सत्ता
और संपन्नता की विरासत क्या
सिर्फ तीन पीढी
तक
ही रहती है अथवा निरंतरता मे
रहती है ??
यह
भारतीय वांगमय का ही विचार
है की श्रष्टि नसज्वर है –
परंतु अक्सर राजनीतिक सत्ता
और व्यापारिक अथवा धन की सत्ता
के स्वयंभू प्रकरती के इस नियम
को भूल जाते है ----जब
वे सफलता के शिखर मे होते है
| सिकंदर
- हानिबल
- सीज़र
से लेकर हिटलर स्टालिन तक
--दीपशिखा
की भांति जले और बुझ गए |
इनकी
विरासत मे विखंडन ही हुआ |
परंतु
उद्योग और व्यापार मे कुछ
परिवार ऐसे भी हुए जो सत्ता
और व्यापार मे तीसरी पीढी तक
रहे |
और
बिरले परिवार निरंतरता मे
रहते है |
बड़े
आदमी या परिवार की कल्पना जब
करते है तब आम आदमी के मन मे
या तो स्त्ता सीन अथवा धनपति
की कल्पना आती है |दूसरे
विश्व युद्ध मे सत्ता और
संपन्नता साथ -साथ
चलती थी |
जैसे
ब्रिटेन का शाही घराना -जापान
का और हैदराबाद के निज़ाम आदि
अनेकों नाम लिए जा सकते है |
युद्ध
के उपरांत हुए परिवर्तनों ने
"””शाही
संपन्नता "””
का
स्थान औद्योगिक घरानो ने ले
लिया |
जिनहोने
उत्पादन और व्यापार से युद्ध
के उपरांत अकूत धन एकत्रित
किया |
इन
घरानो मे अमेरिका के फोर्ड
जर्मनी के कृप्स हुए |
फिर
आया पेट्रोलियम का और औद्योगिक
उत्पादो से धन का पहाड़ खड़ा
करने वालो का नाम |
इनमे
जे पॉल गेटी और हावर्ड ह्यूजेस
-
राक्फ़ेलर
आदि |
युद्ध
के दौरान सर्वाधिक संपन्नता
विस्फोटक बनाने वाले नोबल के
नाम भी है |
\जिनके
नाम नोबल पुरस्कार दिया जाता
है |उनकी
विरासत विसवा के नाम है |
कार
निर्माण मे अग्रणी फोर्ड की
आज चौथी पीड़ी है जो गुमनामी
मे खो गए |
अभी
हाल मे उन्हे हरे राम हरे कृष्ण
आंदोलन मे दिखाई पड़े |
कृप्प्स
जर्मनी के साँसे बड़े स्टील
उत्पादक थे |
युद्ध
के दौरान कृप्स का निधन हुआ
और कंपनी की बागडोर उनकी पुत्री
कैथरीना के हाथ मे आई |
युद्ध
के उपरांत उनके देहांत के बाद
उनके पुत्र ने सारी औद्यगिक
साम्राज्य को बेचने का फैसला
किया |
परंतु
सरकार ने इसे देश का गौरव मानकर
इसे खरीद लिया |
वे
बाद मे अरजेंटिना मे प्लेबॉय
का जीवन व्यतित किया |
युद्ध
के समय मे स्थापित उद्योगो
मे अधिकान्स् बाद मे कॉर्पोरेट
नियांतरण मे चले गए |
इस
प्रकार पारिवारिक उद्योग
समूह का अंत हो गया |
इस
उदाहरण का मतलब अब पारिवारिक
विरासतों का ज़माना ढलान पर
है |
अमेरिका
मे कैनेडी और बुश परिवार उदाहरन
है |
| भारत
मे भी नेहरू गांधी परिवार की
विरासत को ध्यान से देखे तो
वह भी तीसरी पीढी मे है |
अगर
हम इसे जवाहर लाल नेहरू से
शुरू करे तो यह चौथी पीढी है
-परंतु
इन्दिरा गांधी के परिवार की
विरासत की यह तीसरी पीढी है
| तो
क्या अब इस परिवार का वर्चस्व
खतम होने को है ??
