आतंकवाद
के अभियुक्त टुंडा और उसके
साथियो की रिहाई ??
बनाम
कन्हैया प्रकरण के तथ्य
बाबरी
मस्जिद गिराए जाने के बाद देश
के अनेक भागो हुए बम विस्फोटो
का आरोपी टुंडा एवं उसके चार
अन्य साथियो को देशद्रोह -
आतंकवाद
के जुर्म मे गिरफ्तार किय गया
था| जिसे
विगत शुक्रवार को बाइज्जत
बारी कर दिया गया |
इस
घटना का संदर्भ इसलिए समीचीन
है की जिस देशद्रोह का आरोप
जे एन यू छात्र संघ के नेता
कन्हैया पर लगा है उसकी अदालती
परिणाम क्या होगा |यह
समझा जा सकता है |
सालो
साल टुंडा का मुकदमा चलता रहा
परंतु एन आई ए अदालत मे ऐसा
कोई सबूत नहीं पेश कर पायी जो
''संदेह
से परे था ''' |
आजकल
सोश्ल मीडिया पर कुछ लोग ,
पड़े
लिखे भी उसे देशद्रोही आरोपित
करने से पूर्वा एक बार भी नहीं
सोचते की यह अपराध क्या है और
कौन से कार्य इस श्रेणी मे
आते है |
मुख्य
रूप से भारतीय दंड संहिता की
धारा 124 अ
मे बताया गया है की देशद्रोह
काया कहलाएगा |
इसी
धारा के दो स्पष्टीकरणों मे
यह भी साफ किया गया है की ''क्या
देसद्रोह नहीं होगा "''
अर्थात
यह धारा पूरे तौर से अपराध
को परिभाषित ही नहीं करती वरन
यह भी बताती है की आम तौर से
जिसे देशद्रोह समझा जाता है
वह क्यो नहीं अपराध होगा |
परंतु
लिखने वाले भूल जाते है ज़बान
उठा कर तालु से लगाकर भक से
बोल देने अथवा की बोर्ड पर
उंगली चलाने मात्र से आप किसी
को देशद्रोह का अपराधी नहीं
''कह'''
सकते
| परंतु
जो लोग अभिव्यक्ति की आज़ादी
के दुरुपयोग का आरोप जे एन यू
पर लगते है ---वे
भूल जाते है की वे स्वयं ही
दूसरे की बोलने की आज़ादी को
बाधित कर रहे है|
आप
तार्किक विचार रख सकते है
परंतु जो विवादित मुद्दा है
उसे एक व्यक्ति लिख कर ''सिद्ध””
' नहीं
कर सकता |
राजस्थान
पत्रिका द्वारा आयोजित विमर्श
मे अखिल भारतीय विद्यारथी
परिषद के महा सचिव विनय बिडे
ने कहा की "”
काइमपुस
मे राजनीति नहीं हो ,और
किसी पर "”लांछन
" नहीं
लगाया जाये | उनके
विचार सर्वथा उचित है परंतु
उनका संगठन क्या जे एन यू मे
राजनीति नहीं कर रहा है "”
अथवा
कन्हिया के चरित्र पर दोषारोपण
नहीं किया जा रहा है ??
कौन
कर रहा है यह बताने की ज़रूरत
भी नहीं है |
विद्यार्थी
परिषद की ही कणिका शेखावत ने
कहा की ''' राष्ट्र
विरोधी ''' गतिविधिया
बर्दाश्त नहीं होगी ,
ठीक
है परंतु राष्ट्र विरोधी
गतिविधिया क्या है उन्हे कौन
परिभाषित करेगा ?
क्या
एक खाश विचारधारा के चंद लोग
? या
देश का कानून अथवा संविधान
??
सीआरपीएफ़
की कोबरा बटालियन के डेप्युटी
कमांडर की ओर से एक बयान जारी
हुआ है , जिसमे
यह दावा किया गया है की "”लोग
उन शहीदो की अनदेखी कर रहे है
जो नक्सल हिंषा से लड़ रहे है
| यह
भी कहा गया है की वे जे एनयू
मे पड़े है | नाम
नहीं दिया गया है \
ताज्जुब
होता है की उन्हे यह नहीं मालूम
की कन्हिया के बड़े भाई जो
सीआरपीएफ़ मे सिपाही थे स्वयं
नक्सल हिंषा मे शहीद हुए है
| तो
अगर कमांडर साहब को पीड़ा है
उनदेखा किए जाने की तो उन्हे
गर्व होना चाहिए की उनके ही
एक शहीद के भाई ने "”शोषण"”
के
खिलाफ आवाज उठाई है ,और
वह उनसे कमतर नहीं है |
जो
लोग कैम्पस मे देश विरोधी नारे
लगाए जाने का दावा करते है
उन्हे हैदराबाद की फोरेंसिक
प्रयोगशाला की रिपोर्ट की
जानकारी होनी चाहिए |
जिसमे
साफ तौर से कहा गया है की पाँच
मे से दो सीडी मे छेड़छाड़ की
गयी है | मतलब
उसमे शॉट को बदला गया है |
यह वही
सीडी है जिनहे एक खास चैनल ने
चालय था | जबकि
बाक़ी सीडी मे ऐसा कुछ नहीं है
| इतना
ही नहीं घटना की मजिस्ट्रेट
जांच रिपोर्ट मे भी साफ -साफ
कहा गया है की देश विरोधी नारे
लगाए जाने का कोई ''प्रमाण'''
नहीं
मिला है |
इसी
तारतम्य मे देश के गृह मंत्री
राजनाथ सिंह का पहले दिन का
बयान की जे एन यू की घटना के
टार आतंकी संगठन हाफ़िज़ सईद
के संगठन लाशकरे टोईबा से जुड़े
होने खबर खुफिया एजेंसीओ को
मिला है | दूसरे
ही दिन दिल्ली के पुलिस आयुक्त
{{अब
अवकाश पा चुके }
बस्सी
ने बयान देकर इस घटना का कोई
संबंध आतंकी संगठनो से होने
बात नकार दी | अभी
जब पत्रकारो ने उनसे उनके बयान
के बारे पूछा तो उनका जवाब था
की दिल्ली पुलिस अपना काम कर
रही है | राजनाथ
सिंह को क्या जल्दी पड़ी थी की
बिना पूरे सबूत के ''अफवाह''
को सदन
मे कह दिया |
जनहा
तक अखिल भारतीय विद्यरथी परिषद
की गतिविधियो की बात करे तो
इल्लाहबाद विस्वविद्यालय
छात्र संघ की अध्यक्ष कुमारी
ऋचा सिंह को परेशान करने और
काम नहीं करने देने के विरोध
मे लड़कियो ने मुंह पर काली
पट्टी बांध कर मार्च किया है
| मैंने
इस पूरे प्रकरण को समझ कर लिखा
है | कोई
प्रतिवाद करना चाहे तो मई
उत्तर देने का प्रयास करूंगा
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