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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 16, 2017

हिन्दू एकता अथवा वेदिक धर्मियों की एकता ? संघ का उद्देस्य ----भागवत

कलकते मे उच्च न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद राष्ट्रीय सेवक संघ की रैली को संबोधित करते हुए सर संघचालक मोहन भागवत ने उपरोक्त बयान दिया | हमेशा की तरह इस टकसाली बयान का कोई गुड अर्थ तो नहीं लगाया जा सकता है | क्योंकि संघ और उसके 29 आनुसंगिक संगठन और राजनीतिक चेहरा भारतीय जनता पार्टी को आम तौर पर विदेशी लेखक भी "”हिंदुवादी संगठन "” के रूप मे चित्रित किया गया है | जो काफी हद्द तक यथार्थ है | अक्सर बीजेपी को मज़हबी दंगो का जनक माना जाता है | हालांकि अदालती जाँचो मे वे ''दोषी '' नहीं सिद्ध हो पाये |

परंतु कानूनी नज़र से भले ही ये सभी संगठन मजहबी ना माने जाये \ परंतु आम लोगो की रॉय मे इनकी दो ही छवि है --- हिंदुवादी संगठन --जो की मुस्लिम और ईसाई धर्मो का कट्टर विरोध करता है | अक्सर इनके नेताओ के बयान काफी जहर उगलने वाले होते है | अयोध्या की बाबरी मस्जिद का विध्वंश का दोषी इनहि संगठनो के नेताओ को माना जाता है | सुप्रीम कोर्ट की अपील मे भी इन संगठनो के नेताओ के नाम ''अभियुक्त ''के रूप मे दर्ज़ है |

इन तथ्यो के संदर्भ मे भागवत जी का बयान उनके राजनीतिक संगठन भारतीय जनता पार्टी के लिए थोड़ी ''कठिनाई '' तो पैदा ही करेगा | क्योंकि जल्दी ही पाँच प्रदेशों मे विधान सभा चुनाव होने है | ऐसे मे मुस्लिम मतदाताओ का अहम रोल होगा | उत्तर प्रदेश मे इनकी भूमिका तो निर्णायक है सरकार के गठन मे | ऐसे मे संघ के नेता से यह बयान आना की "”” संघ केवल हिन्दू एकता के लिए कटिबद्ध है "”” | इस का एक अर्थ यह भी है की बहुधर्मी और बहु संसक्रति वाले इस देश मे विविधता को समाप्त कर के ,एकरूपता यानि एक ड्रेस एक सोच वाला देश | जिसकी इजाजत भारत का संविधान नहीं देता |

लेकिन मोहन भागवत जी के इस बयान से यह तो सिद्ध है की उनका उद्देश्य भारत को एक ''हिन्दू राष्ट्र ''' बनाना है | अब यह इस देश की जनता और मतदाता की समझदारी पर निर्भर है की वे इस देश को सेकुलर बनाया रखना चाहते है --अथवा इसे एक धर्म का राष्ट्र बनाना चाहते है |

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