Bhartiyam Logo
All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari
Jul 13, 2014
अभिभावकों की आफत --फीस या फिरौती ?
आज कल किसी भी शिक्षा संस्थान मे फीस का बड़ा गड़बड़ झाला है , क्योंकि सरकार द्वारा किसी भी स्तर पर इस बात
का प्रयास नहीं किया गया की कॉलेज या स्कूलो मे अन्य संस्थानो की फ़ीसों मे ""एकरूपता """ला सके | इसीलिए सदको - गलियो
मे खुले तथा कथित नाम के कान्वेंट स्कूलो की फीस भी आसमान छूती है |सिवाय सरकारी प्राइमरी स्कूलो या माधायमिक कालेजो मे
जनहा सरकार का फरमान चलता है , उसके अलावा अन्य सभी प्रकार के संस्थानो मे खासकर अल्प संख्यक समुदाय के शिक्षा संस्थान
तो बिलकुल निरंकुश है वे ड्रेस - दाखिले के नियम , किताब -कॉपी के खरीदने के बारे मे तथा "अनुशासन" के नाम पर जो होता है
उसे ""ज्यो का त्यो"" मानने मे बहुत कठिनाई है |
अभी हाल मे ही एक अखबार ने एक सर्वे किया ""पब्लिक स्कूल और कालेजो
का ,जिसमें दिल्ली- मुंबई - कोलकोतता - बंगलोर -पुणे- नागपूर के साथ ही भोपाल और इंदौर के संस्थानो """"का भी जायजा लिया
गया है | आप को यह जान कर ताजुब्ब होगा की भोपाल मे अगर औसत फीस 56 हज़ार से 76 हज़ार वार्षिक है , तो इंदौर मे यह फीस
45 हज़ार से लेकर 2.5 लाख तक है , जबकि यह फीस मात्र 76 हज़ार और मुंबई मे 43 हज़ार तथा कोलकता मे 44 हज़ार
और पुणे मे 54 हज़ार और नागपूर मे 58 हज़ार है सबसे कम फीस बंगलोरे मे 41 हज़ार है | केवल तमिलनाडु मे पब्लिक स्कूल की फीस
पर सरकार का पूर्णा नियंत्रण है | उपरोक्त फीस मात्र ट्यूसन - विकाश - एडमिसन फी-एवं लंच [अगर दिया गया ] |पहली कक्षा की
इतनी फीस यह तो बता देती है की """"""भारत मे गरीब लोग तो रहते ही नहीं """"""| सवाल है अगर तमिलनाडु सरकार शिक्षा
संस्थानो की फीस को नियंत्रित कर सकती है -----तब देश के अन्य राज्यो की सरकारे क्यो ऐसा कदम नहीं उठा सकती ?
इसका अर्थ यह है की या तो सरकार -- शासन के लोगो की मिली भगत है , या उनके खुद के शिक्षा संस्थान है | महाराष्ट्र और
कर्नाटका मे जीतने शिक्षा संस्थान है वे किसी न किसी पार्टी के मंत्री या सांसद की रियासत है | अब इन लोगो के स्वार्थ के कारण
फीस तो कम नहीं होगी ,जैसे मंहगाई कम नहीं होगी | क्या जनता अपने प्रतिनिधियों से यह पूछेगी की अगर तमिलनाडु मे कान्वेंट
स्कूलो की फीस नियंत्रित की जा सकती है तब मध्य प्रदेश मे क्यो नहीं ?????ज्वलंत प्रश्न ......
|
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment