राज्यपाल
विद्यासागर राव द्वरा अन्ना
द्रमुक के पनीर सेलवाम और
पल्लानीस्वामी गुटो मे हाथ
मिलवा कर मोदी सरकार को जो
दिग्विजयी खुशी 21
अगस्त
को दी थी ----वह
चंद घंटे ही रह पायी |
क्योंकि
जेल बंद शासिकला के 18
इस
प्रकार विधायकों ने राज्यपाल
लो पत्र लिख कर "”सरकार
को दिये समर्थन को वापस लेते
हुए "””
निलंबित
करने की मांग की |
इस
पूरे ड्रामे मे राजभवन द्वरा
किसी पार्टी के अंदरूनी विवादो
मे हवा देने और रेफरी की भूमिका
निभाने पर सवाल उठाए जा रहे
है |
233 सदस्यीय
विधान सभा मे दोनों गुटो के
विलय के पश्चात भी 117
सदस्य
ही होते है |
स्पीकर
इस संख्या मे नहीं है |
हालांकि
इस एक {{अध्यक्ष}}
बहुमत
से वे सरकार चला तो सकते है |
परंतु
वही गाँव की कहावत की अगर
इज्ज़त चवन्नी से बचती है -तब
बहुत ज्यादा देर तक नहीं बचेगी
| अगर
जैसा शशिकला गुट दावा कर रहा
है की उसके पास 25
विधायकों
का समर्थन है ---तब
निश्चित ही विधान सभा मे सरकार
को बहुमत मिलना मुश्किल है |
यू
अन्नादर्मुक की अंतिम संख्या
135
दर्ज़
है |
सत्ता
के इस संघर्ष को देखते हुए
डीएमके ने एक बयान जारी करके
राज्यपाल से विधान सभा का
सत्र अविलंब आहूत करने की मांग
की है |
जिस
से की पालनीसामी -पनीरसेलवाम
सरकार के बहुमत को परखा जा
सके |
भारतीय
जनता पार्टी के नेता नवाब
बे मुल्क की तरह दिल्ली से
सारे घटना चक्र पर नज़र रखे हुए
है | हालांकि
उनकी पार्टी का एक भी विधायक
नहीं है |
परंतु
वे तोड़ – फोड़ करके सरकार के
दल को अपनी ओर मिलना चाहते है
| क्योंकि
राज्य सभा मे अडीएमके के सदस्यो
को अपनी ओर लाने और बहुमत साबित
करने के लिए आवश्यक है |
ऐसा
ही लोक सभा मे भी है |
यद्यपि
वनहा उन्हे इतनी ज़रूरत नहीं
है |
अब
सारा दारोमदार राज्यपाल
विद्यसागर राव पर निर्भर करता
है | क्योंकि
वे ही सरकार और सत्ताधारी
दल को बचा सकते है |
अगर
उन्होने डीएमके की मांग को
अनसुना कर दिया ----जैसा
की राजनीतिक हलको मे कयास लगे
जा रहा है तब – ना केवल एआईडीएमके
की सरकार सुरक्शित रहे जीआई
वरन केंद्र मे बैठे लोगो की
मंशा भी पूरी हो जाएगी |
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