क्या
हिन्दी का अज्ञान सोनिया गांधी को प्रधान मंत्री
पद से दूर रखा ?
मनमोहन सिंह
जी को जिस समय सोनिया गांधी ने काँग्रेस संसदीय
दल के नेता के रूप मे प्रधान मंत्री के पद
पर मनोनीत किया उस समय ना केवल काँग्रेस सांसद वरन अन्य राजनीतिक दलो के नेता भी अचंभित रह
गए थे | उसके पूर्व भारतीय जनता पार्टी की
महिला नेताओ सुषमा स्वराज और उमा भारती ने सोनिया गांधी को प्रधान मंत्री पद से दूर रखने के लिए सर मुंडवा लेने की धम्की भी दी | कहा जाने लगा की राष्ट्रपति
कलाम ने उन्हे उनके जन्म स्थान इटली के कारण इस पद से विरत रहने की सलाह दी
थी | यद्यपि उन्होने बाद मे अपनी किताब मे स्पष्ट किया की “”यदि
सोनिया गांधी “” कहती तो मै उन्हे शपथ दिलाने
के लिए बाध्य था | क्योंकि
संविधान मे लोक सभा मे बहुमत प्राप्त दल या गठबंधन का नेता ही प्रधान मंत्री पद का दावा कर सकता है
|
परंतु
एक विचार यह भी आया की प्रधान मंत्री पद ना लेने का कारण उनका अल्प हिन्दी ज्ञान होना भी हो सकता है | विश्व हिन्दी सम्मेलन मे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्वीकार किया की
उन्होने उत्तर प्रदेश के ग्वालो को चाय बेचते
हुए हिन्दी सीखी | तब
एक विचार आया की पहले तीन प्रधान मंत्री तो हिन्दी भाषा के छेत्र सेआते थे | पहले राष्ट्रपति भी बिहार से आते थे | पंडित जवाहर लाल
नेहरू –लाल बहादुर शास्त्री और इन्दिरा गांधी
तो उत्तर प्रदेश से चुने गए थे | पर उनके बाद मोरार जी भाई देसाई
गुजरात के थे | उनके
बाद चरण सिंह भी उत्तर प्रदेश से थे | इन सब को देश की जनता से
संवाद करने के लिए हिन्दी भाषा का अच्छा ज्ञान था | अहिंदी भाषी नरसिम्हा राव तेलुगू थे परंतु उनका अनेक भाषाओ पर
अच्छी पकड़ थी | वे साहित्यिक भी थे | उनके
बाद गुजराल मूलतः पंजाबी थे परंतु उर्दू मिश्रित
हिन्दी बोलते थे | वे
संवाद कर लेते थे | देवगौड़ा जी कडिगा यानि कर्नाटक के थे उनके लिए अङ्ग्रेज़ी
ही संवाद करने की भाषा थी | फिर राजीव गांधी प्रधान मंत्री बने वे भी हिन्दी मे धारा
प्रवाह बोल लेते थे | फिर चंद्रशेखर सिंह प्रधान मंत्री बने |उनको भी हिन्दी पर पकड़ थी वे भी हिन्दी प्रदेश उत्तर प्रदेश से संबंध रखते
थे | मनमोहन सिंह भी गुजराल जी की तरह पंजाबी थे परंतु उन्हे
भी उर्दू - हिन्दी मिश्रित भाषा मे भली भांति
संवाद करते थे | नरेंद्र मोदी भी मोरारजी भाई देसाई की तरह गुजरात
से आते है |
इस
प्रकार यह तो स्पष्ट हो गया की हिन्दी भाषा
की जानकारी देश के प्रधान मंत्री पद के लिए नितांत ज़रूरी है | क्योंकि जम्मू –कश्मीर से लेकर राजस्थान – हरियाणा – मध्य प्रदेश और छतीसगढ
के अलावा उड़ीसा गुजरात और महाराष्ट्र मे कम से कम हिन्दी प्रभावी रूप से संवाद करने की भाषा तो है ही | यह सच्चाई मोदी ने सार्वजनिक रूप से से स्वीकार किया |
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