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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 29, 2025

 

औसविज नर संहार था -तब गाजा मे क्या हुआ ?


नाजी अत्यकहर के स्मारक के रूप में औसविज यंत्रणा शिविरों की 80 वी यादगार दिवस में ब्रिटेन के महाराज चार्ल्स और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुयल और रूस के हमले की मार सह रहे जेलेन्सकी की माउजूदगी ने यहूदियों पर हुए अत्याचार को तो स्मरण कराया ------परंतु इस्राइल द्वरा फिलिसतिन के गाजा छेत्र में अरबों के हुए नर संहार जिसमे 45000 लोगों की मौत हुई --उसे अनदेखा कर दिया | कम से कम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान ने तो बर्बाद गाजा छेत्र को रियल स्टेट की भांति बताते हुए ट्रम्प ने उस इलाके का विकास पर्यटन के लिए किए जाने की बात कही ! दस लाख से ज्यादा एकतरफा युद्ध की विभीषका से बचे लोगों के दुखों पर नामक छिड़कने जैसा ही हैं | ट्रम्प का यह बयान की गाजा छेत्र के निवासियों को कांही और जा कर बसना चाहिए ! यह शब्द उस नेता के हैं जिसने बेहतर ज़िंदगी की खोज मे आए हजारों मेक्सिकन -कॉलम्बियान - पेरू अन्य देशों से आए आप्रवासियों को जबरन उनके देश वापस भेज दिया ! जिस नेता का लँगोटिया यार दुनिया का सबसे आमिर व्यक्ति एलेन मस्क ने जर्मनी के चांसलर के चुनावों मे शरणार्थियों को देश निकाला देने की मांग करने वाली राजनीतिक दल का खुला समर्थन करके नया केवल उस राष्ट्र के चुनावों मे "”विदेशी "” हस्तकचेप किया बल्कि लोकतंत्र के उदार चेहरे को दागदार भी किया |

इतना ही नहीं सालों से अफ्रीका के कांगो और सूडान में हो रहे कबीलों के झगड़ों मे अब तक की लाख लोगों की जान जा चुकी हैं | परंतु दुनिया के देश यूक्रेन और रूस के संघर्ष की ही बात करते हैं | लगता है की दुनिया मे एक बार फिर "””” गोरे लोगों

की ही जान को "”” महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं | जैसे

की दास प्रथा के जमाने में होता हैं | ट्रम्प ने भी अपनी नीतियों को गोरे अमेरिकनों को केंद्र में रखा हैं | हालांकि दक्षिण अमेरिका के देशों से संयुक्त राज्य अमेरिका आए गोरे और पीले लोगों को दास प्रथा के समय की याद दिला रहा हैं |

मतलब दुनिया से अभी "” रंगभेद "” खतम नहीं हुआ है , बल्कि ट्रम्प जैसे लोग आबादी को विभाजित करने को ही उचित मानते हैं --क्यूंकी उस नीति से वोटों का ध्रुवी करन होता हैं जो चुनाव में फलीभूत होता हैं | लगभग दुनिया के सभी लोकतंत्र देशों मे { यूरोप } के कुछ देशों को छोड़कर जन्हा की सारकारे अपनी जनता के प्रति ईमानदार हैं |वनहा सत्ता का केन्द्रीकरण नहीं हैं | जैसा की बेलारूस मे तीस साल से चले आ रहे राष्ट्रपति लुकाशेंको को फिर "”चुन "” जैसा लिया ! हालांकि उनके चुनाव को निसपक्ष तो बिल्कुल ही नहीं कहा जा सकता | जैसा उनके दोस्त रूस के ब्लादिमीर पुतिन भी दशकों से सिंहासन पर बने हुए हैं |

इस्लाम माने वाले अरब और अफ्रीका के काले लोग संयुक्त राष्ट्र संघ और दुनिया के बड़े देशों की नजरों मे वैसी ही स्थिति मे है ----जैसी की भारत मे दलितों की हैं | की दलित की शादी करवाने के लिए पुलिस के 70 जवान पहरेदारी मे कगाए गए -क्यूंकी दूल्हा घोड़े पर बैठा था ---जो ऊंची जाति के लोगों को पसंद नहीं | वैसे ही अमेरिका के गोरे लोगों को दूसरे देश के इसी गोरे भी नहीं बर्दाश्त है ---क्यूंकी वे उनके क्लास के नहीं !इस्लाम मानने वाले देश भी भीफिलिस्टिन के अरब निवासियों की मदद के लिए आगे नहीं आ रहे हैं | ट्रम्प ने जोर्डन और मिश्र से कहा था की वे दस -दस लाख फिलिस्टिनी शहरणरथियों को अपने यंहा बसाये | एक ओर अमेरिकी नेता अरब राष्ट्रों से गज के लोगों शरण देने की सलाह देता है ------दूसरी ओर खुद देश मे बसे हुए लोगों को सेना की सह्यता से निकाल रहा हो |यही पाखंड अब यूरोप की राजनीति का आधार बंता जा रहा है |

