ना
नारे लगना बंद हुए ना ही हिसा
बंद हुई– तब डोवाल जी की कसरत
का क्या ?
गयी
फरवरी का महिना देश के इतिहास
में गवाह रहेगा ---दिल्ली
में हुई भयानक दंगे और पुलिस
की भयानक विफलता का |
23 से
26 फरवरी
के दौरान दो धर्मो जी हाँ
हिन्दू और मुसलमानो में जो
जंग हुई ,
उसमें
पुलिस और अदालत की विश्वसनीयता
पर लोकतान्त्रिक मूल्यो पर
भरोसा करने वाले लोगो
को
निराशा ही हाथ लगी !अब
यह संयोग हैं या प्रयोग ?
, हालत
यह बने की 29
फरवरी
को नागरिकता संशोधन कानून
के विरोध और समर्थन में मेघालय
की राजधानी शिलोंग में "”ख़ासी
"”
जन
जाति और गैर आदिवासियो के बीच
हुए "”दंगे
"
में
दो गैर आदिवासियो की मौत हुई
-फलस्वरूप
सरकार को कर्फ़्यू लगाना पड़ा
, तथा
इंटरनेट सेवाओ को बंद करना
पड़ा !!
इसी
दिन दिल्ली के विजय चौक मेट्रो
स्टेशन पर दर्जन भर नौजवानो
ने फिर वही – देश के गद्दारो
को ,
गोली
मारो सालो को का नारा बुलंद
किया !!
वह
भी पुलिस की उपस्थिती में !
क्या
यह दो घटनाए यह नहीं इंगित
करती की दिल्ली में अभी भी
सत्ता पोषित "देश
भक्तो "”
को
कानून के नियंत्रण में नहीं
लाया जा सका हैं !!
अब
दिल्ली के दंगो में नफरत फैलाने
वाले इन नारो और भाषणो को पुलिस
और अदालतों में अभी भी "””विचार
ही चल रहा हैं !!””
इस
संबंध में न्यायमूर्ति मुरलीधर
द्वरा सालिसीटर जनरल तुषार
मेहता को अनुराग ठाकुर -
कपिल
मिश्रा और परवेश वर्मा के
वीडियो दिखा कर पुलिस में
प्राथमिकी दर्ज करने को कहा
था !
परंतु
दूसरे ही दिन दिल्ली उच्च
न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
पटेल और हरीशंकर की बेंच ने
- तुषार
मेहता की इस दलील पर की अभी
इन लोगो पर केस दर्ज़ करने से
माहौल को नियंत्रण करना मुश्किल
होगा !!
अतः
इसकी सुनवाई ताल दी जाये !
मतलब
मौका माहौल देख कर ही अब पुलिस
और अदालत कारवाई करेंगी !!
वनही
न्यायमूर्ति पटेल ने सोनिया
गांधी -
प्रियंका
-राहुल
और अन्य द्वरा नफरत भरे भासनों
के लिए केंद्र के गृह मंत्रालय
- भारत
सरकार और दिल्ली सरकार तथा
दिल्ली पुलिस को 23
अप्रैल
तक याचिकाओ के जवाब देने का
निर्देश दिया हैं !!
हाइ
कोर्ट के एक निर्देश को मुल्तवी
किया जाता हैं -
जिसमें
न्यायमूर्ति ने स्वयं स्नज्ञान
लेकर पुलिस को जो आदेश दिया
वह तकनीकी रूप से स्थगित किया
गया !!
अब
अदालतों के विवेक पर सवाल
उठाना अदालत की तौहीन मानी
जाती हैं ,
इसलिए
इस मामले पर बस इतना ही लिखा
जा सकता हैं !
23
से
26 फरवरी
तक पुलिस कंट्रोल रूम में
कूल मिलकर 13200
लोगो
ने सहता की गुहार लगाई ---लेकिन
पुलिस ने कोई कारवाई नहीं की
, यह
उनके रजिस्टर में इंदराज हैं
!
