रिश्वतखोर
सांसदो पर चलेगा मुकदमा -
11 मे
6 है
भाजपा के !
शायद
मंत्रियो और नेताओ की शाहखर्ची
- दादागिरी
एवं गैरजिम्मेदारी से कुंठित
मतदाताओ के लिए यह संतोष देने
वाली खबर है -भले
ही परसंतापी हो परंतु 12
साल
बाद ही सही -मुकदमे
की सुनवाई तो शुरू हुई !
आज
जब की अवैध खनन – जबरन चंदा
उगाही - ज़मीन
और मकान पर कब्जा करने की
वारदाते जन प्रतिनिधियों के
नाम से की जा रही हो --तब
ऐसी खबर लोकतन्त्र से डिगते
विश्वास को थोड़ा सा ही सही
परंतु सहारा तो देती है |
परंतु
बारह साल बाद पहले हुए इस कांड
मे अब कारवाई शुरू होना दुखद
तो है --क्योंकि
कहते है ना JUSTICE
DELAYED IS JUSTIUCE DENIED हमे
तो यही कहना होगा की भले ही
देर से आए पर दुरुष्त आए !
आज
जब आए दिन रोज -रोज़
कोई ना कोई घोटाले की खबर आती
है – तब सरकारी आला अफसर का
कहना होता है "”
हमारी
जानकारी मे यह मामला लाया गया
है -दिखवा
लेते है या फिर कानून अपनी
कारवाई करेगा !
वर्तिका
कुंडु मामले मे भी मुख्य
मंत्री खट्टर ने पत्रकारो से
यही "”जवाब
दिया था -की
यह निजी मामला है -कानून
अपना काम करेगा -इस
मामले मे अब कोई प्रश्न नहीं
पूछा जाएगा "”
| फिर
समष्ट भारत ने देखा की की चंडीगड
पुलिस ने पहले ज़मानती धराए
लगाई --दो
दिन तक जब मीडिया मे चारो तरफ
चर्चा होने लगी -सत्ताधारी
पार्टी के नेताओ ने दबे सूरो
मे लानत - मलानत
की तब प्रदेश भाजपा आद्यजाश
बराला के ''विकास
'' को
अपहरण और पीछा करने की जुर्म
की धाराए लगाई !
हालांकि
घटना के दिन पहले पुलिस ने इन
धाराओ को प्रथम सूचना मे लगे
था | पर
बाद मे उप पुलिस अधिक्षक ने
इनको हटा दिया !
अब
यह तो जांच होगी नहीं की किसके
कहने पर ये धराए हटाई गयी ??
क्योंकि
हालत यह है की शिकायत की जांच
तो बाद मे कभी करेंगे पर शिकायत
करने वाले पर तो अभी ही कारवाई
करो !
इन
हालातो मे 6
भूतपूर्व
भारतीय जनता पार्टी के सांसदो
- छतरपाल
सिघ लोढा- चन्द्र
प्रताप सिंह -अन्ना
साहब एम के पाटील --प्रदीप
गांधी --सुरेश
चंदेल और वाई जी महाजन तथा
बहुजन समाज पार्टी के नरेंद्र
कुमार कुशवाहा -
लाल
चंद कोल तथा राजा रामपाल |
काँग्रेस
के भी रामसेवक सिंह ने अपना
राजधर्म इस मामले भी निभाया
इसी प्रकार राष्ट्रीय जनता
दल के एकलौते सांसद मनोज कुमार
भी 28 अगस्त
को दिल्ली की विशेष अदालत मे
हाजिर होंगे !
इस
मामले खुशी की बात है की यह
कांड एक खबरिया चैनल के दो
पत्रकारो ने उजागर किया था |
उनके
स्टिंग आपरेशन के बाद ही सीबीआई
ने इस कांड की जांच की थी |
मतलब
सरकारी अम्ल तब भी सो रहा था
-अब
तो खुर्राटे मार रहा है |
क्योंकि
मौजूदा निज़ाम की हालत यह है
की जिसने भी गड़बड़ी या घपला
उजागर किया उसे पहले सिस्टम
निशाने पर लेता है --वह
जमीनी हक़ीक़त की जांच नाजी करता
की क्या कहा जा रहा है |
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