ईमानदार
अफसर पर ही क्यो माहवारी तबादले
की धार ??
यू
तो सरकार के राजनीतिक प्रभु
और शासन के अफसरो या
नौकरशाही के बीच बिरले ही
तकरार रहती है ?अक्सर
ऐसे अफसर को आँख दिखा कर या
घुड़क कर मनमाफिक काम लिया जाता
है |
पर
ऐसे तरीको से बात नहीं बनने
पर बोरिया -
बिस्तर
बँधवा दिया जाता है --जिसे
तबादला कहते है |
जो
सरकार मे सामान्य प्रक्रिया
है |
इसके
लिए दो तरीके है या तो थैली
अथवा सरकार का कोप |
कुछ
ऐसा ही खेल हाल मे कटनी जिले
के तबादले के रूप मे सामने
आया है |
पुलिस
अधीक्षक गौरव तिवारी ने प्रधान
मंत्री के "परंम
प्रिय '
प्रोग्राम
नोटबंदी के तहत 30
मार्च
2016को
एक्सिस बैंक मे जाली अकाउंट
खोले जाने की शिकायत पुलिस
के पास थी ---पर
जिस पर प्रथम सूचना या FIR
नहीं
लिखी जा रही थी |
पुलिस
कप्तान के रूप मे गौरव तिवारी
ने 5
जुलाई
2016
को
आमद दी -
तुरत
फुरत एसाइटी गठित की और बड़े
कोयला व्यापारी मनीष और सतीश
सरावगी की फर्म के डाटा ऑपरेटर
संदीप बर्मन और अकाउंटेंट
संजय तिवारी ने मजिस्ट्रेट
के सामने इक़बालिया बयान मे
स्वीकार किया है की बहुत बड़ी
बड़ी रकमो को बाहर भेजा गया है
|उन्होने
'सरकार
के स्याम्भू नेताओ का नाम भी
लिया \
जब
कानून के हाथ उनकी गरदन पर
पहुचने ही वाले थे ,तभी
भोपाल से फरमान आया की
पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी
को छिंदवाड़ा भेजा जा रहा है
| वे
वनहा के लिए तुरंत रवाना हो
--ज़िले
के चार्ज अपने अधिन्स्थ को
सौपे |
----साथ
ही सरावगी और बर्मन तथा संजय
तिवारी की फाइल मय इक़बालिया
बयान के प्रदेश के पुलिस महा
निदेशक ॠषि कुमार शुक्ल को
बजरिए हवलदार भोपाल पहुंचाई
जाये
वैसे
गौरव तिवारी का छह माह मे यह
दूसरा तबादला है |
इस
मामले मे सबकी जबान पर ताला
पद गया है |
क्योंकि
इसके सूत्रधार राज्य मंत्री
संजय पाठक बताए जा रहे है |
जो
बहुत -
बहुत
बड़े -
बड़े
खान व्यापारी है |
लोगो
के अनुमान के अनुसार दूसरी
पीड़ी के राजनेता है – इनके
पिता स्वर्गीय सत्येन्द्र
पाठक दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल
के सद्य रहे थे |
ऐसा
समझा जाता है की राज्य मंत्री
प्रदेश के सभी डालो के वारिस्थ
नेताओ से घनिस्थ संबंध है |
उनके
बारे मे जबलपुर मे कहा जाता
है की वे राजनीति मे उतने ही
ज़रूरी है जैसे सब्जी मे आलू
|
वैसे
अकाउंटेंट संजय की पत्नी मालती
ने प्रैस कोन्फ़्रेंके मे कहा
है की सरावगी बंधु उसे धम्की
दे रहे है की अगर किसी ने भी
मुंह खोला तो उसे चींटी
की तरह मसल दिया जाएगा --हम
संजय पाठक के लिए काम करते है
|
यू
तो सरकार के राजनीतिक
प्रभु और शासन
के अफसरो या
नौकरशाही के बीच बिरले ही
तकरार रहती है ?अक्सर
ऐसे अफसर को आँख दिखा कर या
घुड़क कर मनमाफिक काम लिया जाता
है |
पर
ऐसे तरीको से बात नहीं माने
तब ऐसे अधिकारी का बोरिया -
बिस्तर
बँधवा दिया जाता है |
|जिसे
शासकीय भाषा मे तबादला
कहते है |
वैसे
तो सरकार के बड़े बाबू लोग इसे
सामान्य प्रक्रिया ही
कहते है |
जैसे
अस्पताल मे हुई मरीज की मौत
को डाक्टर सामन्य बताता है
|
परंतु
उस मौत से प्रभावित हुए लोगो
का ख्याल नहीं रखा जाता |
डाक्टर
ऐसे मरीज का ध्यान तभी रखता
है जब व्यक्ति प्रभूत्व का
स्वामी हो या बड़े ओहदे या पद
का हो अथवा पहुँच का हो अथवा
धन का हो |
ऐसे
नायकों के मध्य "”
सत्यनिष्ठा
--ईमानदारी
– कर्तव्य परायनता कैसे खड़ी
रह सकती थी ??
अतः
उसे रवाना कर दिया गया |
बस
प्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र
सिघ ने इस तबादले पर टिप्पणी
करते हुए कहा की "”उन्हे
हवाला कांड की जांच के
कारण नहीं हटाया गया वरन
यह तो सामानय प्रक्रिया है
|
उन्होने
इस बात का खंडन किया की राज्य
मंत्री संजय पाठक का नाक इस
हवाला मामले मे आया है |
यद्यपि
पाठक कटनी से विधायक है और वही
उनका व्यापार का और राजनीति
का इलाका है |
अब
यह तो तय है की गौरव तिवारी के
तबादले के बाद संदीप बर्मन
और संजय तिवारी को पुलिस की
प्रताड़णा झेलनी पड़ेगी |
क्योंकि
उनका सुरक्षा कवच हट गया है
|
+और
हो सकता है की की वे चींटी
की तरह मसल भी दिये जाये जैसा
की संदीप बर्मन ने धम्की दी
है ?
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