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Jan 20, 2017

हैसियत तो बताइये जनाब - कितने के मालिक है आप ?

लोकपाल और लोकयुक्त अधिनियम के अंतर्गत सभी लोक सेवको को वर्ष भर मे अर्जित की गयी संपति का ब्योरा देना अनिवार्य है | परंतु सरकार और शासन के मंत्री और अफसर इस प्राविधान का जितनि अवमाननना कर सकते है ---उसे वे खुले आम बयान करने मे गुरेज भी नहीं करते | अखिल भारतीय सेवाओ के सदस्यो के लिए तो यह नितांत आयाशयक है | क्योंकि केन्द्रीय कार्मिक एवं नियुक्ति विभाग ने इस संबंध मे साफ परिपत्र भी जारी किए है | परंतु इन स्वयंभू देवताओ ने उसे भी अनदेखा -अनसुना कर दिया | उल्टे उन्होने परिपत्र के को ''अनावश्यक "” निरूपित किया |

नियम के अनुसार सभी अफसरो को स्वयं अपनी पत्नी और नाबालिग संतानों के नाम पर अर्जित संपति --जिसमे बीमा की पॉलिसी - शेयर - भूमि - भवन के अलावा बैंक के खाते और फ़िक्स्ड डिपॉजिट की जान करी देनी होती है | इतना ही नहीं यह जानकारी उन्हे ऑन लाइन सार्वजनिक भी करना परमावश्यक है | परंतु जिस प्रकार सरकार की योजनाए अस्सी फीसदी धरातल पर अवतरित नहीं होती है उसी प्रकार इस आदेश //निर्देश का भी पालन नहीं हो रहा है | परंतु राज्य शासन ने दूसरी और तीसरी श्रेणी के कर्मचारियो के लिए यह आदेश निकाला है --की यदि वे संपत्ति का ब्योरा नहीं देंगे तो उनकी प्रोन्नति नहीं की जाएगी |

इसे कहते है खुदरा फजीहत दीगरा नसीहत --खुद की हैसियत तो बहैसियत तो बताइये हुज़ूर - कितने के मालिक है आप ?

लोकपाल और लोकयुक्त अधिनियम के अंतर्गत सभी लोक सेवको को वर्ष भर मे अर्जित की गयी संपति का ब्योरा देना अनिवार्य है | परंतु सरकार और शासन के मंत्री और अफसर इस प्राविधान का जितनि अवमाननना कर सकते है ---उसे वे खुले आम बयान करने मे गुरेज भी नहीं करते | अखिल भारतीय सेवाओ के सदस्यो के लिए तो यह नितांत आयाशयक है | क्योंकि केन्द्रीय कार्मिक एवं नियुक्ति विभाग ने इस संबंध मे साफ परिपत्र भी जारी किए है | परंतु इन स्वयंभू देवताओ ने उसे भी अनदेखा -अनसुना कर दिया | उल्टे उन्होने परिपत्र के को ''अनावश्यक "” निरूपित किया |

नियम के अनुसार सभी अफसरो को स्वयं अपनी पत्नी और नाबालिग संतानों के नाम पर अर्जित संपति --जिसमे बीमा की पॉलिसी - शेयर - भूमि - भवन के अलावा बैंक के खाते और फ़िक्स्ड डिपॉजिट की जान करी देनी होती है | इतना ही नहीं यह जानकारी उन्हे ऑन लाइन सार्वजनिक भी करना परमावश्यक है | परंतु जिस प्रकार सरकार की योजनाए अस्सी फीसदी धरातल पर अवतरित नहीं होती है उसी प्रकार इस आदेश //निर्देश का भी पालन नहीं हो रहा है | परंतु राज्य शासन ने दूसरी और तीसरी श्रेणी के कर्मचारियो के लिए यह आदेश निकाला है --की यदि वे संपत्ति का ब्योरा नहीं देंगे तो उनकी प्रोन्नति नहीं की जाएगी |

इसे कहते है खुदरा फजीहत दीगरा नसीहत
--खुद की हैसियत तो बताएँगे नहीं लेकिन अपने अधीनस्थ को धम काएंगे की अगर नहीं दिया तो उसी पद पर सड़ते रहोगे |

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