सर्वोच्च
न्यायालय के न्यायमूर्ति
जोसेफ ने भी शाहीन बाग मामले
में नियुक्त वार्ताकारों की
रिपोर्ट में स्पष्ट समाधान
की ओर इंगित नहीं किए जाने पर
मामले की सुनवाई अप्रैल तक
बढ़ा दी ,
परंतु
उन्होने सलिसीटर जनरल तुषार
मेहता से कहा की हालत पर पुलिस
की कारवाई आशंतोष जनक थी ,
लगता
हैं उनके हाथ बंधे थे ,और
उन्हे ऊपर के निर्देशों का
इंतज़ार था |
अशांति
और भाय का माहौल होने पर नागरिक
पुलिस और अदालत की ही ओर सहायता
की आश रखता हैं |
परंतु
दिल्ली के दंगो के दौरान ना
तो पुलिस ने दंगाइयो को रोका
और ना आगजनी और हिनशा को
नियंत्रित कर सके !!
दंगो
के दौरान जब 24
फरवरी
को लगा की पुलिस बल की कमी से
हालत नियंत्रित नहीं हो रहे
हैं ---दिल्ली
के मुख्या मंत्री अरविंद
केजरीवाल ने केंद्रीय सरकार
से सेना बुलाने का आग्रह किया
था |
आम
तौर 24
घंटे
में अगर पुलिस बल की कमी स्थिति
को नियंत्रित करने में सक्षम
नहीं होती ---तब
सेना को सहता के लिए बुयालाया
जाना एक आवश्यक "”ड्रिल
"”
हैं
| परंतु
ऐसा नहीं हुआ क्यू ?
क्या
गृह मंत्रालय हालत से अनभिज्ञ
था अथवा जान कर अंजान बन रह
था ?
40 लोगो
की मौत हुई 400
से
अधिक लोग घायल हुए अरबों रुपयो
की संपाती स्वाहा हो गयी |
पर
अमित शाह जी देखते रहे -----
क्या
यह उनही की लिखी इबारत का प्रयोग
था ?
की
शाहीन बाग और दिल्ली के चुनावो
में करारी हार के लिए वे दिल्ली
के मुसलमानो को सबक देना चाहते
थे ,
शायद
ऐसा न हो |
पर
फिर क्या था ?
अब
आते हैं दंगे के बाद की पुलिस
की कारवाई पर ----
जो
पुलिस नफरत भरे नारो और अल्टिमेटम
के नायकों को बंदी बनाने से
घबरा रही हैं ----उसने
आप के पूर्व पार्षद ताहिर
हुसैन और काँग्रेस की पूर्व
महिला पार्षद इशरत जनहा को
"”भड़काऊ
भासनों के "”
लिए
गिरफ्तार किया |
पर
दूसरे समुदाय के किसी की भी
गिरफ्तारी नहीं हुई ?
क्या
यह पुलिस के "”
सम
भाव "”
का
परिचायक हैं ?
अभी
भी एकतरफा कारवाई ही की जा रही
हैं |
जिस
प्रकार व्हात्सप्प पर अभी
भी हिन्दू --मुसलमान
का खेल चलाया जा रहा हैं |
इस
संगठित हरकत से दोनों धर्मो
के घायल और लूटे -
पीटे
तथा उजड़े लोगो के गहवों पर
मरहम तो लगेगा नहीं ,
उल्टे
हो सकता है की फिर कोई वारदात
न हो जाए !!जिस
प्रकार भक्तो और बादशाह
परस्तों द्वारा देश में
मुसलमानो के क़ब्ज़े का भय दिखाया
जा रहा हैं ,
वह
कितना असत्य हैं ,
वह
इसी तथ्य से स्व प्रमाणित हैं
की – जब देश में सैकड़ो साल
मुगलो का शासन रहा -तब
तो सनातन धरम के लोगो की संख्या
उनकी आबादी से कई गुणी ज्यादा
बनी रही |
तब
आज ऐसा नया हो गया की उनके क़ब्ज़े
के भय को दिखा कर हिन्दू जिंगो
इज़्म फैलाया जा रहा हैं ??
अब
तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
के प्रमुख डॉ मोहन बहअगवात
ने भी कहा हैं की राष्ट्रवाद
से लगता है की जैसे नाजीवाद
-हिटलर
का भाव बनता हैं ,
इसलिए
इस शब्द का प्रयोग नहीं करना
चाहिए !
फिर
भी बादशाह परस्त अति उत्साही
लोग अभी भी – देश के गद्दारों
को -
गोली
मारो -सालो
को नारा लगते हैं और हमारा
प्रशासन ---मूक
बन देखता रहता हैं !
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