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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Dec 30, 2016

मोदी -मोदी हर हर मोदी फिर हे मोदी अब हाय मोदी

2014 से शुरू हुआ हर - हर मोदी का नारा 2016 के अंतिम दिनो मे अब हाय मोदी मे बादल गाय | जैसा की राम का नाम लेने के ढंग से अवसर की स्थिति का अंदाज़ हो जाता है | जैसा की महात्मा गांधी के अंतिम शब्द "”हे राम "” नितांत दुख और हत्यारे के लिए भी शायद उनके मन मे छमा का भाव रहा हो |

कुछ वैसा ही ही लोकसभा चुनावो मे विजय के बाद बहुसंख्यक लोगो को 14 लाख रुपये की आस लगी थी | परंतु हीला - हवाला करते करते नए - नए मुद्दे देश के सामने आते गए | जिनहोने चुनाव के सबसे बड़े "”वादे "” को जिसे मतदाता "”दावा" मान बैठा था | यद्यपि इस वादे को पूरा करने की कोई कानूनी व्यसथा नहीं थी | परंतु देश के 90% जनता तो प्रधान मंत्री उम्मीदवार के कथन को राजा का वचन मान बैठी | परंतु जो हो नहीं सकता था --उसे लोग सच मान बैठे |

फिर स्विस बैंक के काले धन के खातो की खोज की प्रक्रिया चली | उसमे भी कुछ सामने नहीं आया | फिर देश मे काले धन की अर्थ व्यवस्था को खतम करने की बात कही गयी | बड़े -बड़े भास्णो की बहरमार हो गयी कभी गाय कभी मुसलमान का भय दिखाया गाय | हालांकि सत्तारूद दल के "”पोषित "” संगठनो द्वारा जगह - जगह गौ मांस और गायों को कतलखाने ले जाने के शक मे अलपसंख्यकों की पिटाई और धुनाई हुई | पर भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यो मे कोई पुलीस कारवाई नहीं हुई | उत्तर प्रदेश मे हुई घटनाए इसकी गवाह है | आंदोलन कर के हिन्दू - मुसलमान का खेल खेला गया | जो भी आरोप लगाए गए थे वे सभी जांच मे गलत पाये गए | लेकिन तब तक इन सब मुद्दो पर समय की धूल जाम गयी |

अरहर के दल के आयात और मंहगे दामो पर बिक्री हो या अंबानी - अदानी को बंकों द्वरा 7000 करोड़ से अधिक के क़र्ज़ माफ करना | जब विदर्भ के किसान फसाल के खराब होने पर आतम हत्या कर रहे थे ---क़र्ज़ माफी ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया |
फिर आया 8 नाओवेंबर का दिन -जिस दिन ऐसा कुछ घटा जो दुनिया मे कभी नहीं हुआ | नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री ने टेलेविजन पर राष्ट्रीय प्रसारण द्वरा 1000 और 500 के नोट को "”वित्तीय "” लेनदेन के लिए अमान्य कर दिया | लोगो से वादा किया गया की "”ईमानदार लोगो को डरने की ज़रूरत नहीं है "” 50 दिन मे फिर अच्छे दिन आने के वादे को दुहराया गया | नोट बदलने के लिए बंकों के सामने लाइने लगना शुरू हो गयी |कहा गया की 14 लाख करोड़ की करेंसी पाँच सौ और हज़ार के नोटो मे है | इनमे ही काला धन छिपा है | परंतु बड़े व्यापरियो - डाक्टरों -वकीलो आदि को कभी लाइन मे नहीं देखा गया | लगे तो वे लोग थे जो निम्न वेतन भोगी या रोजंदारी काम करने वाले थे | ग्रामीण इलाको मे किसान भी लाइन मे लगे | उन्हे बीज --खाद के लिए पैसे नहीं मिल रहे थे | 50 दिनो मे रिजर्व बैंक और वितता तथा आर्थिक मंत्रालय द्वरा 60 संशोधन आदेश किए गए जो बंकों तक पाहुचने के पहले ही टीवी से ढिदोंरा पीटा जाता था | पहली बार सरकार की किसी योजना मे इतनी बार फेर बादल हुआ होगा ---यह अपने मे प्रशासनिक इतिहास मे एक "”कीर्तिमान"” ही होगा | अब इसे सफलता के लिए किया गया प्रयास कहे अथवा ''सनक'' मे मे किए गए फैसले को सही करने का प्रयास |
विवाह का मौसम होने के कारण लोगो को शादिया रद्द करनी पड़ी | फिर आया 2.50 लाख तक निकालने का आदेश जो की निमंत्रण पत्र दिखने पर मिलना था | फिर सहकारी बंकों को नोट लेने बदलने पर रोक लगा दी गयी | दबाव पड़ने पर सहकारी बैंको को काम काज करने की ईज़ाजत दी | तब तक किसानो की बुवाई का समय निकल चुका था | शादी वालो की दिक़्क़तों पर हँसते हुए पतंजलि के रामदेव का कहना था की बीजेपी मे अधिकतर लोग कुँवारे है इसलिए उन्हे इस बारे मे कुछ नहीं मालूम | पर शादीशुदा प्रधान मंत्री को ना मालूम हो ऐसा तो हो नहीं सकता | अब इसे लापरवाही कहे या नालयकीआप ही समझे ??

अब 2017 कैसा होगा जब की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके है की की वे 31 दिसंबर को राष्ट्र को संभोधित करेंगे | अब यह भी फिर हाय वाला होगा या हे राम वाला यह तो समय बताएगा | ?

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