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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 12, 2017

एनडीए तो आगामी लोकसभा के लिए तैयार -पर यूपीए
की एकता का क्या होगा ?

नेशनल डेमोक्रेटिक एलायन्स ने तो बैठक कर के आगामी लोकसभा 2019 के चुनाव के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व को मंजूर किया है | परंतु यूपीए की एकता अभी दूर -दूर तक नहीं दिखाई पड़ती है | नितीश कुमार ने एक बयान मे काँग्रेस से आग्रह किया है की वह गैर भाजपा डालो को लेकर एक मोर्चा बनाने की कवायद शुरू करे | परंतु काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वरा इस ओर अभी तक कोई पहल नहीं की गयी है | परंतु काँग्रेस पार्टी अपने संगठन को लेकर ही व्यस्त है | गोवा मे और मणिपुर मे भाजपा से अधिक सीट पाने के बावजूद भी सरकार नहीं बना पाना काँग्रेस के सिपहसालारो की असफलता का "”कीर्तिमान "” ही तो है |
इसके अलावा पार्टी मे अभी तक यही ऊहापोह बना हुआ है की दल की कमान अभी भी सोनिया गांधी के हाथो मे रहे अथवा राहुल गांधी को सौप डी जाये | कुछ "”:बड़े "” नेता जनहा राहुल गांधी को कमान देने की वकालत करते हुए सार्वजनिक बयान देते है --वनही राज्यो के छत्रप सोनिया गांधी के नेत्रत्व मे ही 2019 का चुनाव लड़ने के लिए लाबिंग कर रहे है | अभी हाल ही मे सोनिया गांधी ने सांसदो को रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया था -की आगामी रणनीति बनाई जा सके | परंतु विभिन्न दलो के सांसदो ने इस प्रयास को गंभीरता से नहीं लिया |
वनही बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी के विपक्षी एकता प्रयासो मे वाम दलो का ठंडा रुख भी समस्या बन रहा है | जिसका कारण उनका यह सोच है की ममता आगे चल कर बंगाल मे वाम दलो को खतम करने के लिए भाजपा से हाथ मिला सकती है | उनको नोटबंदी का ममता द्वरा विरोध और केंद्र द्वारा बंगाल और सीमांत राज्यो के मार्ग पर सेना की नियुक्ति भी उनके संदेह को समाप्त नहीं कर पाये है | इन गुथियों के मध्य गैर भाजपा दलो की एकता जल्दी सुलझती नहीं नज़र आती |

अब सवाल यह है की क्या मौजूदा केन्द्रीय सरकार के विरोध मे कोई मोर्चा बन सकता है ? इस प्रश्न का उत्तर यही हो सकता है की जिस प्रकार उत्तर प्रदेश मे समाजवादी और बहुजन पार्टी के साथ काँग्रेस का सफाया हुआ है , उसके चलते इन पार्टियो को अपनी राष्ट्रीय पहचान बचाने के लिए एक साझा मोर्चा जरूरी है | अन्यथा वे एक - एक कर के राजनीतिक भूमिका खो देंगे |

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