क्या
लोकसभा अध्यक्ष
ने चुनावी खर्च गलत दिखाया
??
एका
अध्ययन मे भारतीय जनता पार्टी
के पाँच सांसदों
के चुनावी खर्च मे काफी अनियमित
बरती जाने के तथ्य उजागर हुए
है | जो
की उनके निर्वाचन को ही "””अवैध
"”” सिद्ध
कर सकते है यह गड़बड़ी एक अध्ययन
|मे
सामने आई है |
वास्तव
मे यह मामला चुनावी खर्च मे
पार्टी के फंड और स्वयं के
द्वारा किए गए व्यय मे अंतर
से स्पष्ट हुई है |
जिन
सांसदों
के नाम इस अध्ययन मे उजागर हुए
है वे सभी मध्य प्रदेश के
भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज
नेता माने जाते है |
इनमे
लोक सभा की अध्यक्ष श्रीमति
सुमित्रा महाजन जिनहे इंदौर
के लोग सम्मान से "”ताई"””
कह
कर संबोधित करते है -इस
शब्द का मराठी मे अर्थ होता
है बड़ी बहन |
विगत
लोक सभा के चुनाव मे ताई इंदौर
से भारतीय जनता पार्टी के
उम्मीदवार के रूप मे चुनाव
लड़ी थी | वे
लगातार इस छेत्र से पाँचवी
बार विजयी हुई है |
लोकसभा
मे उनकी वारिस्ठ्ता को ध्यान
मे रखते हुए उन्हे इस संवैधानिक
पद का उम्मीदवार बनाया था |
निर्वाचन
आयोग मे 2014 के
लोक सभा निर्वाचन मे सफल होने
के बाद उम्मीदवारों द्वारा
अपने खर्चे का हिसाब निर्वाचन
आयोग मे जमा करना आवशयक होता
है | इस
खर्चे को किसी चार्टर्ड
अकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित
किया जाना भी ज़रूरी है |
इसी
प्रकार राजनीतिक दल ने अपने
किस प्रत्याशी को कितना "””धन
"”” दिया
इसका भी ब्योरा देना होता है
| यदि
इन विवरणो मे कोई वियस्ङ्गती
होती है तब उसे चुनाव "”निरस्त
"”” करने
योग्य माना जाता है |
:-
सुमित्रा
महाजन ने अपने व्यय विवरण मे
दिखाया है है की पार्टी ने
उन्हे
11 लाख
रुपये चुनाव हेतु दिये थे
जबकि
भारतीय जनता पार्टी द्वारा
आयोग को दिये गए विवरण मे
सुमित्रा
महाजन के नाम -कोई
भी धन राशि दिये जाने का उल्लेख
शपथ
पत्र मे नहीं है |
ऐसे
ही पूर्व प्रधान मंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी के भांजे और
राज्य के पूर्व
मंत्री
अनूप मिश्रा का है -जिन्होनें
भारतीय
जनता पार्टी की ओर से मुरैना
से
चुनाव लड़ा था -इनहोने
ने भी पार्टी द्वारा 15
लाख
रुपये दिये जाने
का
उल्लेख चुनाव -व्यय
विवरणी मे किया है |
जबकि
पार्टी के शपथ पत्र
मे
इनका कोई उल्लेख नहीं है की
इन्हे कोई भी धन राशि चुनाव
प्रचार
हेतु
दी गयी हो |
इस
श्रंखला मे तीसरा नाम पिछड़े
वर्ग के दबंग नेता
प्रहलाद
पटेल का है ,
जो
दमोह संसदीय छेत्र से बीजेपी
उम्मीदवार
के
रूप मे चुनाव लड़े और निर्वाचित
हुए | इनहोने
भी 3.5 लाख
की
धनराशि
पार्टी द्वारा दिये जाने का
दावा किया है |
परंतु
दल की ओर
से
दायर शपथ पत्र मे एक भी पैसा
दिये जाने का उल्लेख नहीं है
|
भोपाल
के युवा सांसद आलोक संजर ने
पार्टी द्वारा 18
लाख
की
आर्थिक सहता पार्टी द्वारा
दिये जाने का उल्लेख अपने
चुनावी
आय
- व्ययक
मे किया है परंतु भारतीय जनता
पार्टी ने अपने खाते से
इन्हे
मात्र 15 लाख
ही दिये जाना दर्शाया है |
राकेश
सिंह जो प्रदेश के महाधिवक्ता
रह चुके है जो जबलपुर
से
निर्वाचित हुए है उन्होने
25 .25 लाख
रुपये पार्टी द्वारा दिया
जाना
बताया है जबकि पार्टी ने इन्हे
मात्र 25 लाख
ही दिया जाना
बताया
है |
|इस
गड़बड़ी के कारण निर्वाचन नियमो
के अधीन इन सभी लोगो ने नियत
सीमा से अधिक खर्च किया है |
इतना
ही नहीं इनहोने खर्च बताने
मे भी गलत शपथ पत्र
दाखिल
किया है | इन
दोनों ही मुद्दो पर इन नेताओ
की लोक सभा की सदस्यता
खतरे
मे तो पद ही जाएगी --वरन
इन लोगो को चुनाव लड़ने के लिए
अयोग्य बताकर
लालू
प्रसाद यादव की भांति मैदान
से बाहर रह कए राजनीति करने
पर मजबूर किया
जा
सकता है |अब
देखना होगा की विपक्षी दल इस
मामले को कैसे लेते है |
No comments:
Post a Comment