गौ मांस खाने के विवाद को लेकर बात इतना तूल पकड़ गयी की मोदी मंत्रिमंडल के दो मंत्री ही आमने - सामने आ गए | केन्द्रीय राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने जहा गौ मांस खाने वालो को पाकिस्तान जाने की बिन मांगी सलाह दे दी वही गृह राज्य मंत्री रिजिजू ने एक सवाल के जवाब मे कहा की मै बीफ खाता हूँ --- जिसे एतराज़ हो वो जाने | आखिर मे सरकार और पार्टी के सहयोगीयो और वारिस्ठ जानो के दबाव मे रिजिजु ने राज नेताओ की शैली मे """ अपने बयान """को तोड़ - मरोड़ कर प्रस्तुत किए जाने की सफाई देते हुए पूरी तरह से मुकर गए | हालांकि बाद मे उन्होने मीडिया को स्पष्ट किया की उत्तर भारत के हिन्दी भाषी राज्यो ने अपने यंहा गौ मांस पर """प्रतिबंध """ लगा रखा है | क्योंकि उनके यहा की जन भावना बीफ खाये जाने के वीरुध है | परंतु उन्होने यह भी कहा की जिस प्रकार महाराष्ट्र -गुजरात-राजस्थान मे सरकारो ने प्रतिबंध लगाया है वैसा कानून देश के उत्तर - पूर्व मे नहीं बनाया जा सकता , क्योंकि वहा की जन जतिया रोज़मर्रा के जीवन मे बीफ खाते है | रिजिजु के अनुसार यदि उत्तर बहरत के परदेशो के राज्यो को अपने नागरिकों का ख्याल """उचित"" है तो नॉर्थ -ईस्ट के राज्यो को अपने नागरिकों की भावनाओ और जरूरतों का ध्यान रखने की ज़िम्मेदारी है |
इस संदर्भ मे अगर हम मुद्दे की विवेचना करे तो पाएंगे की यह विवाद ""नितांत अवास्तविक "" है -- एवं अनावश्यक रूप से हिन्दी भाषी राज्यो मे ""उत्तेजना"" फैलाने भर का ईंधन का मसाला है | मुख्तार अब्बास नक़वी जो मुस्लिम है नब्बे प्रतिशत उनकी क़ौम के लोग मांसाहारी है | जबकि सनातन धर्म मानने वाले बहुसंख्यक शाकाहारी है | यानि यह साफ है की दोनों धर्मो को मानने वाले पूर्ण रूप से मांसाहारी नहीं है एवं ना तो सभी शाकाहारी है | अर्थात परंपरा - इच्छा - के अनुरूप दोनों धर्मो के लोग अपना ""आहार"" चुनते है | अब भारत के संविधान मे इतनी तो आज़ादी """अभी भी """ है ही की कोई भी नागरिक अपनी ""रुचि"" का आहार चुन सके |
यह सर्वविदित है की उत्तर - पूर्व के राज्यो मे गाय एवं भैंस का मांस बहुतायत से खाया जाता है | क्योंकि वहा बकरा या मुर्गा जैसे पालतू पशु अमूमन ना के बराबर है | दूध के लिए वे भी गाय और भैंस को पालते है , और बाद मे उनही का मांस खाते है | वाहा यह एक परंपरा जैसी है | अब उनकी परंपरा को ""भावना ""' के कारण गलत बताना या पाकिस्तान भेज देने की बात कहना तो नितांत ""गलत और गैर कानूनी "" है | उत्तर भारत मे जैन संप्रदाय मे हिंसा पूरी तरह वर्जित है | वे लोग ऊरी तरह से शाकाहारी है | उनमे कुछ लोग तो ज़मीन के नीचे के शाक - सब्जियों को भी प्रतिबंधित मानते है और उनका सेवन नहीं करते है | पंजाब मे सिख अधिकतर मांसाहारी पाये जाते है --परंतु उनमे भी जो लोग ""अमृत ''' पान कर लेते है --वे भी मांसाहार बंद कर देते है | एक ही परिवार मे दोनों ही विश्वासों के व्यक्ति पाये जाते है | पर कोई कलह नहीं होती | सब अपने विश्वास के साथ जीवन यापन करते है | गुजरात मे अधिकांश आबादी शाका हारी है , वनही महाराष्ट्र मे मिलीजुली है | सागर तटीय राज्यो मे अधिकांश आबादी मछली और अन्य समुद्री जीव का आहार करते है वनही कुछ लोग अनेक कारणो से ।केवल ""'धार्मिक कारणो """से तो क़तई नहीं शाकाहारी है | ऐसा लोग सोचते है की सनातन धर्म के ब्रामहण मानशाहरी नहीं होते है | परंतु यह धारणा भी पूरी तरह से """अवास्तविक """ है | बंगाल - केरल और गोवा बिहार और उत्तर प्रदेश के ब्रामहण भी मांस का भोग लगाते है | यहा तक की मैथिल ब्रामहण तो अधिकान्स्तः मांस को भोजन का भाग बनाते है | इसका धार्मिक कारण भी है - क्योंकि ये लोग ज़्यादातर शाक्त अर्थात देवी पूजक होते है और देवी पूजा मे ""बलि"" आवश्यक उपादान है | अतः वे इसे """महाप्रसाद """ के रूप मे स्वीकार करते है | अब यह तथ्य अन्य शाकाहारी ब्रामहण लोगो के लिए ""अत्यंत कष्टकारी """है | परंतु यह तथ्य भी है और सत्य भी है |
आज जब केंद्र सरकार स्वयं ही '''अंडा '''खाने के लिए प्रचार कर रही है तब किस भांति यह मांसाहार को """निसेध"""करने की बात कर सकतीहै | उपलब्धता ही किसी छेत्र के निवासियों के आहार का मुख्य आधार होता है | उत्तर -पूर्व के निवासियों को प्रोटीन दाल से नहीं मिल सकता -क्योंकि वहा दल का उत्पादन नहीं है | वहा उपलब्ध पशु का मांस ही उनके ""प्रोटीन "" की पूर्ति करता है |
अंत मे यही कहना होगा की वित मंत्री अरूण जेटली ने इस विवाद पर टिप्पणी की """ ऐसे विवादास्पद मुद्दो से बचना चाहिए """ मुख्तार अब्बास नक़वी को भविष्य मे किसी को पाकिस्तान भेजने की हिमायत नहीं करनी चाहिए ----क्योंकि यह सिवाय """लफ़्फ़ाज़ी""" के और कुछ नहीं है | वास्तविकता यह है की पाकिस्तान भी जिस - किसी को अपने यहा लेने के लिए उधर खाये नहीं बैठा है |- | भले ही बहुतों के मन मे पाकिस्तान के प्रति शत्रुता का भाव हो ----परंतु अभी भी भारत ने उसे ""शत्रु राष्ट्र"" नहीं घोसीट किया है | उनके साथ अभी भी बहुत व्यापार हम कर ही रहे है | जब तक वास्तविकता बादल नहीं जाती तब तक गिरिराज सिंह और मुख्तार अब्बास नक़वी जैसे लोगो को अपनी ज़बान पर लगाम रखनी चाहिए | कनही ऐसा ना हो की पाकिस्तान उनका ही प्रवेश निषेध कर दे |
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