हैसियत
तो बताइये जनाब -
कितने
के मालिक है आप ?
लोकपाल
और लोकयुक्त अधिनियम के अंतर्गत
सभी लोक सेवको को वर्ष भर मे
अर्जित की गयी संपति का ब्योरा
देना अनिवार्य है
|
परंतु
सरकार और शासन के मंत्री और
अफसर इस प्राविधान का जितनि
अवमाननना कर सकते है ---उसे
वे खुले आम बयान करने मे गुरेज
भी नहीं करते |
अखिल
भारतीय सेवाओ के सदस्यो के
लिए तो यह नितांत आयाशयक है
|
क्योंकि
केन्द्रीय कार्मिक एवं नियुक्ति
विभाग ने इस संबंध मे साफ
परिपत्र भी जारी किए है |
परंतु
इन स्वयंभू देवताओ ने उसे भी
अनदेखा -अनसुना
कर दिया |
उल्टे
उन्होने परिपत्र के को ''अनावश्यक
"”
निरूपित
किया |
नियम
के अनुसार सभी अफसरो को स्वयं
अपनी पत्नी और नाबालिग संतानों
के नाम पर अर्जित संपति --जिसमे
बीमा की पॉलिसी -
शेयर
-
भूमि
-
भवन
के अलावा बैंक के खाते और
फ़िक्स्ड डिपॉजिट की जान करी
देनी होती है |
इतना
ही नहीं यह जानकारी उन्हे
ऑन लाइन सार्वजनिक भी करना
परमावश्यक है |
परंतु
जिस प्रकार सरकार की योजनाए
अस्सी फीसदी धरातल पर अवतरित
नहीं होती है उसी प्रकार इस
आदेश //निर्देश
का भी पालन नहीं हो रहा है |
परंतु
राज्य शासन ने दूसरी और तीसरी
श्रेणी के कर्मचारियो के लिए
यह आदेश निकाला है --की
यदि वे संपत्ति का ब्योरा
नहीं देंगे तो उनकी प्रोन्नति
नहीं की जाएगी |
इसे
कहते है खुदरा फजीहत दीगरा
नसीहत --खुद
की हैसियत तो बहैसियत तो
बताइये हुज़ूर -
कितने
के मालिक है आप ?
लोकपाल
और लोकयुक्त अधिनियम के अंतर्गत
सभी लोक सेवको को वर्ष भर मे
अर्जित की गयी संपति का ब्योरा
देना अनिवार्य है
|
परंतु
सरकार और शासन के मंत्री और
अफसर इस प्राविधान का जितनि
अवमाननना कर सकते है ---उसे
वे खुले आम बयान करने मे गुरेज
भी नहीं करते |
अखिल
भारतीय सेवाओ के सदस्यो के
लिए तो यह नितांत आयाशयक है
|
क्योंकि
केन्द्रीय कार्मिक एवं नियुक्ति
विभाग ने इस संबंध मे साफ
परिपत्र भी जारी किए है |
परंतु
इन स्वयंभू देवताओ ने उसे भी
अनदेखा -अनसुना
कर दिया |
उल्टे
उन्होने परिपत्र के को ''अनावश्यक
"”
निरूपित
किया |
नियम
के अनुसार सभी अफसरो को स्वयं
अपनी पत्नी और नाबालिग संतानों
के नाम पर अर्जित संपति --जिसमे
बीमा की पॉलिसी -
शेयर
-
भूमि
-
भवन
के अलावा बैंक के खाते और
फ़िक्स्ड डिपॉजिट की जान करी
देनी होती है |
इतना
ही नहीं यह जानकारी उन्हे
ऑन लाइन सार्वजनिक भी करना
परमावश्यक है |
परंतु
जिस प्रकार सरकार की योजनाए
अस्सी फीसदी धरातल पर अवतरित
नहीं होती है उसी प्रकार इस
आदेश //निर्देश
का भी पालन नहीं हो रहा है |
परंतु
राज्य शासन ने दूसरी और तीसरी
श्रेणी के कर्मचारियो के लिए
यह आदेश निकाला है --की
यदि वे संपत्ति का ब्योरा
नहीं देंगे तो उनकी प्रोन्नति
नहीं की जाएगी |
इसे
कहते है खुदरा फजीहत दीगरा
नसीहत
--खुद
की हैसियत तो बताएँगे नहीं
लेकिन अपने अधीनस्थ को धम
काएंगे की अगर नहीं दिया तो
उसी पद पर सड़ते रहोगे |
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