तोड़
फोड़ को भी बिक्री बड़ाने का
विज्ञापन बनाया
मौजूदा
बाजरवाद की बयार मे उपभोग को
ही विकास और उन्नति का बैरोमीटर
मान लिया गया है |
दिन
-प्रतिदिन
काम मे आने वाली वस्तुओ के
विज्ञापन तो आम बात है |
पाँच
रुपये का बर्तन साफ करने वाला
झझवा हो या कपड़ा धोने का दस
रुपये का साबुन हो सबके विज्ञापन
चैनलो पर समाचारो के दौरान
भी गोलाबारी करते रहते है |
अन्य
कार्यक्रमों को प्रायोजित
करने वाले भी यही विज्ञापन
दाता होते है |
दर्शक
को भले ही उलझन हो परंतु विज्ञापन
है तो आवश्यक मजबूरी |क्योंकि
चैनल हो या अखबार पैसा तो इनहि
से आता है | चार
दशक पहले भी हालत कमोबेश ऐसे
ही थे --पर
इनके नियंताओ मे धन से ज्यादा
-सम्मान
की पहचान की हसरत होती थी |
आज बात
उलट गयी अब पहचान पैसे से होती
है ,,इसीलिए
उन्होने इज्ज़त और संयम की रोक
को खतम कर दिया |
इस
आलेख को लिखने का विचार ई कामर्स
की कंपनियो के व्यापार से आया
| घर
बैठे मनचाहा पाओ -दाम
भले ही कर्जे से चुकाओ या नकद
,,पर
ख़रीदारी जरूर करो |
दुनिया
की मशहूर कंपनी अमेज़न का
विज्ञापन टीवी मे बहुत आ रहा
है | इन
कंपनियो की रणनीति रहती है
की धार्मिक --सामाजिक
अथवा राष्ट्रीय अवसर हो इनका
बिक्री का विज्ञापन तैयार
|परंतु
इस कंपनी के विज्ञापन ने दो
बातो की याद दिलाई ---एक
तो काँच या शीशा का आविष्कार
होने पर जर्मनी मे घर =
घर
इंका उपयोफ खिड़की दरवाजो मे
किया गया था | मै
नाम भूल रहा एक युवक जो शीशे
के कारखाने मे काम करता था
--उसके
कारखाने की बिक्री घटने लगी
तो उत्पादन भी कम होने लगा |
इस
नौजवान ने सोचा की क्यो नहीं
शीशो को तोड़ दिया जाए तब लोग
नया शीशा खरीदेंगे |
शायद
हैम्बर्ग मे पत्थर मार कर
खिदकियों और दरवाजो के शीशा
तोड़ने की काफी घटनाए हुई |आखिर
मे उस बालक को पकड़ कर अदालत मे
पेश किया गया --उस
से पूछा गया की वह ऐसा क्यो कर
रहा है तो उसने कहा की जब मौजूदा
शीशे टूटेंगे तभी तो लोग नए
खरीदेंगे | ---शायद
अमेज़न के विज्ञापन का प्रेरणा
श्रोत्र यही रहा होगा |
की घर
मे जो है उसको तोड़ो फिर नया
खरीदने का मौका मिलेगा
इस
सब से कोई एतराज़ नहीं जिसको
जब जो चाहिए इनकी मदद लो और
मनपसंद चीज़ पाओ |
पर
आजकल दिखाये जा रहे विज्ञापन
मे तो यह दिखाया जा रहा है की
घर मे तोड़ फोड़ करके अथवा
दुर्घटनावश वस्तुओ की टूट -
फूट
हो जाये तो ---घर
वाले दांते -
फटकारते
नहीं – नाचते है की ---
अमेज़न
से खरीद का मौका मिला |लगता
है उपभोग की छीजो की इतनी बिक्री
हो चुकी है की अब लोगो ने ख़रीदारी
बंद कर दी है | इस
लिए बिजनेस प्रमोसान के लिए
तोड़ फोड़ करना जरूरी है |
उनकी
उत्पादो की बिक्री मे कमी का
कारण बाज़ार की मंदी है --नक़द
की कमी है |जो
विज्ञापन पर खर्च किए धन की
वसूली करने मे असमर्थ है |
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