किस्सा कोताह यह की ---- हम करे तो रामलीला तुम करो तो करेक्टर ढीला |

Jan 25, 2025

 

कुम्भ के साधुओ ने भी धर्म पर की मन की बात बनाम साधु कहे मन की बात !का आयोजन हुआ

 

अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रम्प को एक महिला धरम प्रचारक मारियाँ बुड़े चेतावनी देती हैं की वे "ऐसा कुछ ना बोले ,जिसके लिए उन्हे बाद में पछताना पड़े ! उनका इशारा अवैध आप्रवासियों को अमेरिका से खदेड़ने की धमकी से था वरन वे आग्रह करती है की वे सभी असहाय और निर्बल लोगों के प्रति करुणा और दया का भाव रखे || जबकि भारत में महा कुम्भ में नरेंद्र मोदी जी की मन की बात के तर्ज पर पाँच दशनाम अखाड़े के स्वामी प्रकाशनन्द ने 25 जनवरी को दो बजे दिन में "”” साधु कहे मन की बात "” |का आयोजन किया |जिसमे सभी अखाड़ों और संप्रदायों तथा परंपरा के साधु भाग लेंगे | वैसे परंपरा रही है की आश्रमों या मठों से सत्ता शिक्षा या सीख लेते रहे हैं , परंतु यह इक्कीसवी सदी मे होगा की उलटी गंगा बहेगी | भगवा द्वरा सत्ता का अनुगमन किए जाने का पहला ही अवसर होगा | ईसाई धरम के प्रति भगवा का विष वमन तो होता ही रहता हैं -- परंतु शायद किसी भी मंडलेसवार या महंत अथवा सन्यासी मे यह साहस नहीं है की वो वर्तमान सत्ता को "” दया और करुणा "” का पाठ पड़ाये | हालांकि एक मुख्य मंत्री जो खुद भी एक मठ के मुखिया है और भगवा धारी है ----- वे तो सदैव प्राचीन गौरव के नाम पर मुसलमानों को पर निशाना ताने रहते है , उनका बुलडोजर भी सिर्फ मुसलमानी के ही अतिक्रमण को गिराता हैं | यह अंतर हैं दोनों धरमों के प्रचारकों में |

यूं तो ईसाई धर्म में भी प्रचारकों द्वरा अनीतिक कर्म किए गए हैं --परंतु उन पर चर्च द्वरा कारवाई की गई उनको "”धार्मिक लबादा "” जैसे हमारे यंहा :””:भगवा "” होता है ---उसे उतरवा दिया जाता हैं | जैन धर्म में यदि कोई मुनि पंथ के नियमों की अवहेलना करता है --तो उसे चीवर उतार कर ग्रहस्थों के कपड़े पहनने को कहा जाता हैं | परंतु भगवा धारियों पर आपराधिक मुकदमे भी चले और सिद्ध भी हो जाए तो वे मठ के मुखिया तब तक बने रहते है "”” जब तक की अदालत उन्हे जेल नया भेज दे "” ! उदाहरण के लिए "”संत आशा राम "” तथा "”बाबा राम रहीम "” वीज़े अनेकों और उदाहरण है परंतु --नया तो वे अपना "”वेश"” बदलते है और ना ही उन्हे पद से हटाया जाता हैं | वरन कभी -कभी तो इन लोगों के प्रभाव का इस्तेमाल चुनाव मे भी होता हैं -----उसके लिए राज्य सरकार उन्हे "”पैरोल "” देती रहती है --जैसा बाबा राम रहीम के मामले मे हुआ |

Jan 24, 2025

 

धरम प्रचारक --सत्ता से भयभीत नहीं होते -वे सच कहते हैं 

 

 

जनवरी बीस को अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के पश्चात जब वे नेशनल कथेड्रल मे धार्मिक सभ मे पहुंचे ----तब उनके लिए एक अचरज प्रतीक्षा कर रहा था ! जिसकी कल्पना किसी को भी नहीं थी | हाल में ईसाई संप्रदाय के अनेक शाखाओ से धर्म प्रचारको ने अपने - अपने ढंग से उनको शुभ कामन्ये दी | परंतु वाशिंगटन की एपीस्कोपल बिशप

