कानून की निगाह में कौन हैं हैं किशोर ?
दिल्ली में दिसम्बर में हुए "दामिनी " बलात्कार काण्ड में एक आरोपी की आयु को लेकर सारे देश में समाचार पत्र -पत्रिकाओ से लेकर रेडियो और टीवी में बहुत बहस चली थी । परन्तु मामला अनसुलझा ही रह गया । बल्कि यह कहा जा सकता हैं की बहस पूरी - पक्की और मामला जस का तस । दिल्ली पुलिस ने विवेचना में उस 'अभियुक्त ' की उम्र को लेकर उसे " नाबालिग" करार दिया । ताज्जुब इस बात का हैं की जिस आदमी के पाशविक अत्याचार और अमानुषिक व्यव्हार के कारन "दामिनी " की असामयिक मौत हुई उसे ही कानून की कमजोरी का लाभ मिला ।
हांलाकि तब भी उसकी उम्र का सबूत स्कूल का प्रमाण पत्र था । हालाँकि यह मांग भी की गयी थी ,आरोपी की उम्र निर्धारण करने के लिए मेडिकल टेस्ट किया जाए , परन्तु पुलिस ने इस मांग को ठुकरा दिया । मज़े की बात हैं की स्कूल के प्रिंसिपल ने यह मंज़ूर किया की आरोपी के जन्म का प्रमाण पत्र , अर्थात अस्पताल का सर्टिफिकेट नहीं प्रस्तुत किया गया था । सिर्फ उसके पिता के कहने पर ही स्कूल में ज़न्म तिथि दर्ज की गयी थी । तब भी यह सवाल उठा था ,की क्या वह आदमी जिसने एक लड़की के साथ जघन्य व्यय्हार किया वह क्या एक "" किशोर '' का था ?
इस मुद्दे को लेकर जब मानवाधिकार संगठनो ने यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा" किशोर " ऐसा अपराध नहीं कर सकता ! परन्तु बीजिंग रूल्स में भी कहा गया हैं की ""अपराध की ज़िम्मेदारी के लिए उम्र का निर्धारण उसकी 'मानसिक और बौद्धिक परिपक्वता को '' ध्यान में रख कर किया जायेगा ."'। इस स्थिति में हमारे देश के कानून के अनुसार जो भी अट्टारह साल स्वय कम होगा वह किशोर ही माना जायेगा ।
अब इस विषय को सुप्रीम कोर्ट ने अपने संज्ञान में लिया हैं । इस मुद्दे को पहले एक जनहित याचिका के माध्यम से उठाया गया था । परन्तु जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमनियम स्वामी ने भी इस मुद्दे पर एक याचिका दाखिल की , तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस देकर पुक्षा हैं की सयुक्त राष्ट्र के बालको के अधिकारों के सम्मलेन और बीजिंग नियमो का उल्लान्घ्गन हैं , । क्योंकि जो अपराध अमानवीय और जघन्य किस्म का हो उसमें अभियुक्त की अपराध करने की छमता और उसके ज्ञान को ध्यान रखना होगा । वर्ना बलात्कार कर जान से मार देने का जुर्म करने वाले को "कतई किशोर नहीं माना जाना चाहिए , और नहीं उसको किशोर कानून का लाभ नहीं मिलना चाहिए , वर्ना यह कानून और न्याय व्यस्था का मजाक होगा । सरकार को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पस्ट करना होगा ।
दिल्ली में दिसम्बर में हुए "दामिनी " बलात्कार काण्ड में एक आरोपी की आयु को लेकर सारे देश में समाचार पत्र -पत्रिकाओ से लेकर रेडियो और टीवी में बहुत बहस चली थी । परन्तु मामला अनसुलझा ही रह गया । बल्कि यह कहा जा सकता हैं की बहस पूरी - पक्की और मामला जस का तस । दिल्ली पुलिस ने विवेचना में उस 'अभियुक्त ' की उम्र को लेकर उसे " नाबालिग" करार दिया । ताज्जुब इस बात का हैं की जिस आदमी के पाशविक अत्याचार और अमानुषिक व्यव्हार के कारन "दामिनी " की असामयिक मौत हुई उसे ही कानून की कमजोरी का लाभ मिला ।
हांलाकि तब भी उसकी उम्र का सबूत स्कूल का प्रमाण पत्र था । हालाँकि यह मांग भी की गयी थी ,आरोपी की उम्र निर्धारण करने के लिए मेडिकल टेस्ट किया जाए , परन्तु पुलिस ने इस मांग को ठुकरा दिया । मज़े की बात हैं की स्कूल के प्रिंसिपल ने यह मंज़ूर किया की आरोपी के जन्म का प्रमाण पत्र , अर्थात अस्पताल का सर्टिफिकेट नहीं प्रस्तुत किया गया था । सिर्फ उसके पिता के कहने पर ही स्कूल में ज़न्म तिथि दर्ज की गयी थी । तब भी यह सवाल उठा था ,की क्या वह आदमी जिसने एक लड़की के साथ जघन्य व्यय्हार किया वह क्या एक "" किशोर '' का था ?
इस मुद्दे को लेकर जब मानवाधिकार संगठनो ने यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा" किशोर " ऐसा अपराध नहीं कर सकता ! परन्तु बीजिंग रूल्स में भी कहा गया हैं की ""अपराध की ज़िम्मेदारी के लिए उम्र का निर्धारण उसकी 'मानसिक और बौद्धिक परिपक्वता को '' ध्यान में रख कर किया जायेगा ."'। इस स्थिति में हमारे देश के कानून के अनुसार जो भी अट्टारह साल स्वय कम होगा वह किशोर ही माना जायेगा ।
अब इस विषय को सुप्रीम कोर्ट ने अपने संज्ञान में लिया हैं । इस मुद्दे को पहले एक जनहित याचिका के माध्यम से उठाया गया था । परन्तु जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमनियम स्वामी ने भी इस मुद्दे पर एक याचिका दाखिल की , तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस देकर पुक्षा हैं की सयुक्त राष्ट्र के बालको के अधिकारों के सम्मलेन और बीजिंग नियमो का उल्लान्घ्गन हैं , । क्योंकि जो अपराध अमानवीय और जघन्य किस्म का हो उसमें अभियुक्त की अपराध करने की छमता और उसके ज्ञान को ध्यान रखना होगा । वर्ना बलात्कार कर जान से मार देने का जुर्म करने वाले को "कतई किशोर नहीं माना जाना चाहिए , और नहीं उसको किशोर कानून का लाभ नहीं मिलना चाहिए , वर्ना यह कानून और न्याय व्यस्था का मजाक होगा । सरकार को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पस्ट करना होगा ।
No comments:
Post a Comment