वादा
तेरा वादा पर क्या हुआ वादे
का श्रीमान
--
देशो
मे बाहुबली अमेरिका मे आज कल
राष्ट्रपति ट्रम्प के चुनावी
वादो को लेकर वनहा की संसद मे
भारी घमासान मचा हुआ है |
विवादो
मे मुख्य है ओबामा हेल्थ केयर
को समाप्त करना और दूसरा है
उनके द्वरा निवरतमान राष्ट्रपति
ओबामा पर चुनावो के दौरान
उनकी जासूसी करने का ट्वीट
और तीसरा है ट्रम्प के सहयोगीयो
द्वरा रूसी राजनयिकों से
संपर्क का |
कहा
जा रहा है की रूस के राष्ट्रपति
पुतिन ने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार
हिलेरी क्लिंटन को पराजित
करने के लिए अपनी हैसियत का
उपयोग किया |
जिस
से पापुलर वोट मे हारने के
बावजूद एलेक्टोराल कालेज
मे ट्रम्प विजयी हुए |
ट्रम्प
प्रशासन द्वरा ओबामा हेल्थ
केयर को समाप्त कर नये स्वास्थ्य
कार्यक्रम को लाने वाले
प्रस्तावित विधेयक का विरोध
ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी
के प्रतिनिधि सदस्य और सीनेटर
कर रहे है |
वे
इसके वर्तमान रूप मे मंजूर
करने से इंकार कर रहे है |
वनही
राष्ट्रपति ट्रम्प द्वरा
ओबामा के वीरुध लगाए गए आरोपो
की पुष्टि के लिए कोई सबूत पेश
नहीं किया गया है |
सीनेट
की समिति ने उनके आरोपो को
निराधार
बताया है |
यह
स्थिति उनकी साख को चुनौती
बन गयी है |
हालैण्ड
मे प्रधान मंत्री टूट की पार्टी
को प्राथमिक मतगणना मे बदत
है |
वनहा
विल्लेर्ड जो इस्लाम विरोधी
और मुस्लिम शरणार्थियों के
प्रवेश के विरोधी है उन्हे
वनहा के नौजवानो मे लोकप्रियता
मिल रही है |
विलार्ड
का
कट्ट्ररपंथी रुख लोगो बहुत
क्रांतिकारी लग रहा है |
उनका
वादा है की उनकी सरकार देश को
यूरोपियन समुदाय से बाहर निकाल
लाएगी |
जबकि
मौजूदा प्रधान मंत्री इन
दोनों ही मुद्दो के विरोधी
है |
उनकी
मुश्किले विलार्ड अकेले नहीं
है --टर्की
के राष्ट्रपति जो यूरोपियन
समुदाय की सदस्यता के लिए
उम्मीदवार है --उन्होने
हालैण्ड को आतंकवादी देश और
इस्लाम विरोधी होने का आरोप
लगाया है |
टर्की
के राष्ट्रपति आर्डूयवान
अपनी शक्तियों मे व्रधी के
लिए संविधान मे संशोधन के लिए
जनमत संग्रह करा रहे है |
इसके
लिए वे विदेशो मे बसे तुर्की
लोगो मे प्रचार के लिए जर्मनी
और हालैण्ड मे अपने मंत्रियो
को भेजा था <
परंतु
वनहा की सरकारो ने उन्हे सभा
करने की अनुमति नहीं दी |
इस
कारण वे इन देशो से कुपित है
|
फ्रांस
मे भी राष्ट्रपति चुनाव का
माहौल चल रहा है वनहा के लिबरल
पार्टी के उम्मीदवार फ्रांसिस
फ़्रांसुया के विरुद्ध धन के
दुरुपयोग का मुकदमा चल रहा
है |परंतु
उनकी पार्टी को मजबूरी मे
उन्हे अपना अधिकारिक उम्मीदवार
घोसीट करना पड़ा |
परंतु
वंहा भी दक्षिण पंथी उम्मीदवार
मुस्लिम शरणार्थियो को प्रवेश
दिये जाने का विरोध कर रहे है
|
वह
ऐसा राष्ट्रवाद
के नाम पर किया जा रहा है |
ऐसा
ही कुछ जर्मनी मे भी हो रहा
है |
वंहा
की चांसलर मारकेल को भी अपने
देश मे कट्टरवादी ताकतों से
जूझना पद रहा है|
वंहा
भी मुस्लिम शरणार्थियो को
प्रवेश देने का नौजवान विरोध
कर रहे है |
भारत
हो या अमेरिका या फिर जर्मनी
अथवा हालैण्ड -इन
सभी लोकतान्त्रिक देशो मे
बहू दलीय निर्वाचन व्यवस्था
है |
अब
चुनाव है तो वादे भी होंगे और
दावे भी किए जाएंगे ,
कसमे
भी खायी जा सकती है |
सुनहरे
संसार के सपने भी दिखाये जाएँगे
और भ्रस्टाचार और गैर बराबरी
के उन्मूलन के दावे भी होंगे
| पर
जैसे प्रेमी -
प्रेमिका
के संबंध जब परवर के यथार्थ
की खुरदरी ज़मीन पर आते है --तब
काफी कुछ चुभने लगता है |
जिसकी
ना तो कल्पना की गयी थी और ना
ही आगाह किया गया था |
पर
होता यही है जिसकी "”उम्मीद
नहीं "””होती
|
2014 मे
देश मे लोकसभा निर्वाचनो के
दौरान भी ऐसा ही हुआ था |
अच्छे
दिन तक यह पूरी तरह से ठीक नारा
था -जैसा
की कांग्रेस भी गरीबी हटाओ
का वादा किया था |
परंतु
इसके बाद जब विदेशो मे जमा
काले धन को लाकर सबको 15
-15 लाख
रुपये बंकों मे जमा कराने का
वादा किया ---बस
उत्साह के अतिरेक मे हुई इस
चूक के लिए बीजेपी अध्यक्ष
अमित शाह को सार्वजनिक रूप
से मंजूर करना पड़ा की यह एक
"”जुमलेबाजी
'''थी
|
यानि
तकिया कलाम अर्थात
"”निरर्थक
शब्द "”
जिसे
अक्सर कुछ लोग बात -बात
मे दुहराते रहते है |
इसकी
मिसाल हाल मे पाँच प्रदेशो
हुए चुनावो मे मिली |
लोकसभा
चुनावो की गलती से बचते हुए
सिर्फ शांति – व्यवस्था अथवा
व्यक्तिगत हमलो तक मामला सीमित
रहा |
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