देश के बनावटी इतिहास लेखन की संघ की कोशिस !!
व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी में यूं तो विगत दस सालों से देश की आजादी संघर्ष को धूमिल करने की कोशिस होती या रही हैं | परंतु तब लगता था की यह कथन कुछ "”आती उत्साही दिग्भ्रमित और काम पड़े लिखे या यूं कहे की स्व के विचार से शून्य युवकों और सरकारी नौकरी से पेंशन ले रहे लोगों की भीड ही इस काम मे लागि हुई हैं | परंतु जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक डाक्टर मोहन भागवत ने दो अवसरों पर अत्यंत आपति जनक बयान देकर यह सिद्ध कर दिया की --- अफवाहों का श्रोत कन्हा हैं !! उनका यह कथन की की देश को सच्ची आजादी राम मंदिर के उद्घाटन के समय मिली ---- नितांत असत्य है {झूठ लिखना असंसदीय हैं } | अगर बात करे उनसे पूर्व के संघ प्रमुखों की , तो उनलोगों ने भी कभ आजादी के बारे में ऐसे "” निंदनीय"” बयान नहीं दिए | बहुत कुछ गुरु गोलवलकर जी की किताब में लिखे हुए से "”असहमत हुआ जा सकता है "” परंतु उन्होंने कांही भी यह नहीं कहा की 15 अगस्त को ब्रिटिश शासन से मुक्ति आजादी वास्तविक नहीं हैं !! यंहा तक की सावरकर ने भी आजादी की अहिंसात्मक लड़ाई और स्वतंत्रता प्राप्ति को निरर्थक बताया हो !! परंतु भागवत जी ने तो उन सभी मनीशियों को पीछे छोड़ते हुए -- बीजेपी के कतिपय अति उत्साही वीरों के सुर से सुर मिलते हुए , यह सिद्ध कर दिया की देश मे आजादी के बाद का समय जैसे "”था"” ही नहीं ! देश मे जो कुछ भी हुआ वह सब 26 मई 2014 के बाद ही हुआ !! देश के इतिहास मे ना तो उनके पूर्ववर्ती प्रधान मंत्रियों और खास कर काँग्रेस शासनकाल और अन्य सरकारों प्रधान मंत्रियों का कोई योगदान रहा ही नहीं , बल्कि भिलाई जैसे स्टील कारखाने आईआईटी आईआईएम एम्स आदि की स्थापना "” आकाशी "” दें हैं !!! अब भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसमे महात्मा गांधी के योगदान को मिटाने की यह निंदनीय कोशिस कभी भी सफल नहीं होगी ,भागवत जी |
कुछ ऐसे ही वचन संघ के प्रदेश प्रभारी ने ज्ञानोदय विद्यालय के छात्रों को संभोदित करते हुए कहे | उन्होंने कहा की केवल मोदी सरकार ने ही संविधान और बाबा साहब अंबेडकर की सिफारिशों को पूरी तरह से पालन किया | काँग्रेस और अन्य दलों की सरकारों ने देश के विकास मैं कोई योगदान नहीं था बल्कि वे संविधान विरोधी थे !!! अब इसको तो सरकार के गज़ट भी नहीं सिद्ध कर सकते | क्यूंकी देश के सटीक कारखाने भिलाई -- दुर्गापुर और बोकारो तथा भाखर नांगल और हीराकुड जैसे बांधों और उनकी सिंचाई व्यवस्था , और पनबिजली उत्पादन का काम तो नरेंद्र मोदी के राजनीति मे आने से पूर्व हुआ था |
एक और बयान जो की काफी विवादास्पद है वह मोहन भागवत जी ने इंदौर मे देवी अहिल्या के स्मरण उत्सव मे दिया था | उन्होंने कह था की देश की "”रोजी - रोटी का रास्ता राम मंदिर हो कर जाता हैं !! “” अब या तो उन्हे देश मे युवकों मे बेकारी की बड़ती संख्या का अनुमान नहीं है अथवा वे जानबूझ कर सत्य को छुपाना चाहते हैं |
पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वरा स्थापित किए गए आईआईटी को देश की ही नहीं वर्ण एशिया की बहुत अच्छी शिक्षण संस्थान माना जाता है | आज से दस वार्स पूर्व इन सस्थानों के छात्रों को कैंपस सेलेक्सन से लाखों तो क्या कुछ एक को करोड़ों रुपये के सालाना के पैकेज की नौकरी मिल जाती थी | उस समय इन संस्थानों मे भर्ती को स्वर्णिम नौकरी का प्रवेश द्वार मन जाता था | विगत दस वर्षों मे ,यानि की नरेंद्र मोदी जी की सरकार मे बाम्बे आईआईटी जो की दुनिया के सरवोतम अभियांत्रिकी संस्थानों मे एक है ---- वनहा के छात्रों को नौकरी मिलन मुश्किल है | एक सर्वे के अनुसार विगत तीन वर्षों मे मात्र 37 प्रतिशत छात्रों का ही चयन कैंपस मे हुआ !!! इसस बुरा हाल अन्य आईआईटी संस्थानों का हैं | अब भागवत जी से पूछना होगा की इन होनहार विद्यार्थियों की यह दशा तो राम मंदिर निर्माण के बाद क्यू हो रही है ----अगर देश रोजी -रोटी का रास्ता राम मंदिर से होकर जाता हैं ??????? यही हाल देश के आईआईएम संस्थानों का है | वणः से पास आउट होने के बाद महीनों तो क्या साल से भी ज्यादा नौकरी पाने मे लगते हैं | भारत सरकार की रिपोर्ट भी देखि जा सकती हैं | देवी अहिल्या राष्ट्रीय पुरस्कार के जिस आयोजन मे भागवत जी बोल रहे थे ---उसमे यह पुरस्कार विश्व हिन्दू परिषद के चंपत रॉय को दिया गए , जो की राम मंदिर ट्रस्ट के करता -धरता हैं !
लगता है चंपत रॉय की हाजिरी ने उन्हे सामाजिक संगठन के मुखिया को कुछ जयद ही धार्मिक बना दिया था | भारत वर्ष को उन्होंने राम - कृष्ण और शिव का स्वर बताया | अब भागवत जी से कौन पूछे की महराज सनातन धर्म मे मुख्य रूप से तीन शाखाये है पहला वैष्णव अर्थात राम और कृष्ण जिसमे इन दोनों के अनेक रूप शामिल है | दूसरा शैव ,जिसमे शिव की अनेक रूपों मे उपासना की जाती है और तीसरा है शाक्त , अर्थात इसमे देवी को अनेकों रूपों मे पूजा जाता है | इनके अलावा बौद्ध और जैन धरम मानने वाले है | एक बहुत बड़ी आबादी जिसमे हमारे आदिवासी भाई बहन शामिल है -उनके आराध्य अनेक नामों से जाने जाते है | इसलिए सम्पूर्ण भारत को राम - कृष्ण और शिव मे नहीं बांध जा सकता है | आदि गुरु शंकराचार्य ने बौद्ध धरम के प्रसार को शास्त्रार्थ द्वरा पराजित किया था ---किसी बुलडोजर या सरकारी तत्र के आतंक से नहीं | भागवत जी के शब्दों मे पाँच हजार वर्ष पुरानी हमारी परंपरा मे वेद प्रथम है | वे राम और कृष्ण के अवतार से भी पूर्व के हैं | क्यूंकी चारों वेदो मे से किसी में भी राम या कृष्ण का वर्णन नहीं मिलता हैं | ऋग्वेद की प्रथम सात ऋचाये अग्नि को समर्पित है | बाकी अन्य भी प्राकरतिक शक्तियों की उपासना और आराधना है | भागवत जी यह देश वेदो के समय से है --- राम या कृष्ण से नहीं |
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