मेरियाँन एडगर बड़ ने अपने "”सरमन {उपदेश} मे राष्ट्रपति को कहा की वे अवैध आप्रवासियों पर दया करे ---उन छोटे छोटे बच्चों पर दया करे जो यंहा बेहतर ज़िंदगी के लिए आए हैं | उन्होंने कहा की ट्रम्प किन्नरों पर भी दया दिखाए क्यूँ की वे भी बेसहारा हैं | उन्होंने ट्रम्प को सभी कमजोर स्त्री पुरुषों के प्रति सद्भाव रखने की सलाह दी |

आम तौर पर शपथ ग्रहण के बाद सामूहिक प्रार्थना सभा एक औपचारिक्ता होती हैं | परंतु ट्रम्प ऐसे महापुरुष के लिए यह आयोजन भी उन्हे और उनकी घोषित नीतियों को आईना दिखा देने वाला साबित हुआ | जिस समय बिशप बड़ प्रवचन दे रही थी ,उस समय उन्होंने राष्ट्रपति को सलाह दी की वे ऐसा कुछ नया कहे ---जिसके लिए उन्हे बाद मे शर्मिंदा होना पड़े | वैसे बड़बोले ट्रम्प इतने बहादुर है की वे गलत साबित हो जाने के बाद भी "”यही रट रट लगाए रखेंगे की "”मैं सही हु और सही ही रहूँगा !!”” जैसा उन्होंने डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बाइडें से राष्ट्रपति का चुनाव हार जाने के बाद --- आरोप लगाते रहे की चुनाव मे गड़बड़ी की गई है --| और उन्हे हरवाया गए हैं | यंहा तक की उन्होंने अपने उप राष्ट्रपति {तत्कालीन} को चुनाव परिणाम "”काँग्रेस "” के सामने घोषित करने से मना किया | उप राष्ट्रपति और अन्य अफसरों पर ट्रम्प द्वरा भड़काए जाने पर हुड़दानगियों ने काँग्रेस भवन में "”तोड़ फोड़ "मचा दी थी \ |

2 - एक तरफ नितांत अकेली महिला ने दुनिया के सबसे ताकतवर राष्ट्रपति को शीशा दिखा दिया | दूसरी ओर इलाहाबाद मे हो रहे अरबों रुपये के सरकारी खर्चे से हो रहे धार्मिक आयोजन की हकीकत बताने की हिम्मत वनहा के भगवाधारियों मे नहीं हैं | वे अपनी बिरादरी के सन्यासी से मुख्यमंत्री, यानि त्याग से राजभोग को प्राप्त हुए योगी आदित्यनाथ को यह नहीं बताया सक रहे हैं की "””बाहर से आ रहे लाखों तीर्थ यात्रियों को परिवहन और ठहरने की बहुत असुविधा हो रही हैं | आग लग रही हैं व्यावस्था चरमरा रही हैं ,पीने के साफ पानी का अभाव है | परंतु कुछ सैकड़ा भगवधारी साधुओ --मंडलेसवार - पीठाधिस्वर -- अखाड़ा परिषद और "”” अन्य"” ऐसे साधुओ के संगठन की "”””बैठक 27 जनवरी को "”धरम संसद "”बुलाई गई हैं |जिसमे सनातन धरम में व्याप्त कुरीतियों के बारे में चर्चा नहीं होगी << वरन सभी सनातनी एक है, , वक्फ बोर्ड के पास दस लाख एकड़ भूमि कान्हा से आ गई ?? साथ ही इस्लाम की भांति एक धार्मिक स्थानों को नियंत्रित करने के लिए एक बोर्ड गठन की भी मांग है | \!!

अब इन, “” कथा वाचकों ---किरतनियों -- और उपदेश कर्ताओ "” को बस यही कष्ट है की केवल बड़े - बड़े मंदिरों के पास ही संपती ही ! चौबीस हजार टन सोना घरों मे हैं | देश के दर्जनों मंदिरों के पास सैकड़ों एकड़ खेतिहर जमीन है | पूरी के जगन्नाथ मंदिर की भूमि में साल भर धान की खेती होती है और उपज से प्रसाद बंता हैं | आंध्र में तिरुपति मंदिर की भूमि अनेक राज्यों में हैं | केरल के पड़नाभ मंदिर में कितना सोने और रत्नों का भंडार है यह मालूम नहीं | क्यूँकी मंदिर के तहखाने मे भंडार को खोल ही नहीं जा सका ------क्यूँकी उसमे कोई ताला नहीं लगा है ----बल्कि कहते है की वह एक विशिस्ट मंत्र के उच्चारण की ध्वनि से ही खोल जा सकता हैं |


हे धरम संसद को आहूत करने वाले भगवधारियों -- स्वामियों - पीठाधिस्वार -- महामंडलेसवार --- अखाड़ा और अनेक पंथों के मुखिया लोगों मे अधीकतार सिर्फ "”””प्रवचन और कथा उपदेश करते हैं "”” जिसकी

