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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

May 14, 2017

कौशांबी और रोहतक मे सामूहिक बलात्कार ने निरभ्या कांड याद दिलाया
कितना अभागा है मई का महिना जिसमे 5 तारीख को उच्चतम न्यायालय ने 2012 मे दिल्ली की सडको पर हुए सामूहिक बलात्कार की दरिंदगी के पांचों अपराधियो की क्रूरता को ध्यान मे रखते हुए चार को फांसी की सज़ा दी थी | पांचवा अभियुक्त नाबालिग होने के कारण बच गया | इस घटना ने ना केवल देश और विदेश मे राष्ट्र की प्रतिस्ठा पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया था |
देश की शांति – व्यवस्था पर बदनुमा दाग बन के रह गए इस मामले ने एक बार फिर याद दिला दी है ----- 11 मई को उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के थाना सिंघवल के पूरा नामक गाव मे 20 वर्षीय आशा पटेल की उसी के घर मे कुछ दरिंदों ने घुस कर हाथ -पैर बांध कर और मुंह मे कपड़ा ठूंस कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया | एवं पहचाने जाने के दर से उन लोगो ने म्राटका की आंखे फोड़ दी और उसको नंगा कर के आग लगा दी | पुलिस के अनुसार आशा की शादी के दस दिन बाद 7 मई को मायके आई थी | वह घर के अंदर सो रही थी और उसकी माता बाहर तथा पिता छेडु पटेल खेत पर सोने चले गए थे | सुबह दरवाजा नहीं खुलने पर वे पीछे से घर मे दाखिल हुए तो उन्होने नंगी आशा की लाश को सुलगते हुए देखा | शायद आदित्यनाथ योगी के मुख्य मंत्री बनने के बाद यह पहला निरभ्या जैसा हादसा हुआ है |

वनही 9 मई को हरियाणा के रोहतक जिले के औद्यगिक छेत्र मे एक कुचली हुई लाश मिली जिसके बदन पर कपड़े नहीं थे | पहली नज़र मे लगता था की आंख फोड़ कर गुप्तांग मे नुकीला औज़ार डाल कर उसे बीभत्स बना दिया गया था | लड़की का नाम उजागर नहीं किया गया है परंतु उसका परिवार सोनीपत मे रहता है | उसके परिवार मे सिर्फ माँ और भाई है -,, उन्होने गुमशुडगी की रिपोर्ट 8 तारीख को लिखाई थी | लड़की रोहतक की एक दावा बनाने वाली कंपनी मे काम करती थी | म्राटका की माँ ने बताया की पिछले एक साल से उनका पड़ोसी लड़की से शादी करने पर ज़ोर दे रहा था | घटना के दो दिन पहले वह अपने पाँच - छह दोस्तो के साथ घर पर आ कर ज़िद्द करने लगा | परंतु लड़की के इंकार करने पर उसने देख लेने की धम्की दी थी | उन्होने हत्या का शक पड़ोसी पर ही लगाया है | उसकी माँ ने कहा की जैसे निरभ्या के हत्यारो को फांसी की सज़ा मिली है वैसे ही उसकी लड़की के हत्यारो को भी मिले |

निरभ्या कांड मे शीला दीक्षित की सरकारको वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के नेताओ ने ना केवल इस्तीफा मांगा था वरना सरकार को बरख़ाष्त करने के लिए राष्ट्रपति से मिलने भी गए थे | परंतु आज वही इस्तीफा मागने का जज़बा क्या सातरूद दल मे है ?? संयोग ही है की उत्तर प्रदेश और हरयाणा मे मे भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार है | उनके शासन मे निरभाया कांड का दुहराया जाना कितना उचित होगा ??
शासन के दुहरे मान दंड से जनमानस मे वह विश्वास खतम हो जाएगा ----जिसके आधार पर इन दलो को मतदाता ने समर्थन दिया |

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