संस्कृति की रक्षा के दो पैमाने
भारतीय अथवा यह कहे की वैदिक संस्कृति की रक्षा का दावा करने वाले संगठनो का चेहरा भोपाल में हुए दो आयोजनों के दौरान उजागर हो गया । जब शासन द्वारा रविवार को स्वराज्य पार्क में एक विहंगम कार्यक्रम में जो ""राजा भोज की स्मृति "" में आयोजित किया गया था , उसमें संगीतकार शंकर एहसान लोय ने मंच से उद्घोसना की ""रॉक बेबी रॉक एंड ओनली रॉक "" पर ""कन्याये "" थिरकती रही और लोग ताली बजा ते रहे ।इसका आयोजन मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा किया गया था , जिसमें सरकार -संगठन के अलावा प्रशासन के आला अधिकारी परिवार जनों के साथ सर हिला - हिला कर और चुटकी बजा कर प्रमुदित हो रहे थे । इस कार्यक्रम के दौरान मंच से संगीतकार शंकर बारम्बार श्रोताओ में से लोगो को मंच पर आने का आग्रह कर रहे थे ,एवं उनके इसरार पर जीन्स कोट पहने लडकिया रॉक एंड रॉक करती रही । हालांकि कार्यक्रम का शुभारम्भ गणेश वंदना से हुआ , परन्तु बस वंही तक ही वैदिक संस्कृति की उपस्थिति कही जा सकती हैं , क्योंकि उसके बाद जो पश्चिम की बयार बही तो वह काफी देर तक जारी रही । संगीतकार एहसान का भोपाल प्रेम उस समय उजागर हुआ जब उन्होंने डांस करती हुई लड़कियों को कॉम्पलिमेंट देते हुये जुमला जड़ा की भोपाली वीमेन आर मोर राकार दैन मेन । इस पर युवाओ की और से आइ लव यू शंकर की आवाजे गुजती रही ।
वंही एक शिक्षा संसथान द्वारा आयोजित वार्षिक उत्सवमें बजरंगदल -संस्कृति बचाओ मँच द्वारा धरना और नारे बाज़ी की गयी । बात यंहा तक बढ गयी की पुलिस को वंहा पर पानी की मार करने वाले वाहन ""वज्र " को तैनात करना पड़ा । वाकया था नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी के वार्षिक आयोजन "फैशन स्पेक्ट्रम १ ३ "' का । शहर के बीचो बीच में स्थित ""समन्वय भवन "" में शनिवार को हुए इस आयोजन को एक जेबी संगठन के तथा कथित कार्य कर्ताओ ने ""भारतीय संस्कृति पर हमला बताते हुए नारे लगाते हुए हाल के अन्दर प्रवेश कर के आयोजन को बंद करने की मांग करने लगे । घपले की आशंका के कारण वंहा मौजूद पुलिस कर्मियों ने उन्हे दस मिनट तक तो विरोध प्रदर्शन करने दिया , उसके बाद उनको बाहर खदेड़ दिया । जंहा इंतज़ार कर रहे मीडिया के कैमरे मैनो को उनके नेता ने बताया की फैशन शो हमारी भारतीय सभ्यता के विरुद्ध हैं , हम इसको नहीं चलने देंगे । लगभग आधे घंटे चले इस नाटक के बाद , हॉल के अंदर कार्यक्रम जारी हुआ । "निफ्ट " - छात्राए केंद्र का एक शिक्षण संसथान हैं , और वार्षिकोत्सव ऐसे आयोजन निजी होते हैं सब लोग वंहा पर आमंत्रित नहीं होते हैं । विशेषकर संस्थान के छात्र - छात्राए साल भर में अपने किये हुए बेस्ट "' को दिखाते हैं , जैसे स्कूल में "प्रोजेक्ट " होते हैं । चूँकि यह" बड़ी ''' क्लास हैं इसलिए इसको "प्रेजेंटेशन'" कहते हैं ।अब अगर संस्कृति को "" बचाने ""का यह ढंग हैं तो इन्हे निफ्ट को ही बंद कराना होगा । क्योंकि यह टेक्निकल कौर्स हैं ।जिसमें छात्र -छात्राए डिग्री लेकर जीवन के संघर्ष में उतरते हैं । अब छात्र - छात्राओं से तो जोर -ज़बरदस्ती दिखा ली , परन्तु सरकारी आयोजन में जाने की हिम्मत इन संस्कृति बचाओ आन्दोलन में नहीं हैं ।
यही हैं इन संस्कृति के रखवालो के दो पैमाने , जंहा आपने से ज्यादा मज़बूत हुआ उधर से आँख फेर ली ,और जिधर कोई कमजोर दिखा उसे गुर्रा कर डराने लगते हैं ।झ्य़ाडा कमजोर हुआ तो हाथ पैर चला कर मार पीट करेंगे । ये कौन हैं अब आप भी समझ गए होंगे और इनकी ताक़त का भी अंदाज़ भी लग गया होगा ।
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