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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari
Jul 30, 2014
कैसे हो हरियाली जब जंगल ही खतम किए जाये ?
30 जुलाई को जब वन मंत्री डॉ गौरी शंकर शेजवार मध्य प्रदेश मे एक करोड़ पौधो को लगाने की
की घोसना कर रहे थे , उसी सुबह पूना के आंबेगाओं तहसील के मालिन नामक गाव पहाड़ की मिट्टी खिसक जाने से तबाह
हो चुका था | एक बस ड्राईवर ने ने रोज की तरह जब सड़क और गाव को अपने स्थान से नदारद पाया तब प्रशासन
जानकारी मिली की सारा गाव मय आबादी समेत ""गायब"" हो चुका है | शासन के अनुसार ज्यतिर्लिंग भीमशंकर से दस किलो
मीटर की दूरी पर बसे इस गाव को सहयाद्रि पर्वत श्रंखला की तलहटी मे जुंगल काट कर बसाया गया था | पर्यावरण की विभिसिका
से लापरवाह प्रशासन की गलती का खामियाजा गाव वालों को जान - माल की बरबादी के रूप मे मिला | ऐसे मे वन मंत्री का
यह कहना की चालीस हेक्टर तक की वन भूमि का औद्योगिक उद्देस्य के लिए छूट दी जानी चाहिए , अब उद्योग किसके लिए
और किस कीमत पर सवाल यह उठता है ? वे एक करोड़ पौधे लगाने की बात करते है , जंगल बनाने के लिए पौधो को कितनी
भूमि की जरूरत होगी ,यह भी एक मुद्दा है और ऐसे मे वन छेत्र को कम करना कन्हा तक तर्कसंगत होगा?
उन्होने कहा वन्य जन्तुओ को प्रश्रय दिया जाएगा , कूनों अभयारण्य मे गिर के सिंह लाये
जाएँगे , अब सवाल यह भी उठता है की एक सिंह के लिए कितना वन छेत्र और उसके आहार के लिए कितने पशु उस वन मे
है ? आज जब भोपाल मे केरवा बांध के समीप तेंदुआ और अन्य जंगली जानवर विचरते है तो वनहा की आबादी मे डर तो
व्याप्त होता ही है? एक साल मे केवल दो बाघ ही मध्य प्रदेश के जंगलो मे बढे है | राज्य के एक अन्य अभयारण्य के बाहर
भी हिंसक वन्य जन्तुओ द्वारा आबादी मे घुस कर लोगो के जान और उनके पशुओ पर हमला करने की घटनाए अक्सर सामने
आती है | अब यह केवल इसलिए होता है की आबादी के कारण उनका विचरण कठिन होता जा रहा है ,साथ ही उनके भोजन
के लिए जो जन्तु जरूरी है उनकी संख्या और उपलब्धता कम होती जा रही है , इस कारण वे आस पास की आबादी मे पालतू
जानवरो पर हमला करते है , इस से ग्रामीणों मे भी तो रहता है साथ पशुओ के मारे जाने से उनकी आजीविका भी प्रभावित होती है |
इन हालातो मे वन छेत्र मे व्रद्धि तथा वन्य जन्तुओ की संख्या मे बदोतरी के साथ पर्यावरण की रक्षा करना
एक चुनौती है , ऐसे मे उद्योगो के लिए जंगलो को काटना कितना बुद्धिमानी पूर्णा कार्य होगा यह अपने आप मे एक ज्वलंत
प्रश्न है | समस्या गंभीर है और सरकारी अमले की बेरुखी इसे और खतरनाक बनाएगी ऐसा अनुमान है | अभी तक वन विभाग
यह स्पष्ट नहीं कर सका है की किन किन स्थानो मे कौन कौन से पौधे लगाए जाएंगे ?
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