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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 23, 2017

तमिलनाडू मे कभी खुशी -कभी गम- अन्ना द्रमुक सरकार खतरे मे

राज्यपाल विद्यासागर राव द्वरा अन्ना द्रमुक के पनीर सेलवाम और पल्लानीस्वामी गुटो मे हाथ मिलवा कर मोदी सरकार को जो दिग्विजयी खुशी 21 अगस्त को दी थी ----वह चंद घंटे ही रह पायी | क्योंकि जेल बंद शासिकला के 18 इस प्रकार विधायकों ने राज्यपाल लो पत्र लिख कर "”सरकार को दिये समर्थन को वापस लेते हुए "”” निलंबित करने की मांग की | इस पूरे ड्रामे मे राजभवन द्वरा किसी पार्टी के अंदरूनी विवादो मे हवा देने और रेफरी की भूमिका निभाने पर सवाल उठाए जा रहे है |

233 सदस्यीय विधान सभा मे दोनों गुटो के विलय के पश्चात भी 117 सदस्य ही होते है | स्पीकर इस संख्या मे नहीं है | हालांकि इस एक {{अध्यक्ष}} बहुमत से वे सरकार चला तो सकते है | परंतु वही गाँव की कहावत की अगर इज्ज़त चवन्नी से बचती है -तब बहुत ज्यादा देर तक नहीं बचेगी | अगर जैसा शशिकला गुट दावा कर रहा है की उसके पास 25 विधायकों का समर्थन है ---तब निश्चित ही विधान सभा मे सरकार को बहुमत मिलना मुश्किल है |
यू अन्नादर्मुक की अंतिम संख्या 135 दर्ज़ है |

सत्ता के इस संघर्ष को देखते हुए डीएमके ने एक बयान जारी करके राज्यपाल से विधान सभा का सत्र अविलंब आहूत करने की मांग की है | जिस से की पालनीसामी -पनीरसेलवाम सरकार के बहुमत को परखा जा सके |

भारतीय जनता पार्टी के नेता नवाब बे मुल्क की तरह दिल्ली से सारे घटना चक्र पर नज़र रखे हुए है | हालांकि उनकी पार्टी का एक भी विधायक नहीं है | परंतु वे तोड़ – फोड़ करके सरकार के दल को अपनी ओर मिलना चाहते है | क्योंकि राज्य सभा मे अडीएमके के सदस्यो को अपनी ओर लाने और बहुमत साबित करने के लिए आवश्यक है | ऐसा ही लोक सभा मे भी है | यद्यपि वनहा उन्हे इतनी ज़रूरत नहीं है |

अब सारा दारोमदार राज्यपाल विद्यसागर राव पर निर्भर करता है | क्योंकि वे ही सरकार और सत्ताधारी दल को बचा सकते है | अगर उन्होने डीएमके की मांग को अनसुना कर दिया ----जैसा की राजनीतिक हलको मे कयास लगे जा रहा है तब – ना केवल एआईडीएमके की सरकार सुरक्शित रहे जीआई वरन केंद्र मे बैठे लोगो की मंशा भी पूरी हो जाएगी |





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