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Dec 11, 2016

नोटबंदी पर मोदी जी की चुनौती -पचास दिन ? फिर .......

नोटबंदी पर मोदी जी की चुनौती -पचास दिन ? फिर .......

विश्व मे इस समय राजनीति को तेज़ रफ्तार से बदलने की अनेक देशो मे कोशिस हुयी – पर उनमे परिणाम आशा के अनुरूप नहीं हुए | नोट बंदी के बारे मे 8 नवंबर को राष्ट्रिय प्रसारण से प्रधान मंत्री ने देश को सकते की स्थिति मे पनहुचा दिया था | इस बारे मे शायद दुनिया मे कोई ऐसा उदाहरण नहीं है जब इन हालातो मे नोट को बेकार करार दे दिया गया हो | युद्ध के बाद के हालत मे मुद्रा को संतुलित करने के लिए होता है | परंतु जिन कारणो को इस फैसले का आधार बताया गया वे विगत तीस दिनो मे पुष्ट नहीं हो पाये है
गोवा मे मोदी जी ने देशवासियों से वादा किया था की अगर पचास दिनो मे कालाधान -रिश्वतख़ोरी -आतंकवाद को कहातम ना कर दे तो आप चौराहे पर खड़ा कर सज़ा दे सकते है | परंतु प्रजातंत्र मे सज़ा स्वयं चुननी होती है जैसा ब्रिटेन और इटली के प्रधान मंत्री ने किया ||
ब्रिटेन के प्रधान मंत्री डेविड कैमरन ने यूरोपियन यूनियन मे देश के बने रहने या बाहर जाने पर देश मे जनमत संग्रह कराया था | उनका अनुमान था की ब्रिटेन के लोग यूरोप संघ मे रहना चाहेंगे | परंतु नाइजल ने देश के लोगो को समझाने की सफल कोशिस की ब्रिटेन का स्वतंत्र अस्तित्व ही आर्थिक रूप से फायदेमंद है | परिणाम यह हुआ की कैमरन को अपनी असफलता की कीमत इस्तीफा देकर चुकाना पड़ा यह था अपनी नीति के असफल होने का मूल्य | दूसरा उदाहरण भी यूरोपियन संघ की सदस्यता से जुड़ा है | इटली के प्रधान मंत्री मैटुये रेन्जी ने यूरोपियन संघ की सदस्यता के लिए देश के संविधान मे संशोधन के लिए देश मे जनमत संग्रह कराया | परिणाम की देश की जनता ने स्थानीय निकायो ने अपनी स्वतन्त्रता को बरकरार रखने के लिए प्रधान मंत्री की कोशिस को नकार दिया | एक दूसरा उदाहरण आस्ट्रिया मे हुए चुनाव से भी मिलता है जनहा नागरिकों ने दक्षिण पंथी उम्मीदवार को नकार कर नोर्बेर्ट होफनर को चुना | क्योंकि वे उद्योग के साथ ही अपनी अस्मिता को बनाए रखना चाहते थे |
परंतु नरेंद्र मोदी जी ने देश को काला धन - भ्रष्टाचार आतनवाद जैसे नारे देकर अपने नोटबंदी के फैसले पर मुहर लगवाना चाहा | और तीस दिन बाद अब वे कैशलेस और प्लास्टिक मनी की बात कर रहे है | मोबाइल से पेटीएम करने की सलाह देश के महानगरो मे भले ही सफल हो परंतु बहुत सी जगह अभी भी ऐसी ही जनहा सिग्नल नहीं मिलता | ऐसे मे यह कहना की नगर और शहर तथा कस्बो मे बिना नकदी के काम हो जैसे की काला धन के निकाल कर मुद्रा चलन मे लाना --परंतु जो अनुमान रिजेर्व बैंक ने कालेधन की राशि के बारे मे की थी ,,वह गलत सिद्ध हो गयी है | 14 हज़ार करोड़ के नोट चलन से बाहरा कर दिये गए ,एवं तीस दिनो मे बारह हज़ार करोड़ से अधिक की मुद्रा देश के बैंको मे जमा हो चुकी है | नकली और आतंकवाद को धन पोषित करने का दावा भी अपुष्ट ही रह गया | काश्मीर मे मारे गए आतंकियो के पास से नए नोटो की बरामदगी ने इस दावे को खारिज कर दिया है |


क्या अब मोदी जी प्रजातन्त्र की रिवायत को देखते हुए शानदार फैसला लेंगे ???

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