प्राकरतीक
नियमो के अनुसार पहली पीढी
की स्थापना और उसके वारिसो
द्वारा लगाए गए पौधे की देखभाल
की जाती है परंतु तीसरी पीढी
तक पराभव शुरू हो जाता है |
परंतु
हम काँग्रेस और नेहरू -
गांधी
की विरासत को अलग नहीं कर सकते
,
लोग
करते भी नहीं है फिर चाहे वे
इनके विरोधी हो या समर्थक |
ऐसे
मे काँग्रेस मुक्त का सपना
असंभव है |
क्योंकि
काँग्रेस कोई संगठन नहीं --वरन
एक आंदोलन से उपजा वह "”बरगद
"”
है
जिसकी अनेकों शाखो ने समय -
समय
पर अपनी अलग पहचान बनाने की
कोशिस की परंतु वे सब पाँच या
दस साल बाद मिट गए |
इन्दिरा
गांधी के समय से हम देखे तो यह
बात साफ हो जाएगी सत्ता की इस
श्रंखला मे अभी तो नहीं लगता
की काँग्रेस की इस विरासत का
पराभव निकट भविस्य मे होगा |
जैसा
की कुछ लोगो का अनुमान है |
परंपरा
के इस देश मे हम मूर्ति पूजक
है |
अब
तीन पीढी वाले राजनीतिक दलो
को देखे कश्मीर की नेशनल
कोन्फ्रेंस जिसे शेख अब्दुला
ने स्थापित किया आज उसकी तीसरी
पीड़ी ऊमर राजनीति मे है |
उड़ीसा
मे बीजू पटनायक के पुत्र दूसरी
प्रदेश की बघड़ोर सम्हाल रहे
है |
महा
राष्ट्र मे भले ही नहीं परंतु
मुंबई मे ठाकरे परिवार भी
दूसरी पीड़ी मे राज कर रहा है
|
समाजवादी
पार्टी और बहुजन समाज पार्टी
भी दूसरी पीढी मे सकीय राजनीति
मे है |
अब
स्थापना काल मे ममता बनेरजी
की त्राणमूल और स्वर्गीय
जयललिता की अननाडीएमके है |
इङ्का
भविष्य तो आने वाला समय ही
नियत करेगा |
|
संपन्नता
की इस लाइन मे एक परिवार है जो
दुनिया मे आज भी स्वर्ण और
हीरे के व्यापार और फाइनेंस
के छेत्र मे सबसे आगे है |
यद्यपि
उसने अपनी उपस्थिती और पहचान
को प्रचार और प्रसार साधनो
से छुपा कर रखा हुआ है |
वे
है रोथचाइल्ड मौजूदा समय मे
इनकी पाँच शाखाये है जो पेरिस
-
ब्रूसेल्स
और न्यूयार्क मे है |
इनका
पारिवारिक इतिहास विगत तीन
सौ सालो का है |
जब
वे यूरोपे के राजवंशो को कर्ज़
दिया करते थे |
अधिकतर
ये राष्ट्रिय कर्ज़ होते थे
अब
हम जाने की नोबल ने ट्रस्ट बना
कर पुरस्कारों की शुरुआत की
| अमेरिका
की लाकहीड कंपनी जिसने युद्ध
के दौरान और बाद मे विमानन और
विध्वंसक छेत्र मे अनेक उत्पाद
सरकार के लिए बनाए |
उसके
मालिक हावर्ड हयूजेस अरबों
- खरबो
की सम्पदा के मालिक थे परंतु
उनका अंतिम समय लॉस विगस के
होटल की चौथी मंजिल पर गुजरा
| उनकी
मौत को सरकार ने रहस्य ही रहने
दिया |
बोइंग
विमान कंपनी इसी लाकहीड़ की
सहयोगी है |
आज
भी वे सरकार के नए प्रोजेक्टो
का निर्माण करते है |
र्राकफेलर
ने ट्रस्ट बना कर सम्पदा का
सदुपयोग किया |
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