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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Sep 15, 2015

मुद्दे से शुरू और मैनेजमेंट पर आई --अब झुकाव की जगह स्ट्राइक रेट

मुद्दे से शुरू और मैनेजमेंट पर आई --अब झुकाव की जगह स्ट्राइक रेट

बिहार विधान सभा की 243 सीटो के लिए राष्ट्रीय गठबंधन जिसमे भारतीय जनता पार्टी और राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति तथा उपेंद्र कुशवाहा की और जीतनराम मांझी है ,तो दूसरी ओर नितीश कुमार और लालू प्रसाद तथा काँग्रेस है | यूं तो कुछ और छूट पुट दल भी है जो भाग्य आज़मा रहे है | भाजपा के गठ बंधन मे 160 उसे मिले है और पासवान को 40 तथा कुशवाहा को 23 तथा मांझी को 20 सीट पर चुनाव लड़ना है | उधर नितीश की जदयु को 100 तथा लालू जी को 100 एवं काँग्रेस को 40 सीट मिली है |
मेरे मित्र जुगनू शारदेय के लेख मे आज चुनाव परिणामो को '''''भाखते'''' हुए एक नया शब्द खोजा है '''स्ट्राइक रेट ''' | चुनावी संभावनाओ मे पहल करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सड़क परिवहन के एक कार्यक्रम मे बिहार को '''स्पेसल पैकेज़'''' देने की और '''''डी एन ए"”” मे खोट की बात काही थी | जिसके उत्तर मे नितीश ने पैकेज़ को केंद्र की पुरानी देनदारी और का चिट्ठा बताया था | दोनों मामले मे काफी थुक्का फजीहत दोनों ओर से एक दूसरे की गयी | जिस से बिहार के विकास का ''मुद्दा '''' पीछे रह गया ,,और सीधे -सीधे वोट बैंक तथा ''''विजयी भाव ''' सामने निकाल आया | विजयी भाव का तात्पर्य जीतने की संभावना से है |जैसे जुगनू ने स्ट्राइक रेट को इसी भाव मे लिखा है | उनके अनुमान से भाजपा को 60 फीसदी सेटो पर जीतने की संभावना है | जो 102 बनता है | पासवान की शक्ति वो 25 प्रतिशत मानते है अर्थात 10 सीटो पर विजय निश्चित है | परंतु उनके अनुसार बीजेपी का विजयी भाव उन्हे दस से बारह और सीट दिला सकता है | मतलब सरकार बनाने के बिलकुल करीब | उधर नितीश और लालू के बारे मे कोई अनुमान नहीं लिखा है | जिस से उनका
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झुकाव परिलक्षित होता है | क्योंकि बिहार वासी होने के नाते और विभिन्न अंचलो के जातीय समीकरणों का उन्हे अच्छा ज्ञान है | यह भी स्पष्ट है की कौन सी जाती किस पार्टी के साथ जाएगी ,, क्योंकि बीजेपी ने भी इसी जातीय समीकरण को ध्यान मे रखते हुए उम्मीदवारों की लिस्ट की तैयारी की है | इस महामारी से बिहार मे कोई भी दल अछूता नहीं है | राजनीतिक पाखंड के चलते सभी दल सार्वजनिक रूप से इस से इंकार करेंगे | यह भी हक़ीक़त है परंतु सत्या फिर भी वही है |
उन्होने अपने आलेख मे वोट काटउआ पार्टियो का कोई ज़िक्र ही नहीं किया है -जो टाजूब वाली बात है | या तो उन्हे यह भान है की मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी जो 243 सेटो पर लड़ने का ऐलान कर चुकी है __ यह बात और है की नामांकन वापसी के दिन कितने बने रहते है यह देखना होगा | वैसे विगत चार चुनावो मे जिसमे लोक सभा भी शामिल है ---उनका रेकॉर्ड कार्ड "””शून्य "”” रहा है | परंतु 2010 के चुनावो मे उनके उम्मीदवारों को 6 लाख मत मिले थे | अब कुछ स्थानो पर ज़रूर ही वे "” घातक "”” बने होंगे -अब इसका विवरण नहीं है पर अनुमान तो है ही | दूसरी ओर सीमांचल मे जनहा मुस्लिम आबादी काफी प्रतिशत मे है और हारने - जिताने मे सक्षम है वनहा से ओवासी की पार्टी उतरेगी , ऐसा कहा जा रहा है |इस इलाक़े मे किशन गंज का इलाका आता है जहा से बीजेपी ने अपने कई कद्दावर नेताओ को चुनाव लड़ाया है परंतु "'विजय "”नहीं प्रपट हुई | उनके प्रवक्ता एम जे अकबर भी किसंगंज से निर्वाचित हुए थे --परंतु तब उनकी पहचान काँग्रेस थी | अब शायद पार्टी उन पर डाव नहीं लगाए |
एक बात स्पष्ट है की मोदी जी ने लोकसभा चुनावो का नुस्खा यानहा आज़माने की पूरी कोशिस की थी की "” मै यह दे दूँगा -मै यह कर दूँगा ....आदि "” परंतु उसका तुरंत प्रतिवाद हो जाने से मामला चल नहीं पाया | दोसरे चरण के दौरे मे उन्होने ''महा दलित ''' जीतन राम मांझी के मुख्य मंत्री आवास मे आम और लीची के पेड़ो पर पुलिस तैनात करने को उनकी जातियो का "””अपमान बताया "”” विगत दिनो दिल्ली मे बिहार निवास से मांझी जी को तीन दिन के आवंटन के पश्चात निकाले जाने का मुद्दा लाया गया | उसको चैनलो की बहस मे भी गरमाया गया | जब पत्रकार बंधुओ ने इसे '''तिल का ताड़ '' बताया तो भी कहा गया की पूर्व मुख्य मंत्री और महा दलित नेता का अपमान है | यानि अब विकास कोई चुनावी मुद्दा नहीं बचा है | क्योंकि जितना मोदी जी देश का विकास कर रहे है ----उतना विकास नितीश जी बिहार मे कर रहे है | अब वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट मे उद्योग और व्यापार के लिए "””बेस्ट "””राज्यो मे मध्य प्रदेश और छतीस गद को प्रथम पाँच मे स्थान मिला है और बिहार को 31व स्थान मिला है | अब सबको दिखाई देने वाला विकास तो सड़क और बिजली है ---तो बिहार की सड़के मध्य परदेश से बेहतर है यह काहीनल पर बैठे पत्रकारो ने भी कहा | और उद्योग के लिए कितने "” एम ओ यू "””” पर हस्ताक्षर हुए और उसमे कितने पलट कर आए यह समाचार पात्रो को "”विशेस खोज रपट "”” का विषय है जो किसी ना किसी मे अक्सर छपती रहती है | अक्सर क्या सदैव --ऐसे ''अवार्ड '''' और ;;;स्थान '''' जमीनी हक़ीक़त से कंही ''''बहुत दूर '''' होते है | रबी की फसल का रकबा कितना है और कितने मे बुवाई हुई और कितनी फसल बर्बाद हुई इसका आंकड़ा राज्य स्टार पर तो मिल जाएगा | पर अगर पड़ताल करने के लिए किसी तहसील का आंकड़ा मांगेंगे तो नहीं मिलेगा | फिलवक्त तो नामांकन के पहले सभी "””मीर "”” है अब कुछ रंग नामांकन के बाद लगेगा | तब ताक़ तो इंतज़ार करना ही होइएगा |\

इति

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