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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Aug 9, 2017

गनीमत है चुनाव आयोग की विडियो रिकॉर्डिंग कामयाब हुई -वरना
चंडीगड पुलिस की तरह सारा मामला ही उकझ जाता 
 
घटना के सजीव चित्रण की तरकीब है विडियो रिकॉर्डिंग – प्रदेश की सरकारे अरबों रुपये खर्च कर चुकी है सड़को और भीड़भाड़ वाले स्थानो की हलचल को दस्तावेज़ बनाने लायक सबूत के निर्माण हेतु <<परंतु नतीजा वही सिफर का सिफर ,आखिर ऐसा क्यो ?कौन है जिम्मेदार इस हालत के लिए ?
उत्तर परदेश हो या मध्य प्रदेश अथवा हरियाणा हो या पंजाब सभी प्रदेशो की सरकारो ने बीते पाँच सालो मे एक अनुमान के अनुसार डेढ अरब की राशि देश के भिन्न भागो मे कैमरो की स्थापना मे खर्च किए गए बताए --- और इनकी देखरेख मे भी करोड़ो रुपए का खर्च दिखया गया | जबकि नगर निगम की के "” सड़क और शहर की सफाई के दावे किए जाते है -बयान आते है फोटो भी दिखते है अखबारो और चैनलो मे ----पर नाले और नालिया कूदे के अंबार से भरी रहती है और सदको पर कूदे के ढेर भी दिखाई पड़ते है | तो यह है जमीनी हक़ीक़त और "”वादे और दावे "” |
देश के सभी बड़े शहरो मे चौराहो पर बड़े -बड़े पोल दिखाई पड़ेंगे--- जिनमे कैमरो के लगे होने का दावा किया जाता है | परंतु उनसे अगर आप इन कैमरो की रिकॉर्डिंग मांग ले --बस उसी समय सारी अडचने विभाग गियाना देगा | रख - रखाव के लिए सरकार धन आवंटित नहीं करती ? फलस्वरूप कैमरो का रख -रखाव नहीं हो पता परिणामस्वरूप दुर्घटनाओ और वारदातों के अपराधियो की पहचान नहीं हो पाती | जिस कारण अपराधी भी बेखौफ रहते है | अब इन सवालो का समाधान तो होता नहीं है लेकिन कागजो पर धनराशि खर्च भी हो जाती है ---और कैमरे अपनी बेनूरी पर आँसू बहाते रहते है |
सरकार भी नित नवीन योजनाए बनती रहती है और घोषणा की जाती है --- परंतु ना तो नेता या मंत्री अपने बयानो या वादो की खोज खबर लेते है ना ही अफसरशाही सरकार को जमीनी हक़ीक़त बताती है | अफसर भी "”” मंत्री की जी हुज़ूरी मे सर हिलाते रहते है | नागरिकों को सरकार के नेता और अफसर के बयानो से राहत महसूस हो जाती है | परंतु बस कुछ वक़्त के लिए ही ---क्योंकि हालत ज्यो के त्यो बरकरार रहते है | तब जनता को गुस्सा आता है |
कुछ ऐसा ही राज्यो की पुलिस के साथ भी होता है – अखबारो मे सुधार और नयी योजनाओ की जानकारी उन्हे भी संचार माध्यमों से ही मिलती है | जब वे अपने अफसरो से इस बाबत सवाल करते है --तब तम्गेधारी अफसर डांट - डपट कर चुप करा देते है | जानकारी ना तो पुलिसजनों को मिलती है ना नागरिकों को | सरकार के अंग मंत्री -नेता तथा अफसर बस उदघाटन या विज्ञापन देकर ही सोच लेते है की अब सब कुछ योजना अनुसार हो जाएगा | उनकी सोच मे योजना का रख --रखाव की व्यवस्था तो हो ही जाती है !! बस इसी कारण विडियो कैमरा भी काम नहीं करते और अपराधी भी बच निकलते है !!

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