लंबी चौड़ी फीस भी लेते है ---जैसी कवि सम्मेलनों और मुशायरों मे भी दी जाती है | जान्ह तक कथा वाचकों और कीर्तनकार --जगराता करने वाले भी "””धरम प्रचारकों की इस भीड में शामिल हो जाते हैं |


धर्म संसद का एजेंडा :------ 1. वक्फ बोर्ड की तरह से सनातन बोर्ड का गठन हो | अब इसमे बहुत मतभेद होंगे , जैसे शक्ति उपासकों ,में भी अनेकों देवीया के मंदिर और अनुयायी हैं | हिमाचल से लेकर केरल तक शक्ति उपासक मिलेंगे | फिर शैव -शिव मंदिर लगभग देश के सभी हिस्सों मे है -- यंहा तक की आदिवासी समुदाय भी बड़े बाबा के रूपमे पानी देता हैं | इसी श्रेणी में उत्तर भारत मे गणेश और दक्षिण भारत मे कार्तिकेय है | वैष्णव संप्रदाय में विष्णु और उनके अवतारों की एक बहुत बड़ी लाइन है | इसके बाद कबीरपंथी -----रामनामी आदि अनेक समुदाय हैं | इनकी पूजा विधि और शादी - विवाह आदि के रीतियों मे भेद हैं |

इसके अलावा मांशहरी और शाकाहारी का भी भेद हैं } जैन बंधुओ मे , होने को तो छोटा सा ही समुदाय है ---परंतु इनमे भी मुख्यतः तीन तरह के भेद हैं | वैसे इस समुदाय ने अपने को हिन्दू या सनातन धर्म से थोड़ा अलग सा ही किया हुआ हैं | अब कथा वाचक देवकी नंदन ठाकुर को और महंत रवींद्र पुरी को गणतंत्र दिवस तक सफाई देनी होगी की वे वस्तुतः कितने समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं | वैसे हिन्दू कट्टरवादियों की सारी कोशिस के बावजूद यह चूँ -चूँ का मुरब्बा ही रह जाएगा }|||


Jan 23, 2025

 

आसां नहीं है राह ट्रम्प की आधा अमेरिका विरोध मे उतरा


चार दिन पहले जब अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रम्प ने शपथ ली थी --- आशंकित विश्व ने उनकी विश्वविजय की घोषनाए सुनी और देखि थी | परंतु जितना ट्रम्प ने लोगों डराने की कोशिस की वह सिर्फ दो दिन ही चली !! गैर कानूनी तौर से अमेरिका मे आए लोगों को वापस भेजे जाने के उनके आदेश ने -- बेहतर जिंदगी की आस मे अमेरिका मे आए इन लोगों को जड़ तक हिल दिया था | इस आदेश मे उन लोगों को भी देशनिकाला दिए जाने की बात थी जिनका जन्म अमेरिका मे हुआ था !!!

ट्रम्प ने अवैध दंपतियों की अमेरिका में जन्मी संतानों को भी अमेरिका का नागरिक मानने से इनकार कर दिया था ! उनकी यह हुंकार गैर सांविधानिक थी --क्यूंकी वणः का कानून कहता हैं की अमेरिका मे जन्मी संतान को खुद बखुद नागरिकता मिल जाती हैं यही नियम सारे विश्व में हैं | आखिर उनकी सनक को बाईस राज्यों ने चुनौती देते हुए राजधानी वाशिंगटन की अदालत में दावा लगा दिया | जिसमे कह गया की अमेरिका में जन्मे लोगों की नागरिकता छीनने का अधिकार राष्ट्रपति को नहीं हैं | ट्रम्प ने संघीय अफसरों को अवैध बाशिंदों को पकड़ कर उनके देश वापस भेजने का जो फरमान दिया था उसका विरोध राज्य की मशीनरी द्वरा किया जाना निश्चित हैं | अब मामला अदालत द्वरा ही ते होगा -- की इस फरमान की कानूनी हैसियत क्या हैः |

वैसे अन्य हुकुमनामे भी काफी विवदास्पद हैं जैसे विदेशी कमपनियों पर टैक्स लगाना | आयातीत सामानों पर टैरिफ बड़ाने के हुकूम मे पेंच यह हैं की अमेरिकी लोगों को ही मंहगा सामान मिलेगा | रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान अधिकतर बाहर से ही आते है --जैसे कपड़े जूते और खाद्यान्न आदि | अब इनके मंहगे होने का मतलब अमेरिकी लोगों को जयदा खर्च करना होगा | अमेरिका भारी मशीन संयंत्र आदि ही निर्यात करता हैं ---जो अधिकतर औद्योगिक किस्म के होते हैं | टैरिफ बदने से इनकी कीमत बाद जाएगी , पर यह एक बार की बात हैं | जो आम आदमी को जयदा नहीं अखरता हैं |

