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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 3, 2017

नोटबंदी ;;- एक गलत फैसला जिसे रिज़र्व बैंक और सरकार भी लाभदायक साबित करने मे असमर्थ --उसे अनिल बोकिल जी देश को मंदी से बचाने वाला फैसला बता रहे है !! इस पर क्या कहे !!

पुणे के थिंक टैंक के अनिल बोकिल ने एक बयान देकर नोटबंदी को देश को संभावित मंदी से बचाने वाला फैसला बता रहे है ! आज जबकि सरकार के इस कदम से विकास दर 5 प्रतिशत तक गिर गयी है | उनके अनुसार अगर मोदी सरकार यह कदम नहीं उठाती तो देस मे 2008 जैसी आर्थिक मंडी "”आती "” | जैसा की अमेरिका मे हुआ था उससे बुरा हाल होता !!
अब "”थिंक टैंक ;;के इन विद्वान ने दो तथ्य बिलकुल गलत बताए है ! एक तो 2008 मे विश्वव्यापी मंदी आई थी --उस समय भी तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने देश मे बैंक सुधार कर के हमारी अर्थ व्यसथा को '''सुरक्षित रखा "”| अमेरिका मे दुनिया के बाज़ारो की मंदी का प्रभाव हुआ था ---वह भी जन साधारण पर नहीं ! क्योंकि राष्ट्रपति ओबामा ने बैंको को दिवालिया होने से बचाने के लिए बैंक को आसान क़र्ज़ उपलब्ध कराया था | उन्होने बैंको से कहा था की खातेदारों का धन सुरछित करे ! भारत मे मोदी सरकार ने तो खातेदारों को ही उनके पैसे निकालने पर रोक लगा कर | दस दिनो तक करोड़ो लोगो को लाइन मे लगे रहने पर मजबूर किया ! इस दौरान 100 से अधिक लोगो को लाइन मे ही मौत हो गयी ! अमेरिका मे ऐसा हुआ था क्या ?? बोकिल जी आप का सिधान्त बूरी तरह फ़ेल हुआ है ! अगर आप इस कदम के प्रणेता है तब आप को इस ''दोष का दंड ज़रूर मिलना चाहिए "” | अमेरिका मे चार छ लोगो द्वरा आत्महत्या की घटनाए हुई वे उन युवको ने की थी --जिनकी नौकरी चली गयी थी ! आप के सिधान्त के फलस्वरूप तो नोटबंदी के फलस्वरूप 50 हज़ार से अधिक उत्पादन की इकाइया ठप हो चुकी है -उनमे काम करने वाले लाखो लोग बेरोजगार हो गए है ! क्या आप इसे "” मंदी का सुरक्षा कवच''कह रहे है ?? आप के सुझाए कवच देशवासियों के लिए घातक ही साबित हुआ है !!
आप के रुख से नोटबंदी ने किस "”आर्थिक आपदा को रोक दिया ?? “” बेरोजगारी बड़ी --- विकास दर "”पिछले साठ सालो मे सबसे कम हो गयी ??”” अब उदयौगों पर छाए संकट का निदान क्या होगा ?? आपके अनुसार हर सौदे नकद हो रहे थे जिसका भावी असर बुरा हो सकता था !! रिज़र्व बैंक के अनुसार 99 प्रतिशत से अधिक तत्कालीन चलन की मुद्रा वापस बैंक के पास पहुँच गयी ! अर्थात जो मुद्रा वापस नहीं आई '''उसे अगर हम एक बार के लिए मान ले ''काला धन था ''' तब भी यह अनुमान तो गलत ही है की ''अर्थव्यसथा काले धन पर चल रही थी ??”” वह अनुमान तो गलत साबित हो ही गया है |



नोटबंदी के साथ दूसरा फैसला पेट्रोल और डीजल के दाम प्रतिदिन नियत किए जाने का भी है " | यानहा ध्यान रखने की बात है की मनमोहन सिंह जी के जमाने मे जब अंतर राष्ट्रीय बाज़ार मे पेट्रोल 70 डालर प्रति बैरल था --तब भी मनमोहन सिंह ने देश मे कभी 65 रुपए प्रति लीटर से अधिक दाम नहीं होने दिया | और मोदी के ''तथाकथित आर्थिक सुधारो का फल आज सारे देशवासी भुगत रहे है की --- अंतर राष्ट्रीय बाज़ार मे तेल के दाम सर्वाधिक कम दाम मसलन 7 से 10 डालर प्रति बैरल होने के बावजूद उपभोक्ता 65 से 70 रुपये से अधिक का दाम चुकाना पद रहा है !
दूसरा कदम बैंको के विलिनीकरण का है --- इन्दिरा जी ने राष्ट्रीय करन करके गाव -गाव तक बैंक की सेवा सुलभ कराई थी | अब बैंको "”लाभ कमाने "” के लिए ग्रामीण छेत्रों से हटाया जा रहा है | बैन कर्मियों की छटनी की जा रही है |
आपके सिधान्त मे सार्वजनिक छेत्र "”शायद लाभ कमाने के लिए "” इकाई होता है !! परंतु रेल ऐसी सेवा जिसमे घाटा होने के बाद भी सरकार चलाती थी क्योंकि वे "”जन कल्याण ''के लिए होती है | आपके अनुसार शायद '' सरकार हो व्यक्ति हर रुपया एक पूंजी है और उस पर लाभ मिलना चाहिए – जबकि डाल्टन ने भी सार्वजनिक छेत्रों को नागरिक कल्याण के लिए बताया है "” अब आप अगर उनसे भी बड़े अर्थशास्त्री है तो बताए की वह कवच कहा है जो सरकार की रक्षा कर रहा है ?? जबकि आम आदमी रोज इंस्पेक्टर राज़ और धमकियो से डरा हुआ है ???

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