सरकार
को जनकल्याण की नहीं ज़रूरत
है संकटमोचनों की
सरदार
सरोवर बांध से विस्थापित होने
वाले नौ हज़ार से अधिक परिवारों
के "पुनर्वास
"”से
अधिक प्रदेश सरकार के लिए
महत्वपूर्ण है --उंसके
संकटमोचन --यानि
सरकारी वकील और उसकी पैरवी
करने वाले एडवोकेट !
शिवराज
मंत्रिमंडल ने एक झटके मे
महधिवक्ता और उनके अधिनस्थों
के वेतन -भत्ते
एक् झटके मे बढा कर ''हजारपतियों
को -लखपति
बना दिया है "”
| मंत्रिमंडल
के निर्णय के फलस्वरूप महधिवक्ता
का वेतन 80500/-
प्रतिमाह
से बढाकर 1
लाख
80
हज़ार
कर दिया गया है !
इसी
प्रकार अतिरिक्त महधिवक्ता
का वेतन 63,250/-
से
बढकर अब 1
लाख
75
हज़ार
हो गयी है !उप
महधिवक्ता का वेतब जो अब तक
57,500/-
प्रति
माह था वह अब 1
लाख
60
हज़ार
हो गया है !
इसी
प्रकार शासकीय अधिवक्ता जो
अभी तक 40,250/-
प्रति
माह पाते थे उन्हे अब 1
लाख
25
हज़ार
मिला करेगा |
उप
शासकीय अधिवक्ताओ को भी अगले
माह से 34,500/-
प्रति
माह के स्थान पर 1
लाख
रुपये प्रति माह मिला करेगा
|
शायद
विधि विभाग के प्रशासन के
इतिहास मे कभी भी 100प्रतिशत
की बढोतरी कभी भी नहीं हुई |
इस
प्रकार शिवराज सरकार ने अपने
"”संकटमोचनों
"””
को
भरपूर रूप से उपक्रत किया है
|
सरकार
ज्के गलियारो मे भी यह बहस चल
रही है की अब मंत्रियो और
विभिन्न आरोपो के मुकदमो की
"”पैरवी"”
मे
"”
मुक्ति
"
के
लिए प्रयास करेंगे |
पिछले
तीन -
चार
वर्षो मे उच्च न्यायालय मे
सचिव और मंत्रियो के लिए कई
बार फटकार लग चुकी है |
व्यापम
का मामला हो अथवा अदालती फैसलो
के लागू करने मे अफसरशाही की
"”नाफरमानी
"
ही
न्यायालय के कोप का कारण रहा
है |
अदालतों
ने शासन द्वारा न्यायिक फैसलो
को ''ठंडे
बस्ते ''
मे
डाले जाने की ''आदत
''
को
बहुत समय से "”एहसास
"”
किया
है |
इसीलिए
अनेक बार सचिवो और -विभाग
प्रमुख भी अदालतों ,मे
तलब हो चुके है |
जिसको
लेकर आईएएस अफसरो और नेताओ
ने सरकार से अपनी खिन्नता
व्यक्त की थी |
ऐसे
मामले संबन्धित की प्रतिष्ठा
पर तो सवालिया निशान लगता ही
है वनही जग हँसाई भी होती है
|
लोग
सवाल पूछते है |
हालांकि
अब अफसर ऐसे "अदालती
तानो और झिडकियों ''के
आदि हो चुके है |
उनके
अनुसार माफी मांग कर आगे से
ऐसी गलती नहीं होगी ---कहने
से मुक्ति मिल जाती है |
परंतु
इधर कुछ अदालतों ने प्रशासनिक
अधिकारियों से अपने फैसले के
अनुपालन की जानकारी मागणी
शुरू कर दी है |
जो
इनकी परेशानी का कारण बन गया
है |
इनहि
सब "”कष्टो
"”
से
मुक्ति पाने के लिए "”अदालतों
के दोस्तो "”
को
प्राषण्ण कर ने की कोशिस की
है |
हालांकि
इस वेतनमानों से आईएएस अधिकारियों
''मे
दिल जलने की बदबु '''आएगी
"
क्योंकि
अफसरशाही मे स्वागत -सत्कार
और हैसियत "”वेतन
-भत्तो
'''
से
तय होती है |
इस
लिहाज से अब महाधिवक्ता प्रदेश
के मुख्य सचिव के बराबर हो
जाएंगे |
देखना
है की सरकार की यह कोशिस उसके
संकटों मे किस हद तक "”
हनुमान
''
की
भूमिका निभा सकती है |
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