संघ
-सरकार
और संगठन -
क्यो
सिंहस्थ पर उठ रही उंगलिया ?
समर्थक
क्यो अब विपक्ष के सुर मे सुर
मिला रहे है
जुलाई
के अंतिम तीन दिनो और अगस्त
के पहले सप्ताह मे भोपाल मे
राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ
और सरकार के नेताओ के मध्य कई
बार बैठके हुई |
इनमे
भारतीय जनता पार्टी और शिवराज
मंत्रिमंडल के सदस्यो से अनेक
विषयो और मुद्दो पर चरचा हुई
| सभी
बैठके संघ के स्थानीय मुख्यालय
''समिधा'
मे
हुई | मुख्य
रूप से प्रदेश मे सरकार की
छवि - विधायकों
और पार्टी के कार्यकर्ताओ
की शिकायतों तथा सबसे महत्वपूर्ण
विषय था सिंहस्थ मे हुए कथित
घोटाले को लेकर सार्वजनिक
स्तर पर की जा रही सतत टीका
- टिप्पणियॉ
जो सभी की साख पर प्रश्न चिन्ह
लगा रही है |
चूंकि
सिंहस्थ आयोजन मे सरकार -
संगठन
और संघ के पदाधिकारियों ने
भाग लिया था इस लिए लोगो के
मन मे इस आयोजन को लेकर जो
तस्वीर उभर रही है,
वह
एक उद्दंड संगठन और असफल सरकार
और नौकरशाही के दबदबे की है
| चूंकि
राज्य मे दो विधान सभा शहडोल
और नेपानगर मे उप चुनाव होने
है , इसलिए
यह शिवराज सरकार की लोकप्रियता
का लिटमस टेस्ट भी होगा ऐसा
संघ के सुत्रों का मानना है
| इस
चिंता का कारण राजधानी से सटे
इलाके मंड़िदीप और मैहर तथा
शिवपुरी के स्थानीय चुनावो
मे काँग्रेस की विजय है इस
जीत |से
ऐसे संकेत मिल रहे मानो भारतीय
जनता पार्टी का जनाधार या
लोकप्रियता का ग्राफ खिसकता
जा रहा है |
इसलिए
दो उप चुनावो को जीतना मुख्य
मंत्री की प्रतिस्ठा का विषय
बन गया है |
इन
बैठको मे इस बात पर भी विचार
- विमर्श
हुआ की पार्टी के विधायकों
द्वारा लगातार नेत्रत्व के
निष्प्रभावी होने की शिकायते
उठ रही है |
यानहा
तक की विधान सभा मे खनिज मंत्री
राजेंद्र शुक्ल को अपनी ही
पार्टी के विधायकों ने घेर
कर सवालो की झड़ी लगा दी|
यानहा
तक बीजेपी विधायक प्रजापति
ने सदन मे ही ज़िला खनिज अधिकारी
पर अवैध खनन का आरोप लगाते
चुनौती दे डाली की सरकार चाहे
तो जांच करा ले अगर मै गलत साबित
हुआ तो विधान सभा से इस्तीफा
दे दूँगा ,अन्यथा
खनिज मंत्री दोषी अधिकारी
के खिलाफ कारवाई करें ||
उसके
सनर्थन मे आठ -
दस
बीजेपी विधायकों ने भी अपने
- अपने
छेत्रों मे दबंगों द्वरा अवैध
खनन किए जाने और अफसरो द्वरा
इन ठेक्र्दारों को संरक्षण
दिये जाने का आरोप लगाया |
विधान
सभा मे सिंहस्थ आयोजन मे अरबों
रुपये के भ्रस्टाचार के आरोपो
के सवालो को नियम के सहारे खतम
कर देना ,,
और
मीडिया मे इस आयोजन के लिए
हुई खरीद मे घोटाले के सबूतो
के साथ छपती खबरों से सरकार
की नीयत पर प्रश्न चिन्ह लग
रहा है | जिस
से आम जन के मन – मे सरकार की
ईमानदारी और शुचिता संदेह
