आस्था से अधिक
आतंक का घोष बनता--
जय
श्री राम या बंदे मातरम अथवा
जन -
गण
मन -
मारपीट
कर कहलाना !!!!
दिल्ली
के चुनाव परिणामो की घोषणा
के समय भारतीय जनता पार्टी
के आतुर देशभक्तों को कुछ
ऐसे अवसर मिले थे जब ,
मतगणना
में उनके उम्मीदवार और आप के
प्रत्याशी में सैकड़ो का अंतर
रह जाता था "”
तब
स्वयंसेवको की टोली बड़ी ज़ोर
से जय श्री राम का घोष करती थी
! पुलिस
से शिकायत करने पर इमान्दार
और निसपक्ष पुलिस अधिकारी
कहते थे की यह तो धार्मिक नारा
हैं – इससे चुनाव आयोग के
निर्देशों का उल्लंघन नहीं
होता !
परंतु
जब जवाब में आप वालो ने जय
बजरंग बली का नारा बुलंद करना
शुरू किया |
तब
माहौल में गर्मागर्मी आने
लगी |
जब
ईमानदार दिल्ली पुलिस ने आप
वालो को नारा लगाने से रोकने
को कहा -तब
उनहोने जय श्री राम वालो को
भी चुप करने को कहा !
शायद
देश के इतिहास में पहली बार
धरमऔर राजनीति की चासनी बनाकर
परोसने वाले सत्तारूद दल तथा
संघ के आनुसंगिक संगठनो को
पुलिस ने जय श्री राम का नारा
लगाने से रोका !
ऐसा
इसलिए संभव हुआ क्योंकि धार्मिक
बयानो में भगवधारी स्वामभू
संत – कह गए हैं की भगवान से
भक्त बड़ा !!!
परंतु
यह एक मात्र घटना हैं जब जय
घोष को रोकने वाले के वीरुध
बयानबाजी नही हुई |
अन्यथा
इन आतुर धरम प्रेमियो के सामने
ना तो कानून टिकता हैं --नाही
कोई संगठन !
क्योंकि
सत्ता का सहारा पाये ये "वीर
"”
अकेले
नहीं होते हमेशा झुंड में ही
नारा लगाते --लोगो
को डराते -
लुटपाट
करते हिनशा करते निकाल जाते
थे |
क्योंकि
सत्ता या सरकार का संरक्षण
इन "
शरीफ
लोगो को होता था |
बुलंद
शहर में पुलिस के इंस्पेक्टर
को बजरंग दल और स्वयंसेवक संघ
के संयोजक ने हत्या कर दी |
परंतु
पुलिस अपने ही साथी के हत्यारो
को नहीं पकड़ पा रही थी |
क्योंकि
कहते हैं की उस स्वयंसेवक को
योगी जी का अभयदान था |
जब
उस घटना का वीडियो बाज़ार में
आ गया ,जिसमें
उसकी भूमिका साफ नजर आने लगी
तब लज्जित हो कर उसे सरेंडर
कराया जैसा की गंगा जल फिल्म
में किया गया था |
आतंक
के बलपर राष्ट्र वादी और देश
भक्त बनाना
अभी
हाल में दिल्ली में हुए
सांप्रदायिक दंगो में एक
वीडियो आया --जिसे
बीबीसी ने अपनी समाचार बुलेटिन
में दिखाया --की
किस प्रकार चार पुलिस के
जवान---जमीन
पर घायल पड़े पाँच लोगो पर डंडे
और लात मार कर कह रहे की "चलो
राष्ट्र गान सुनाओ !!
अब
कराहते हुए उन लोगो ने दो लाइने
बोली भी |फिर
उन बहादुर पुलिस वालो ने कहा
की चलो भारत माता की जय बोलो
,
तब
उन घायल लोगो ने जय भी बोली |
अब
उन जवानो को इतना तो मालूम
हैं की "”राष्ट्र
गान"”
लेट
कर नहीं गाया जाता बल्कि --खड़े
होकर और वह भी सावधान की मुद्रा
में अलर्ट होकर गया जाता हैं
!
जब
बीबीसी ने इस वीडियो पर दिल्ली
पुलिस से प्रतिकृया मांगी
तो वे "”
मौन
रहे -चुपचाप
रहे यानि की कोई प्रतिकृया
नहीं दी |
इसी
तारतम्य में तीन मार्च को
भारतीय जनता पार्टी के संसदीय
दल की बैठक में जब प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी ने -
पूर्व
प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह
पर व्यंग्य किया की भारत माता
की जय बोलने से उन्हे बु आती
हैं !!
मोदी
जी बु तो आपके द्वारा अपने
पूर्व के प्रधान मंत्री को
ना समझने से आती हैं |
आपने
ही तो झारखंड की कुनवी सभा में
बोला था _की
मैं कपड़ो से पहचान जाता हूँ
कौन हैं !
जब
आप इतने सक्षम हैं तो यह भी जन
गए होंगे की ज़मीन पर पड़े हुए
लोग किस समुदाय के हैं !!!
