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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Apr 18, 2017

भावनाओ से राजनीति तो की जा सकती है -पर प्रशासन नहीं वह तो कायदे - कानून से ही चलेगा वरना सब बिखर जाएगा

विदेशी न्यूज़ चैनलो पर कश्मीरी युवक को सेना की जीप से बांध कर ले जाने और , गिरफ्तार लड़को से पाकिस्तान को गाली देने के लिए कहते तथा - एक लड़के को सड़क पर गिरा कर तीन फौजी जवान "”सनटी '' या छड़ी से मारना फिर गिरफ्तार किए हुए कश्मीरियों को डंडे से मारना और ठेलने के द्राशया ऐसे लगे -जैसे यह भारत वर्ष की वह गौरवशाली फौज नहीं है – जिसने 70हज़ार पाकिस्तानियों की फौज को आत्म समर्पण करने के लिए मजबूर किया | फिर उन्हे कानूनन क़ैद मे रखा और संधि होने पर रिहा किया |
जिस सेना का ऐसा इतिहास रहा हो वह आज एक भ्रष्ट पुलिस वाले की तरह व्यवहार करेगा --देख कर विश्वास नहीं होता | या तो इन लोगो को अपनी विरासत का ज्ञान नहीं अथवा ये भी "” उप्द्र्वियों से उनही की भांति लड़ रहे है "”” भूल गए की उपद्रवी को राज्य का संरक्षण नहीं प्रापत है -----जो फौजियो को है |
भारत के संविधान मे सेना हो या नागरिक

इंडियन पेनल कोड और क्रिमिनल प्रोसीजर कोड मे भी
शारीरिक दंड या सज़ा देने का अधिकार तो अदालत तक को नहीं है फिर इन वर्दी धारियो ने ऐसा क्यू किया ?

इसी मध्य केंद्र सरकार का बयान आ गया की वह सेना और केन्द्रीय पुलिस बलो के कारवाई का समर्थन करती है ?

उधर श्रीनगर मे जम्मू -काश्मीर पुलिस ने सुरक्षा बलो के विरुद्ध गैर कानूनी रूप से बंधक बनाने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है

इधर खबर आ रही है की केंद्र ने काश्मीर से 30 हज़ार सुरक्षा बलो को वापस बुलाने का विचार कर रही है |

इस मध्य दो दिन से श्रीनगर मे प्रशासन ठप है – इंटर नेट और मोबाइल सेवाए बंद है ?

इन हालातो मे भारत माता की जय बोल कर स्थिति को सामनी नहीं किया जा सकता | आन्दोलंकारियों को सम्झना होगा की उन्हे भारतीय कानून और संविधान के तहत ही रहना है ----परंतु हमे भी यह समझना होगा की वही कानून और संविधान हमारे ऊपर भी लागू है ! केंद्र के निर्णय से एक अजीब स्थिति निर्मित होती दिखाई पढ रही है ---
1- क्या पुलिस कारवाई यानि लिखी हुई प्राथमिकी को रद्द करने के लिए क्या अदालत मे दरख़ावस्त देगे ?
2- क्या सरकार पुलिस बलो की इस कारवाई का समर्थन कर के इंडो तिब्बतन बार्डर पुलिस के दस जवान और जम्मू -कश्मीर पुलिस के दो जवान तथा राज्य सरकार के एक दर्जन कर्मचारी तथा एक बस चालक इस घटना मे शामिल थे | अब इनके वीरुध अगर अनुशासन हीनता की कारवाई नहीं हुई तो दूसरों के लिए यह घटना उदाहरण बन सकती है \

3-- पूलबामा और श्रीनगर मे छात्र और छात्राओ पर पठार बाज़ी का आरोप सेना के बल लगते रहे है ,,परंतु नागरिकों और छात्र तथा छात्राओ के घायल होने की खबरे तो आती है पर जवानो के घायल होने की नहीं |


इन सवालो की अनदेखी नहीं की जा सकती , शेष देश मे कश्मीर को लेकर जो भावना है उस से नागरिक शासन नहीं प्रभावित नहीं होना चाहिए | पत्थर के बदले मे जो कारवाई हुई उसे कानूनन सही नहीं साबित किया जा सकता है |

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