इस्लामिक
कट्टरता के खिलाफत का बिगुल
-ताजिकिस्तान
आज
दुनिया मे आतंक के अनेक चेहरे
देशो मे कहर बरपा कर रहे है |
चाहे
आई एस आई एस हो या तालिबन हो
या कोई लश्कर हो -नाम
कोई हो पर निशाना होते है
बेगुनाह इंसान जिंका इन
आतंकवादियो से को विरोध नहीं
होता ---सिवाय
इसके की वे आज़ादी से जीना चाहते
है | उधर
इस्लाम के नाम से ये तंज़िमे
आदमी औरतों और बच्चो का कत्ले
आम करती है वह निहायत अमानवीय
होता है | उनके
इस काम से सिवाय आतंक के ना तो
इस्लाम का भला होता है और नाही
किसी मिल्लत का |
मौलवियों
और मुल्लाओ द्वारा मस्जिद
से इस कट्टरता को बड़वा मिलता
है या नहीं यह एक विवादित मुद्दा
है , परंतु
यानहा से निकालने वाली सोच
ज़रूर खतरनाक होती है |
देख
कर चाहे वह दादी भरा चेहरा हो
या हिजजब पहने महिला यह मालूम
हो जाता है की वे किस मजहब के
है | ताजिकिस्तान
के राष्ट्रपति रेहमान ने नज़र
आने वाले इस पहचान को खतमकरने
का बीड़ा उठाया है |
उन्होने
12 हज़ार
लोगो की दादी को कटवा दिया
है ,और
1700 से
ज्यादा महिलाओ को राज़ी किया
है की वे हिजाब नहीं पहनेंगी
| देश
की राजनीतिक मुस्लिम पार्टी
को वनहा के सुप्रीम कोर्ट ने
गैर कानूनी करार दिया है |
यह
सब उस देश मे हो रहा है जंहा
85 प्रतिशत
आबादी सुन्नी है और 5
प्रतिशत
शिया है | इस
मुस्लिम बहुल राज्य द्वारा
इस्लामिक आतंक का विरोध करने
का यह भागीरथ प्रयास अन्य
देशो मे कितना मंजूर होगा यह
तो भविष्य ही बताएगा |
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