बात यह है की ट्रम्प जितना लोगों को भयभीत करना चाहते थे --वे अपने प्रयास मे शायद सफल ना हो सके | अभी आगे आगे देखना होगा की इनकी नीतियाँ अमेरिका मे कितनी हलचल मचाती हैं | रही बात अन्य देशों की तो यह तय है की पनामा नहर पर कब्जे के लिए सेना का इस्तेमाल का विरोध काँग्रेस मे उनकी ही पार्टी के लोग विरोध करे | क्यूंकी मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलना -वैसा ही है जैसे नेपाल द्वरा भारत के बहु भाग को अपने नक्शे मे दिखाना --- जबकि उस भाग पर भारत का आधिपत्य बरकरार हैं | भारत में भी सड़कों - नगरों - और स्थानों के नाम बीजेपी सरकारों द्वरा बदले गए हैं | ऐसे फैसले राष्ट्र को महान नहीं बनाते हैं |

Jan 22, 2025

लोकतंत्र के लिए दिल और दिमाग की कट्टरता खतरा हैं

 

लोकतंत्र के लिए दिल और दिमाग में कट्टरता खतरा हैं !

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यू तो अपने देश के प्रमुख हैं , परंतु दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्र होने के नाते उनके फैसले विस्व व्यापी होते हैं | पर्यावरण - विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका के अलग हो जाने से दुनिया मे प्रदूषण और स्वास्थ्य के मसले खड़े ही जाएंगे | हाल ही में सैन्य संगठन "”नाटो "” के अधिकारी ने भी ट्रम्प के रुख से यूक्रेन को सैन्य सहायता में कमी की आशंका जताई थी | ट्रम्प का मानना है की नाटो सदस्य अपने वित्तीय जिम्मेदारियों को नहीं निभाते है और अमेरिका की ओर मुंह कर देते हैं | परंतु अब ऐसा नहीं होगा | देर सबेर फिर एक बार पहले जैसी स्थिति आ सकती हैं , जैसा की ट्रम्प के प्रथम राष्ट्रपति काल में हुआ था | उनका मानना है की अब अमेरिकन सेना केवल अपने देश के दुश्मनों से लड़ेगी , किसी और की लड़ाई को अपने सिरे नहीं लेगी | इसस रुख से यूरोपीय देशों को अपनी सुरक्षा के लिए खुद की खर्च करना होगा | जो उनके विकास को अव रूढ करेगा | दूसरे अब अन्तराष्ट्रिय सैन्य संगठनों की जिम्मेदारियों पर भी सवाल लगेगा | अमेरिका को सीधे किसी भी राष्ट्र से चुनौती नहीं हैं | अतः वह चहहे तो अपनी सेना का बजट काम कर सकता हैं | उसे अपनी सुरक्षा की चिंता नहीं हैं | रूस और चीन से उसे कोई खतरा नहीं है | परंतु अमेरिका से संधि से जुड़े देशों को अब सोचना होगा ---अथवा ट्रम्प की शर्तों के सामने झुकना होगा | पनामा नहर का मसला अब वे कैसे सुलझाएंगे यह देखना होगा | अगर उन्होंने सेना के सहारे कब्जा किया ---तब भी दुनिया वैसी ही "”गूंगी"” बनी रहेगी जैसी इजराइल द्वरा फिलिसतींन पर हमले के समय थी | भविष्य काफी अंधकार पूर्ण हैं |

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दो वित्तीय संस्था है पहली आई एम एफ और वर्ल्ड बैंक , इनमे भी अमेरिका का काफी दख़ल है | जिस प्रकार ट्रम्प अपने देश की कंपनियों के हितों के लिए "आयात"” पर शुल्क बदोतरी "” की बात कर रहे हैं , वह विकासशील देशों के लिए भारी पद सकती हैं | तब यूरोपीय देशों को अपनी - अपनी सोचनी पड़ेगी | क्यूंकी इन राष्ट्रों की तेल की जरूरत तथा अनाज की जरूरत एशिया के देशों से होती हैं , उक्रेन का गेंहू अगर नहीं भेज जाए तो अनेक राष्ट्र एन के संकट से घिर जाएंगे |