के घेरे मे आ गयी है |
संघ
पदाधिकारियों ने पार्टी के
कुछ कार्यकर्ताओ द्वारा
सार्वजनिक जीवन मे अभद्र
व्यवहार और असोभनीय भाषा के
बढते मामलो पर भी चिंता व्यक्त
की गयी | मंत्रियो
द्वारा अधिकारियों के कहने
के अनुसार फैसले लेने तथा
वास्तविकता को नज़्र्रंदाज
करने की शिकायतों को"”
समिधा
की बैठक ""मे
गंभीरता से लिया गया |सूत्रो
के अनुसार इसमे केंद्रीय
मंत्रियो -
प्रमुख
सांसदो तथा मंत्रियो से अलग
- अलग
सत्रो मे चर्चा की गयी |संघ
के नेताओ का कहना था की अभी भी
व्यापम गडबड झाले की गूंज कभी
उच्च न्यायालय और कभी -कभार
उच्चतम न्यायालय मे आती रहती
है | सुप्रीम
कोर्ट द्वारा व्यापाम को
राष्ट्रिय मुद्दा निरूपित
किए जाने की टिप्पणी से भी
परेशानी है |
ऐसे
मे सिंहस्थ क्या मुश्किल नहीं
पैदा करेगा ?
संघ
नेताओ की चिंता मौजूदा हालत
मे शिवराज की सरकार की "”साख"”
को
लेकर है |
क्योंकि
उत्तर प्रदेश के आगामी विधान
सभा चुनावो मे भारतीय जनता
पार्टी को स्वशाषित राज्यो
का रिपोर्ट कार्ड भी पेश करना
होगा | मध्य
प्रदेश मे उत्तर प्रदेश की
भांति कट्टर जातिगत ढांचा
नहीं है जिसकी राजनीतिक
प्रतिबद्धता हो |
हालांकि
विगत दस वर्षो मे जाति के आधार
पर राज्य मे भी फैसले लिए जाते
रहे है---परंतु
ऐसा सामाजिक संतुलन के लिहाज
से किया गया --ऐसा
जिम्मेदार मंत्रियो का कहना
है | वैसे
राजधानी समेत इंन्दौर जबलपुर
आदि मे विभिन्न जातियो के भवन
बने है | सरकार
ने इनके निर्माण के लिए भूमि
और वित्तीय अनुदान भी दिया
है | कुछ
एक भवन तो विशेस सम्प्रदायो
के भी है |
नेपाली
समाज के भी दो भवन है |परंतु
दक्षिण भारत के लोगो के लिए
मलयाली और तमिल असोशिएशन भी
है जो ज़मीन मे पैर रखने के लिए
तैयार है |
यह
सारी कवायद इन जातियो और वर्गो
मे अपने समर्थक तैयार ही करना
है | ताज्जुब
है की कुछ हज़ार वोटो के लिए
इतनी कसरत ?
फिलहाल
संघ अब एक बार जनसंघ के पुनर्जागरण
की तैयारी मे है |
जनहा
असहमति को अनुशासन के डंडे
से दबा दिया जाता है |
इसी
लिए संगठन मंत्री अब पुनः
उनही लोगो को बनाया जाएगा जो
आजीवन ब्रांहचारी रहने का
व्रत लेंगे |
इसके
अलावा पार्टी मे ऐसे विधायकों
और नेताओ को संघ के ''वर्ग'''
मे
लाकर उनका काया कल्प करने का
बीड़ा उठाया है |
मंत्रियो
के निजी स्टाफ मे काम करने
वाले भी इसी परीक्षा से होकर
गुजारे जाएँगे |
जिस
से की '''गोपनियता"”
बरकरार
रहे | यह
सारे उपाय उत्तर प्रदेश के
चुनावो लड़ाई की तैयारी के साथ
राष्ट्रिय स्तर पर विभिन्न
दलो से मिल रही चुनौतियों के
मुक़ाबले की है |
अब
इसमे सफलता और असफलता का हिसाब
तो आगामी समय ही देगा |
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