अब
अमेरिका ने वेलफेयर राज्य
के सिधान्त को फेयरवेल कह
दिया है --ट्रम्प
का नया आदेश
अमरीकी
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प
ने एक आदेश जारी करके देश मे
महिलाओ के काम करने के स्थान
पर "”सुरक्षा
"”
प्रदान
करने की कंपनी की ज़िम्मेदारी
को खतम कर दिया है |
इस
आदेश का परिणाम यह होगा की अगर
किसी कामकाजी महिला कर्मी का
शोषण चाहे शारीरिक अथवा आर्थिक
रूप से होगा तब वह किसी कोई
सुरक्षा की मांग नहीं कर सकती
|
इतना
ही नहीं उसे कितने वेतन पर
रखा गया है अथवा कितने घंटे
उसे काम करना है या की उसने
सप्ताह मे कितने घंटे काम किया
है ,,
इसके
लिए उसे कोई "”कागज
नहीं दिया जाएगा "”
|
उनके
पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक
ओबामा ने एक कानून द्वारा
संस्थानो के प्रबन्धको की
ज़िम्मेदारी तय की थी की महिला
कर्मी काम करने के स्थान पर
"”स्वस्थ
वातवर्ण "”
मे
काम कर सके ई ,उसके
लिए वे जवाबदेह होंगे |
ट्रम्प
के इस नए आदेश से अमरीका के
कूल कामगारों का एक तिहाई भाग
प्रभावित होगा |
यह
अचरज की बात है की जिस शिकागो
नगर से दुनिया मे कामगारों
के काम के घंटे नियत किए गए हो
--वनही
आज एक आदेश भी जारी किया गया
है --जिस
से महिला कर्मी पूरी तरह से
अपने नियोक्ता की "”बंधुआ
मजदूर बन जाएगी "”
| जो
ना तो यह मांग कर सकेगी की वह
सप्ताह मे 40
घंटे
से ज़्यादा अथवा 8
घंटे
पाँच दिन मे |
अब
दो दिन का साप्ताहिक अवकाश
भी सवेतन नहीं मिलेगा |
बच्चो
वाली माताये अब काम करने के
स्थान पर "”
पालन्घर
'' की
सुविधाए भी नहीं मांग सकेंगी
| सार्वजनिक
सुविधाए देने के लिए भी मालिक
बाढी नहीं होगा |
प्रसव
पूर्व अवकाश तो अब कल्पना ही
हो जाएगा |
क्योंकि
उस अवधि मे मालिक को दो गुना
वित्तीय भर पड़ता है |
एक
तो उसे संभावित माता को वेतन
देना पड़ता था ,
और
उस महिला कर्मी के स्थान पर
वैकल्पिक व्यसथा करनी पड़ती
थी |
वेतन
और भत्ते का लिखित प्रमाण भी
अब मालिक से नहीं लिया जा सकेगा
| वह
यदि चाहे तो दे सकेगा अन्यथा
उसे "”बाध्य
नहीं किया जा सकेगा "”
इस
आदेश से संस्थानो के मालिको
को वित्तीय और अन्य रूप से
बहुत लाभ होने के अलावा अब वे
निरंकुश हो जाएंगे और महिला
कर्मी को कोई कानूनी कवच भी
नहीं रहेगा |
एक
प्रकार से दुनीय के दूसरे
बड़े लोकतन्त्र मे महिला कामगारों
की इज्ज़त और स्वास्थ्य को
तिलांजलि दे दी गयी है |
अब
श्रमिक यूनियन इस आदेश पर
क्या प्रतिक्रिया करती है
--वह
देखने वाला होगा |
|
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