किस्सा कोताह लोकतान्त्रिक देशों के लिए भविष्य बहुत सुंदर नहीं हैं |




वर्तमान मे लगभग दो दर्जन से अधिक देशों में हिंसा का तांडव मचा हुआ हैं , परंतु विश्व मे शांति और व्यवस्था के लिए बने संस्थान "”संयुक्त राष्ट्र संघ " जितना लाचार आज दिखाई पद रहा हैं -उतना पहले कभी नहीं रहा था | दूसरे महा युद्ध के समय में भी युद्ध स्थलों में रेड क्रॉस का निशान पवित्र माना जाता था | यंहा तक की हिटलर की नाजी सेनाए भी इस निशान की इज्जत करती थी | परंतु इज़राइल द्वरा गाजा में जिस प्रकार यूएनओ की मेडिकल एजेंसियों को भी "”शत्रु समझ कर "” व्यवहार किया है उसका उदाहरण यूएनओ के लगभग 400 से अधिक लोगों की इजराइली हमले मे मौत हैं ! | शायद यही कारण रहा होगा की अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने देश को इन विश्वव्यापी संस्थाओ से अलग कर लिया हैं | यूएनओ आज सुरक्षा परिषद , स्थायी सदस्यों के अहम का अखाड़ा बन के रह गया हैं | गाजा मे हुए नरसंहार में इन सदस्यों की चुप्पी इस बात का संकेत हैं की अब "”राष्ट्रीय और मानवीय मूल्य "” का कोई अर्थ या मोल नहीं हैं !


पर्यावरण और वैश्विक स्वास्थ्य की चिंता करने वाले यूएनओ के संगठन से अमेरिका का अलग होना , यह संकेत हैं की अब दुनिया के सभी देशों को अपनी - अपनी ढांकनी होगी | वैश्विक सहयोग और विकासशील तथा विकसित देशों मे अब मात्र कूटनीतिक संबंध ही बचेंगे ! हो सकता हैं की अब प्राकर्तिक आपदा अथवा महामारी का दंश अब राष्ट्र की भौगोलिक सीमाओ में ही खोजना होगा ---वह भी उस देश के सरकार और संस्थाओ द्वरा | जिस प्रकार कोरोना के बाद एसियाई मुल्कों मे सामाजिक स्तर पर परिवार और सामाजिकता बिखर गई थी --- अपनी अपनी जान बचाने के चक्कर मे , वैसा ही कुछ अब विश्व के देशों के साथ हो रहा है |

अफ्रीका महाद्वीप में कांगो -दसूदन -मलावी आदि अनेक देश आंतरिक --कबीलाई संघर्षों मे उलझे है ,उससे वनहा की आबादी के सामने भुखमरी और महामारी मुंह फैलाए खड़ी हैं | परंतु ट्रम्प के निकाल जाने से जो वित्तीय मदद इन संस्थानों को मिलती थी वह बंद हो जाएगी |

Jan 21, 2025

 

डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति होने के अर्थ -----दुनिया को डराना !



संयुक्त राज्य अमेरिका के 45 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले डोनाल्ड ट्रम्प , ने बिनया व्यक्त गवाएं -धड़ाधड़ अपने

फैसलों की घोषणा भी कर दी --- , सबसे पहले तो उन्होंने कहा की अमेरिका का स्वर्ण युग प्रारंभ हो गया है ! मतलब उनके पूर्व के राष्ट्रपतियों का देश के निर्माण और विकास में कोई "”महत्वपूर्ण योगदान था ही नहीं ! आम तौर पर किसी भी देश मे कौन सा शासन काल "”स्वर्ण युग था "” यह बाद के इतिहास में आँकलं किया जाता रहा हैं , परंतु ट्रम्प का "”बड़बोलापन "” कहे अथवा स्वयंभू होने का अभिमान उन्होंने खुद से ही अपने शपथ ग्रहण के दिन ही यह बात दिया की की अब देश में अब स्वर्णकाल आ गया हैं | दूसरा उन्होंने कहा अब अमेरिका में सिर्फ नर और नारी ही होंगे ! अर्थात किन्नर या जिन्हे हम नेऊटर जेंडर कहते है , उनका कोई स्थान नहीं हैं ! अब सवाल हैं की प्रकरती ने तीन प्रकार के मानव बनाए है ---परंतु ट्रम्प साहब अपने ""फरमान"से प्रकरती के इस व्यवस्था को केवल ""नर --एवं नारी "" में विभाजित किया हैं | उनके पूर्व के राष्ट्रपतियों के समय मे नेऊटर जेंडर के सेना में भर्ती होने को मान्यता दी गई थी --- उसका क्या होगा यह बाद मे निश्चय किया जाएगा ! विश्व में तीसरे विश्व युद्ध के खतरे का जिक्र करते हुए कहा की हमारी सेनाए अब केवल अपने {देश} के शत्रुओ के विनाश के लाइ काम करेंगी , अनचाहे युद्ध में अमेरिका अब नहीं उतरेगा !

