इतिहास
मे राजवंशो की भूमिका को खोजते
उच्च शिक्षा मंत्री अपजे
दायित्व को भूल गए ना तो--सत्र
शुरू ना डिग्री भी मिले !!
प्रदेश
के विश्व विद्यालयो के इंतजाम
की देख-रेख
के जिम्मेदार उच्च शिक्षा
मंत्री जयभान सिंह जी अपनी
प्रशासनिक ज़िम्मेदारी के
प्रति "””सिर्फ
अधिकार के प्रति सजग और सेंसटिव
है |
हाल
मे उनके एक बयान ने उन्हे मीडिया
मे काफी सुर्खी दिलाई थी -जब
उन्होने कहा था "””
प्रधान
मंत्री मोदी को छोडकर सभी
लोगो ने अध्यापको के तबादले
के बारे मे "”सिफ़ारिश
की है "”
| जब
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से
पूछा गया की आपने कोई सिफ़ारिश
की है क्या??
तब
उन्होने कहा की मंत्री ने
''ऐसे
ही बोल दिया होगा ''
|अब
मंत्री जी की ज़िम्मेदारी की
बात करे तो कलई खुल जाती है |
उनके
अपने इलाके की जीवाजी विश्व
विद्यालय मे छात्रो की उत्तर
पुस्तिकाये भी ठीक से
नहीं जाँची गयी !!
छात्रों
ने आरटीआई लगा कर अपनी उत्तर
पुस्तिकाओ को दिखवाया तब पता
चला की सवालो को जांचा ही नहीं
गया है अथवा बिना जाँचे ही
प्राप्तांक कापी पर लिख दिये
गये ! इस
सत्र मे 300
से
अधिक छात्र ने अर्ज़ी लगाई |
दर्जनो
छत्रों ने अदालत मे अर्ज़ी लगा
कर अपनी परीक्षा पूरी की और
डिग्री ली !!
एक
मामले मे एक छात्रा की शादी
इसलिए रुक रही थी की उत्तीर्ण
होने के बाद भी दो साल से विश्व
विद्यालय डिग्री नहीं दे सका
था |
उधर
बरकतुल्लाह विश्व विद्यालय
के हाल तो और भी बुरे है -
वनहा
भी सालो से छात्र अपनी डिग्री
को लेने के लिए तरस रहे है |
\ वनहा
के कुलपति और रैजिस्ट्रार
कहते है की डिग्री लिखने वाले
नहीं मिला रहे है |
जबकि
पता चला है की "”डिग्री
लेखको ''
के
भुगतान नहीं हुए है |
इस
लिए उन्होने काम करने से इंकार
कर दिया है |
उधर
जो कुछ डिग्रिया लिखी जा चुकी
है --वे
छत्रों के मूल पते पर भेजी
नहीं जा सकी |
क्योंकि
विवि डाक टार विभाग के बकाए
का भुगतान नहीं कर रहा था ,तो
उन्होने भी उनको सेवाए देने
से मना कर दिया !
इन
सब बदींत्जामियों को सुधारने
के स्थान पर वे अपनी राजनीति
चमकाने मे लगे है |
उच्च
शिक्षा मंत्री जयभान सिंह
पवैया अमित शाह जी के दौरे के
बाद रह - रह
कर सिंधिया घराने को गद्द्दार
घोषित करने मे जुट जाते है |
ग्वालियर
के होने के कारण उन्हे राजघराने
से कुछ चिद सी है |
परंतु
जब वे राजघराने की निंदा करते
है तो उनके निशाने पर काँग्रेस
के सांसद ज्यतिरादित्य सिंधिया
होते है | परंतु
वे जानबुझ कर शायद ऐसा करते
है | क्योंकि
मंत्रिपरिषद मे उनही की साथी
यशोधरा राजे भी इसी परिवार
की है और तो और राजस्थान की
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे
भी काँग्रेस सांसद की बुआ होती
है | शायद
इसीलिए इन्हे केन्द्रीय
मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
ने सीख देते हुए ग्वालियर मे
उच्च शिक्षा संस्थानो को इसी
परिवार की देन बताया |
यह
परोक्ष रूप से बीजेपी के
राष्ट्रीय महामंत्री प्रभात
झा के लिए भी सतर्क होजाने का
संकेत था | क्योंकि
वे भी इस मुहिम मे शामिल थे
आशय यह है की अपने दायित्व को
ठीक से निभाने के स्थान पर
राजनीति ज्यादा है |
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