हिन्दू
एकता अथवा वेदिक धर्मियों की
एकता ?
संघ
का उद्देस्य ----भागवत
कलकते
मे उच्च न्यायालय की अनुमति
मिलने के बाद राष्ट्रीय सेवक
संघ की रैली को संबोधित करते
हुए सर संघचालक मोहन भागवत
ने उपरोक्त बयान दिया |
हमेशा
की तरह इस टकसाली बयान का कोई
गुड अर्थ तो नहीं लगाया जा
सकता है |
क्योंकि
संघ और उसके 29
आनुसंगिक
संगठन और राजनीतिक चेहरा
भारतीय जनता पार्टी को आम तौर
पर विदेशी लेखक भी "”हिंदुवादी
संगठन "”
के
रूप मे चित्रित किया गया है
|
जो
काफी हद्द तक यथार्थ है |
अक्सर
बीजेपी को मज़हबी दंगो का जनक
माना जाता है |
हालांकि
अदालती जाँचो मे वे ''दोषी
''
नहीं
सिद्ध हो पाये |
परंतु
कानूनी नज़र से भले ही ये सभी
संगठन मजहबी ना माने जाये \
परंतु
आम लोगो की रॉय मे इनकी दो ही
छवि है ---
हिंदुवादी
संगठन --जो
की मुस्लिम और ईसाई धर्मो का
कट्टर विरोध करता है |
अक्सर
इनके नेताओ के बयान काफी जहर
उगलने वाले होते है |
अयोध्या
की बाबरी मस्जिद का विध्वंश
का दोषी इनहि संगठनो के नेताओ
को माना जाता है |
सुप्रीम
कोर्ट की अपील मे भी इन संगठनो
के नेताओ के नाम ''अभियुक्त
''के
रूप मे दर्ज़ है |
इन
तथ्यो के संदर्भ मे भागवत जी
का बयान उनके राजनीतिक संगठन
भारतीय जनता पार्टी के लिए
थोड़ी ''कठिनाई
''
तो
पैदा ही करेगा |
क्योंकि
जल्दी ही पाँच प्रदेशों मे
विधान सभा चुनाव होने है |
ऐसे
मे मुस्लिम मतदाताओ का अहम
रोल होगा |
उत्तर
प्रदेश मे इनकी भूमिका तो
निर्णायक है सरकार के गठन मे
|
ऐसे
मे संघ के नेता से यह बयान आना
की "””
संघ
केवल हिन्दू एकता के लिए कटिबद्ध
है "””
| इस
का एक अर्थ यह भी है की बहुधर्मी
और बहु संसक्रति वाले इस देश
मे विविधता को समाप्त कर के
,एकरूपता
यानि एक ड्रेस एक सोच वाला देश
|
जिसकी
इजाजत भारत का संविधान नहीं
देता |
लेकिन
मोहन भागवत जी के इस बयान से
यह तो सिद्ध है की उनका उद्देश्य
भारत को एक ''हिन्दू
राष्ट्र '''
बनाना
है |
अब
यह इस देश की जनता और मतदाता
की समझदारी पर निर्भर है की
वे इस देश को सेकुलर बनाया
रखना चाहते है --अथवा
इसे एक धर्म का राष्ट्र बनाना
चाहते है |
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