अमेरिका में अब संघ एवं राज्यों में पूर्ण पारदर्शिता के लिए उन्होंने किसी भी प्रकार के "”सेंसर शिप" को खतम किए जाने की घोसना की | केवल इस फैसले से वनहा के मीडिया संस्थानों को अपनी बात सार्वजनिक रूप से रखने की आजादी तो मिल गई हैं | ट्रम्प की सारी घोषणाओ को एक ओर रखे और इस फैसलों को दूसरे पलड़े मे रखे तो वह भारी होगा | हालांकि यह आजादी कितने दिन किस स्वरूप मै होगी , यह कहना मुश्किल है | आंतरिक कानून व्यवस्था के लिए उन्होंने सभी "”अपराधी माफियाओ "” के लिए सन 17 सौ के एक कानून का सहारा लेते हुए उनके विरुद्ध कारवाई करने का संघीय आदेश की भी घोषणा की | इसके तहत ड्रग और मानव तस्करी मे लिप्त गैंग इस आदेश के शिकार होंगे | साथ ही उन्होंने मेक्सिको और दक्षिणी राज्यों से आने वाले "”अवैध "” शरणार्थियों को वापस उनके देश भेजे जाने के लिए आदेश को कड़ाई से पालन किए जाने की बात कही | अभी यह उन लोगों पर ही लागू होगा जो बिना दस्तावेज़ों के अमेरिका मे प्रवेश करते थे | इन शरणार्थियों की संख्या करोड़ों मे हैं | ये लोग अधिकान्सतह कैलिफोर्निया के बागों मे और टेक्सास के खेतों में बहुत बहुत थोड़े से डालर में काम करते थे | घरेलू कार्यों के लिए भी इनसे सस्ता मजदूर नहीं मिलता है | स्थानीय आबादी के लोगों को ऐसे मेहनत के काम करने की आदत नहीं है --और वे करना भी नहीं चाहते | ट्रम्प साहब का कहना था की ये अवैध शरणार्थी अमेरिका में आकार अपराध करते हैं और नागरिकों के जीवन को खतरे मे डालते हैं |

इन शरणार्थियों से उनकी नफरत जग जाहीर हैं | वे इस मुद्दे पर अनेकों बार अपने बयान के लिए "”झूठे साबित "” हो चुके है | शायद आज की राजनीति में विरोधी को झूठे आरोपों से लांछित करना फ़ैसन हो गया है ---जैसे ट्रम्प ने पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के लिए कहा था की "” उनका जन्म अमेरिका में नहीं वर्ण अफ्रीका मे हुआ था "” जबकि ओबामा के जन्म के दस्तावेज़ उनका जन्म अमेरिका मे बताते हैं |


उन्होंने अमेरिका की भौगोलिक सीमा से बाहर जा कर भी हुकूम सुन दिया --जैसा की उन्होंने चु करना ही नाव जीतने के बाद कहा था की वे "”मैक्सिको की खाड़ी का नाम बदल कर उसे अमेरिका की खाड़ी कर "”देंगे | उनके इस फैसले से बीजेपी सरकारों द्वरा सड़कों - गावों -नगरों और इमारतों के नाम बदलने से "”साँसकरतिक राष्ट्रवाद "” का वापस लाने जैसा ही लगता हैं | किसी अन्य देश की प्रभुसत्ता को चुनौती देना "” आक्रमण"”करना ही जैसा हैं | हालांकि अगर ट्रम्प फौज भेज कर खाड़ी पर नियंत्रण लेने की कोशिस करेंगे तब ----- यह तथ्य तो निश्चित है की कोई भी राष्ट्र उनका विरोध करने का साहस नहीं करेगा | जैसा की हमने देखा है की अमेरिका की शह पर इजराइल द्वरा गाजा में जिस प्रकार फिलिस्टिनी अरबों का नर संहार किया गया -----और यूएनओ सहित समस्त देश "””मौन "” रहे , , उससे यह तो साफ है की कोई भी राष्ट्र कुछ करने की बात तो छोड़िए मौखिक विरोध भी करेगा यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए |


ट्रम्प एक व्यपारी है और वे सिर्फ "”लाभ या मुनाफे "” का ही सौदा करते है ---ऐसा राजनीतिक पंडितों का मानना है | पर आज जब सत्ता लाभ और मुनाफे का माध्यम बन गया है तब अमेरिका में भी ट्रम्प के शपथ समारोह मे धन्ना सेठों की भीड अचरज का सबब नहीं बनती | क्यूंकी लगभग सभी एशिया और यूरोप के कतिपय देशों मे भी अब लोकतंत्र "”धनतंत्र "” का गुलाम बन के रह गया है | यही कारण है की ट्रम्प की निमंत्रण सूची मे अंबानी परिवार को निमंत्रण यह दर्शाता है की भारत मे उन्हे किसी राज नेता अथवा विद्वान की जरूरत नहीं हैं , क्यूंकी उनके सलाहकार इयान मसक हैं !!! अब इस परिप्रेक्ष्य में विश्व में लोकतंत्र के भविष्य को समझा जा सकता हैं |

Jan 19, 2025

 

ट्रम्प एक अपराधी के रूप मे भी शपथ लेंगे राष्ट्रपति की !