ईस्ट
इंडिया कंपनी के समय में मध्य
भारत में ठग बहुत थे |
जो
तीर्थ यात्रियो की टोली में
भजन गाते -बजते
हुए चलते थे |
फिर
जैसे ही मौका मिलता था वे रेशमी
रुमाल से यात्री का गला घोंट
देते थे --और
बहुत ज़ोर का जय कारा बोलते थे
"”जय
महाकाली "”
| इतना
ही नहीं वे माथे पर लाल टीका
-रामनामी
द्पटट्टा ओड़े रहते |
लोगो
की धार्मिक आस्था का ये ठग लाभ
उठाते थे |
उनके
द्वरा महा काली का जैकारा कोई
पुण्य नहीं हो जाता था ---
वे
थे तो हत्यारे ही !!
आखिर
कार लॉर्ड विलियम बेनतिक ने
कर्नल स्लिमन को इन ठगो को
पकड़ने का हुकुम दिया|
फौज
देख कर ठग तितर -
बितर
हो गए |
फिर
स्लिमन ने तीर्थ यात्रियो
का भेष बनाकर ही उनके लोगो को
पकड़ा |
उनके
सरदार ने कहा की हम तो महाकाली
के नाम पर काम करते हैं !
पर
स्लीमन ने जब पकड़ -पकड़
कर सदको पर उन्हे खुले आम फांसी
पर लटकाया तब धरम के नाम से
लूट और हत्या की यह प्रथा बंद
हुई |
लॉर्ड
विलियम बेनतिक ने ही सती प्रथा
को भी बंदा कराया था !
सोचे
वह एक व्यापारिक कंपनी का
अधिकारी था ---जिसका
काम कंपनी के व्यापार को सुचारु
रूप से चलाना ,
पर
उसने आर्य सभ्यता में पौराणिक
समय की कुछ कुरीतियो को धर्मा
के नाम पर नहीं कहलने दिया
------और
यानहा तो कानून का खुले आम
उलंघन ही जय श्री राम के नारे
से होता हैं !!
मोदी
जी ने सांसदो से कहा की "”देश
को तोड़ने वालो के खिलाफ खड़े
रहना हैं !!
देश
के विभाजन का खतरा विगत 70
वर्षो
में नहीं हुआ --सिर्फ
अभी हुआ |
क्योंकि
आपकी सरकार ने देश के भिन्न
भिन्न धरम के समुदायो के लोगो
को निशाना बनाना शुरू कर दिया
|
जो
कल तक सरकार चुनते थे --जिनहोने
आपको चुना ----उनही
से नागरिक होने के दस्तवेजी
सबूत मांगे |
जिन
दस्तावेज़ो को पहले तक "”
स्व्यंसिद्ध
"”
प्रमाण
माना जाता था ,उन्हे
भी त्रिबुनल और उच्च न्यायालय
तक "”अमान्य
करते हैं "”
|मजे
की बता यह हैं हाइ कोर्ट यह
भी नहीं बताता की कौन सा दस्तावेज़
अंतिम हैं --जो
उनकी नागरिकता सिद्ध कर दे
!!
2-------
अब
बात गलत और सही नारे की !
हैदराबाद
में संचार माध्यम की छात्रा
अमूल्य लियोना द्वारा दस
ज़िंदाबाद के नारो की |
अमूल्य
ने मंच से हिंदुस्तान ज़िंदाबाद
के बाद पाकिस्तान ज़िंदाबाद
-भूटान
ज़िंदाबाद -
चीन
ज़िंदाबाद और अफगानिस्तान तथा
ईरान श्रीलंका ---म्यांमार
के भी जिंदाबाद के नारे लगयाए
|
पर
तेलंगाना पुलिस प्रशासन को
सिर्फ पाकिस्तान ज़िंदाबाद
का नारा आपतिजनक \आपराधिक
लगा |
और
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता
की धारा 124
{ राजद्रोह
}}
में
उसके खिलाफ "”प्राथमिकी
"”
लिखी
|
जबकि
दिल्ली के दंगो में नफरत भरे
भाषण देने वाले चार नेताओ के
खिलाफ हाइ कोर्ट के न्यायाधीश
के निर्देश को उसी कोर्ट के
मुख्य न्यायाधीश ने 5
हफ्ते
की तारीख दी --क्योंकि
सरकारी वकील क दलील थी की अभी
गिरफ्तारी होने से माहौल गड़बड़
हो जाएगा !!!
परंतु
अमूल्य के मामले में तो शक्ल
देख कर कानूनी कारवाई हुई !
संविधान
में अभिव्यक्ति की आज़ादी और
कानून के सामने सभी नागरिकों
की बराबरी का वादा सिर्फ
"”कागजी
"”
रह
गयी !!
अंत
में यही लिखना हैं की कानून
तो सब अच्छे हैं -पर
उनका अनुपालन करने वाले ही
जय श्री राम करने वाले बन गए
-गौर
तलब हैं की आज कल शवयात्रा
में भी यही नारा लगता हैं |
फर्क
इतना हैं की उसमें सिर्फ एक
आवाज़ ही निकलती हैं बाक़ी लोगो
के सर झुके रहते हैं !
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