नया
संसद भवन - इतिहास
मे पहचान बनाने की पहल ?
अथवा
देश की धरोहर को नकारने की
कोशिस ?
वर्तमान
संसद भवन के स्थान पर नए भवन
की जरूरत,, प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी अपने
कार्यकाल की शुरुआत मे ही कह
चुके थे | अब
उसी को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा
महाजन ने दुहराया है |
इस
सुझाव का आधार '''स्थान
की कमी ''''बताया
गया" है
| अब
जिस भवन मे मात्र 75
दिन
ही एक साल मे कार्य हो रहा हो
, उसके
लिए अरबों रुपये का खर्चा कहा
से न्याय संगत है ?
वैसे
मौजूदा भवन को सौ साल भी बने
नहीं हुआ है ,, और
नए की मांग उठ खड़ी हुई है |
आखिर
जब केन्द्रीय सरकार वित्तीय
संकट से गुजर रही हो --अनेकों
जन हितकारी योजनाए केवल इस
लिए बंद की जा रही हो की सरकार
के पास वित्तीय संसाधन नहीं
है ,ऐसे
मे यह मांग कितनी जायज है -सोचने
की बात है |
बाते
जा रहा है की आस्ट्रेलिया
-सिंगापूर
मे नए संसद भवन का निर्माण
किया गया है ,अतः
यह मांग वाजिब है |
एक ओर
हम भारत को विश्व की महाशक्ति
बनाने की बात करते है ,
दूसरी
ओर हम तुलना ऐसे देशो से करते
है जो हमशे बराबरी नहीं कर
सकते | क्या
ब्रिटेन ने हाउस ऑफ कामन्स
के स्थान पर नया भवन बनया है
? क्या
अमेरिका मे काँग्रेस भवन का
पुनर्निर्माण किया गया ?
फ़्रांस
मे भी सैकड़ो वर्ष पुराने भवन
मे संसद लगती है |
इन
देशो ने अपने विधि निर्माण
स्थलो को देश और प्रजातंत्र
की धरोहर समझ कर बनाए रखा है
| यह
उनकी राष्ट्रिय पहचान भी है
,और
सैकड़ो वर्ष के इतिहास की गवाह
है | हम
इसलिए स्थान की कमी की बात कर
रहे की '''कुछ
नया कर जाये यह सरकार '''
जिससे
की इतिहास मे नाम हो जाए !
वैसे
संसद भवन का निर्माण 1921
से
शुरू हो कर 1926 मे
पूर्ण हुआ | इस
को सेंट्रल लेजिस्लेटिव
असेंबली के लिए बने गया था |
इसका
उदघाटन 18 जनवरी
1927 को
वॉइस रॉय लॉर्ड इरविन ने किया
था | पहली
लोकसभा मे सर्वाधिक बैठके
हुई थी जो सौ से ज्यादा थी |
उसके
उपरांत किसी भी लोकसभा मे सौ
बैठके नहीं हुई |
यद्यपि
नए लोक सभा परिसर की मांग
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा
कुमार ने भी की थी -एयक
समिति भी बनी थी ,फिर
वित्तीय तख़मीने के कारण सरकार
ने इसके निर्माण की योजना
दाखिल दफ्तर कर दी थी |
अब फिर
से उसी मांग ने सर उठाया है |
हमे
विचार करना होगा की क्या वास्तव
मे सांसदो के कामकाज के लिए
मौजूदा भवन मे स्थान की कमी
है ??
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