे झझटों से सरकारो को दो -चार होना पड़ता है ||| कांचपीठ के जयेन्द्र सरस्वती को भी हत्या के आरोप का सामना करना पड़ा था | वॉरेंट निकालने के साथ ही जयेन्द्र सरस्वती को कर्नाटका की सीमा पार करना पड़ा था |
धार्मिक गुरु या नेताओ की गिरफ्तारी का सबसे भयानक ''कांड'' तो स्वर्ण मंदिर मे हुआ आपरेसन ब्लू स्टार था || संत भिंडेरवाले को और उनके समर्थको केव वीरुध पुलिस अफसर और लोगो की हत्या करने के दर्जनो मामले थे | परंतु सिख समुदाय की धार्मिक भावनाए भड़क चुकी थी || पंजाब सरकार भिंडरनवाले की गिरफ्तारी के लिए केंद्र से मदद की लगातार मांग कर रहा था || पंजाब पुलिस से प्रभावी कारवाई नहीं हो रही थी || मुख्य मंत्री दरबरा सिंह असमर्थता जाता चुके थे | इन परिस्थितियो मे ही ''कानून का पालन करने के लिए ही सेना की मदद लेने का फैसला किया जिसका परिणाम ही था की स्वर्ण मंदिर मे सेना ने प्रवेश किया | जिसमे अनेक लोगो की मौत हुई || एवं जिसका परिणाम बहुत दुखद हुआ और प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या हुई और सिख विरोधी दंगे हुए और भयानक वातवर्ण बना जो आज भी खतम होने का नाम नहीं ले रहा , यह है सेंटो को अदालत मे पेश करने का इतिहास --मुख़तसर मे
विगत समय मे एक """संत आशा राम "" की गिरफ्तारी मे इंदौर की पुलिस और प्रदेश शासन को बहुत ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी थी | तीन दिन की बीमारी और महिला समर्थको के कारण पुलिस बल प्रयोग करने से बचता रहा | || परंतु तथाकथित संत के ""प्रभावशाली "" समर्थको ने भी उन्हे पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने की सलाह दी | तब जाकर उन्हे इंदौर से राजस्थान ले जया गया ,और अदालत मे पेश किया जा सका | कुच्छ ऐसा ही हरियाणा के हिसार जिले और बरवाला के आश्रीमो के चारो ओर बच्चो और औरतों का हुजूम बैठा कर एक दीवाल बना दी है || जिस के कारण पुलिस और प्रशासन दोनों ही असमंजस मे है || उच्च न्यायालया के आदेश के अनुसार तथा कथित संत रामपाल को हत्या के मामले मे हाजिर होना है ||
कर्नाटक मे भी ऐसे ही एक महिला प्रेमी भगवा वस्त्र धारी स्वामी को गिरफ्तारी के लिए भी प्रशासन को थोड़ी तकलीफ हुई थी | तब भी उनके समर्थको ने हल्ला मचाया था | वैसे भी जब कभी किसी भगवा वस्त्र धारी कानून के पंजे मे फसता है ----------तब -तब ऐसे झझटों से सरकारो को दो -चार होना पड़ता है ||| कांचपीठ के जयेन्द्र सरस्वती को भी हत्या के आरोप का सामना करना पड़ा था | वॉरेंट निकालने के साथ ही जयेन्द्र सरस्वती को कर्नाटका की सीमा पार करना पड़ा था |
धार्मिक गुरु या नेताओ की गिरफ्तारी का सबसे भयानक ''कांड'' तो स्वर्ण मंदिर मे हुआ आपरेसन ब्लू स्टार था || संत भिंडेरवाले को और उनके समर्थको केव वीरुध पुलिस अफसर और लोगो की हत्या करने के दर्जनो मामले थे | परंतु सिख समुदाय की धार्मिक भावनाए भड़क चुकी थी || पंजाब सरकार भिंडरनवाले की गिरफ्तारी के लिए केंद्र से मदद की लगातार मांग कर रहा था || पंजाब पुलिस से प्रभावी कारवाई नहीं हो रही थी || मुख्य मंत्री दरबरा सिंह असमर्थता जाता चुके थे | इन परिस्थितियो मे ही ''कानून का पालन करने के लिए ही सेना की मदद लेने का फैसला किया जिसका परिणाम ही था की स्वर्ण मंदिर मे सेना ने प्रवेश किया | जिसमे अनेक लोगो की मौत हुई || एवं जिसका परिणाम बहुत दुखद हुआ और प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या हुई और सिख विरोधी दंगे हुए और भयानक वातवर्ण बना जो आज भी खतम होने का नाम नहीं ले रहा , यह है सेंटो को अदालत मे पेश करने का इतिहास --मुख़तसर मे
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