गौरी
को सुरक्षा क्यो नहीं दी गयी
-रविशंकर
केन्द्रीय मंत्री
|||||| यह कैसे संभव है --जब
तक निगरानी मे ना रखा जाये ??
माननीय
विधि मंत्री भारत सरकार
रविशंकर जी का यह बयान कुछ
अटपटा लगा |
सरकार
मे रहने का अनुभव है उन्हे
संजीदा व्यक्ति है ---उनसे
ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी
| सिर्फ
बोलने के लिए कुछ भी बोल देंगे
| व्यक्तियों
की सुरक्षा के मौज़ुदा नियमो
के तहत राष्ट्रपति और राज्यपालों
को ''परिसहाय
'' मिलते
है जिनका चयन सेना और पुलिस
के अधिकारियों से किया जाता
है | इन्हे
आम लोग बाडीगार्ड कहते है |
NSG Act के
अनुसार देश के प्रधान मंत्री
को सर्वोच्च सुरक्षा श्रेणी
--अर्थात
तीन घेरे का चक्र सुलभ कराया
जाता है | वे
जनहा भी जाते है उस जगह को
''पूरी
तरह से '''निरापद''
किया
जाता है | शेस
मंत्रियो को ब्लू बूक के अनुसार
सुरक्षा सुविधा दी जाती है
|सांसद
और विधायको को भी निशुल्क
सुरक्षा के तहत शैडो दिये
जाते है |
इस
श्रेणी के लोगो को सिर्फ सूचित
किया जाता है की उन्हे यह
सुरक्षा चक्र उपलब्ध है
रविशंकर
जी का यह कथन की प्रदेश सरकार
ने गौरी को क्यो नहीं सुरक्षा
सुलभ कराई ??
ब
माननीय मंत्री जी बता दे की
"”बिंन
मांगे किसी को सुरक्षा सुलभ
कराई जा सकति है ??
मेरे
अनुमान से सुरक्षा तो नहीं
लेकिन पुलिस को "””
उसका
पीछा करने को कहा जा सकता है
| जैसा
की ''संदिग्ध
लोगो के साथ किया जाता है "”
सबूत
एकत्र करने के लिए उनके क्रिया
-कलापों
पर नज़र रक्खी जाती है |
अब
गौरी लंकेश शासन [[कर्नाटक
सरकार की नजरों मे तो ये ऐसी
नहीं थी की उनकी गतिविधियो
पर 24 घंटे
नज़र रखी जाती |
अब
सरकार अपनी ओर से किसी को
निगरानी तो करा सकती है |
पर
शैडो को लेकर चलने पर मजबूर
नहीं कर सकती |
तब
केन्द्रीय विधि मंत्री का
बयान सरकार की ओर से नहीं वरन
पार्टी संगठन की ओर से दिया
गया बयान अधिक लगता है |
अन्य
लोगो को शान के लिए भी "”
शैडो
'' या
परछाई के रूप मे पुलिस जन को
सुरक्षा चाहिए |
सांसद
और विधायक के अलावा भी बहुत
से लोग राज्य से सुरक्षा की
'''मांग
'' करते
है | ज़िलो
मे नेता चाहे वे सहकारिता के
छेत्र के हो अथवा जिलपरिषद
या नगर निकायो के हो वे भी ठसक
के लिए पुलिस वाले को साथ रखना
चाहते है |
उन्हे
सरकार उपलब्ध भी करती है |
इधर
सरकार ने सुरक्षा के नाम पर
पुलिस के लोगो की सेवाए देने
के लिए कुछ भुगतान किए जाने
की शर्त बना दी है |
वारिस्थ
अधिकारियों का कहना है की
''बेवजह
लोगो मे अपने को महत्वपूर्ण
सिद्ध करने के लिए ''परछाई
"” लेकर
चलते है |
ऐसे
लोग राजनीतिक पहुँच के कारण
अफसरो के लिए सरदर्द बन जाते
है | इस
आदत को नियंत्रित करने के लिए
ही भुगतान पर सुरक्षा का नियम
ईज़ाद किया है |
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