जीएसटी
ना तो गुड है जनता के लिए और
ना सेफ है सरकार के लिए – इसीलिए
महालेखाकर को शुरू करनी पद
रही जांच पूरी प्रक्रिया की
और इसके तंत्र की भी !
शायद
पहली बार हो रहा है की किसी
कराधान के लागू होने के तीन
माह मे ही केन्द्रीय आडिटर
को जांच करनी पद रही है !
सामान्य
तौर पर महालेखा परीक्षक किसी
भी आय या -व्यय
की जांच -परख
बारह माह बाद करता है |
परंतु
मोदी सरकार के इस कदम से
व्यापारी वर्ग की परेशानी और
सरकार के फेल होते अनुमानित
आय के आंकड़ो से ''देश
की अर्थ व्यवस्था "”
के
संकट को देखते हुए लागू होने
के तीन माह बाद ही इस "”
उपाय
या कराधान "”
की
वास्तविकता की जांच शुरू करने
का फैसला किया है वस्तुतः
महालेखा कार्यालय को मिलने
वाली शिकायतों के अंबार को
देखते हुए यह अप्रत्याशित
निर्णय लह पड़ा है |
आम
तौर पर साल के अंत मे खर्च -और
व्यय की वैधानिकता की जांच
करता है | परंतु
मोदी सरकार के के वितता मंत्री
जेटली जी के "”नवाचर"”
से
व्यापार और उद्योग जगत मे
"”अनिवर्चनीय
'' स्थिति
उत्पन्न हो गयी है |
इसी
कारण यह जांच शुरू की गयी है
|प्राथमिक
तौर पर इस कराधान की प्रणाली
के तकनीकी पहलू की "”सक्षमता
"”को
परखा जाएगा |
जिसमे
नेटवर्क की उपलब्धता और
सुलभता दोनों को ही परखा जाएगा
| जिसमे
सर्वप्रथम कर की वसूली के लिए
गठित ""सेट
अप "" की
सार्थकता के अलावा अन्य मुद्दो
को भी जांच होगी |
जैसे
की बैंड विथ की छमता क्या
प्रतिदिन आने वाले लाखो तख़मीनो
को सम्हाल सक्ने लायक है -अथवा
नहीं | दूसरा
इसके लिए जो "”साफ्टवेयर
'' है
क्या वह इतने बोझ को सम्हाल
सक्ने मे सक्षम है ??
साथ
ही साथ डाटा की सुरक्षा जैसे
महत्वपूर्ण मुद्दो की भी जांच
की जाएगी | एक
रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे
जाने पर की ''तकनीकी
विशेषज्ञ"”
तो
माहालेखाकर के पास नहीं है
---तो
सूत्रो ने बताया की बाहर से
एक्सपर्ट को लिया जाएगा |
जिससे
यह निर्धारित किया जा सके की
करदाताओ की शिकायत कितनी
वास्तविक है और कितनी प्रक्रिया
सम्मत तकलीफ़े है |
चूंकि
इस प्रणाली मे समस्त करी
"”डिजिटल
प्रक्रिया से है "”अतः
सिस्टम की छमता और नेटवर्क
की उपलब्धता अत्यंत ज़रूरी
है | जिनकी
जांच की जाएगी |
उधर
पहली जुलाई से लागू इस टैक्स
की पहली तिमाही के आंकड़े काफी
"”निराशाजनक
है "” केंद्रीय
वित्त मंत्रालय के सूत्रो के
अनुसार क्रेडिट इन पुट की
वापसी के लिए 65000
करोड़
के दावे व्यापारियो द्वरा
लगाए जा चुके है |
जबकि
सरकार को इस तिमाही मे कूल
प्राप्ति [इस
मद से ] 95000करोड़
की होनी है |
केन्द्रीय
वित्त मंत्रालय ने भी इस मद
मे 80000 करोड़
रुपये की कमी की आशंका व्यक्त
की है |
जनहा
तक नेटवर्क की छमता की बात
करे तो टेलीकॉम रेगुलेटरी
औथारिटी ऑफ इंडिया {{ट्राई
}} द्वार
संचार माध्यमों की कंपनियो
से एक अक्तूबर से "”
अच्छी
गुणवत्ता ,,यानि
बेहतर सिग्नल और कनेक्टिविटी
मे सुधार "”
के
निर्देश दिये है |
जीएसटी
के रिटर्न दाखिल करने वालो
की शिकायत है की "”ऑन
लाइन "” काम
करना मुश्किल हो रहा है |
क्योंकि
काल ड्राप और कनेकसन ना मिलने
के कारण घंटो ''लगे
रहना पड़ता है |
उधर
सेलुलर ऑपरेटर एसोसियासन के
राजन मैथ्यू ने ट्राई से छह
माह का समय दिये जाने का आग्रह
किया है | उन्के
पत्र के अनुसार नए दिशा निर्देश
के अनुसार काफी तकनीकी बदलाव
करना होगा | जिसके
लिए काफी श्रोतों की ज़रूरत
पड़ेगी | साथ
ही सभी संबन्धित लोगो से भी
सलाह मशविरा करना होगा |
हक़ीक़त
मे ट्राई के नए निर्देशों के
अनुसार '''काल
ड्राप की गणना अब टावर से की
जाएगी ''' अभी
तक यह गणना सर्किल स्टार पर
होती थी | जिसका
छेत्र बहुत बड़ा होता था |
टावर
से काल ड्राप का आकडा सभी
कंपनियो का कमजोर है |
मेट्रो
मे मोबाइल सेवा भले ही बेहतर
हो परंतु नगरो और छोटे कस्बो
मे उपभोक्ता सिर्फ "”
चार्ज
और रिचार्ज '' कर
कर परेशान होते है है --और
उपलब्ध डाटा का नियत समय मे
उपयोग नहीं हो पता है |
No comments:
Post a Comment