संयुक्त राज्य अमेरिका के 45 राष्ट्रपति के रूप मे डोनाल्ड ट्रम्प 20 जनवरी 2017 को वाशिंगटन के व्हाइट हाउस के गोलाकार गुंबद के नीचे दुनिया के बड़े लोकतंत्र के सर्वोच्च अधिकारी के पद की शपथ लेंगे | निश्चय ही यह अवसर उस पद की गरिमा के विपरीत होगा जिसे जॉर्ज वाशिंगटन और अब्राहम लिंकन जैसे महान लोगों ने सुशोभित किया था | आश्चर्य इस बात का हैं की संयुक्त राज्य अमेरिका के मीडिया को बहुत आजाद ख्याल और सच्चाई का हामी मन जाता है ---परंतु आज की तारीख मे वनहा का मीडिया इस भयंकर विसंगति पर पूरी तरह से मौन हैं !! शायद इसका कारण मीडिया संस्थानों का मालिकाना हक वनहा के धन्ना सेठों के पास है --जो सत्य को उजागर करके सत्ता के कोप का भाजन नहीं बनना चाहते हैं | इसका उदाहरण है अमेजन जैसे अरबों -खरबों डालर वाली कंपनी के मालिक बेजोस का राष्ट्रपति ट्रम्प के सत्तारोहण के अवसर पर करोड़ों डालर का चंद देना हैं | गौर तलब हैं की बेजोस चुनाव के पूर्व तक ट्रम्प के कट्टर आलोचक रहे हैं | परंतु ट्रम्प की जीत के पश्चात वे भी इयान मसक की भांति ट्रम्प के पिच्छलग्गू हो गए !


गौर तलब है की डोनाल्ड ट्रम्प को न्यू यॉर्क की एक अदालत ने उनके पिछले कार्यकाल के चुनाव के दौरान एक सुंदरी को ,उनके द्वरा धन {रिश्वत} दी गई थी की वह चुनाव के दौरान ट्रम्प से अपने शारीरिक संबंधों को उजागर नहीं करे | क्यूंकी इस तथ्य से ट्रम्प की छवि खराब होती थी | यद्यपि जूरी ने ट्रम्प को इस मामले में दोषी करार दिया , परंतु जज ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया "”यह कहते हुए की देश के बहुमत ने आपको सर्वोच्च पद के लिए वोट दिया है , अतः सजा निलंबित की जाती हैं !! वणः के दंड विधान मे अपराधी की सजा को स्थगित रखे जाने का विधान

भारत मे भी कमोबेश आज यही हालत है की सभी बड़े उद्योगपति और व्यापारिक संस्थान प्रधान मंत्री मोदी और उनकी पार्टी के पीछे चलने वाले बन गए


अमेरिका सीनेटर शुमाखर ने कुछ दिनों पूर्व विश्व मे लोकतंत्र प्रेमियों को आगाह किया था की --- सारे देशों मे अरबपतियों का कब्जा होता जा रहा है -जो लोकतंत्र को खतम करने का कारण बनेगा ! रूस हो या जॉर्जिया अमेरिका हो या ग्रेट ब्रिटेन सभी जगहों पर सरकार पर इन अरबपतियों का "”अप्रत्यक्ष "” नियंत्रण रहता है , इसलिए सरकार की नीतिया "”जन कल्याणकारी "” ना होकर उद्योग और व्यापार की उन्नति के लिए बनाई जाती हैं | जिन्हे बाद मे सरकार की ओर से नौकरी के नए अवसर और आम आदमी के जीवन यापन के स्तर मे बदोतरी करने वाले के रूप मे निरूपित किया जाता हैं ! भारतवर्ष मे हम विगत दस वर्षों से शिक्षा -स्वास्थ्य और नौकरी के नए अवसरों के रूप मे नेताओ से सुनते आ रहे हैं | आज हालत यह है की शासकीय स्कूल -अस्पताल बंद होते जा रहे है और बड़े -बड़े कारपोरेट संस्थान इन छेत्रों मे प्रवेश कर रहे हैं | फलस्वरूप शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाये लगातार माध्यम वर्ग के हाथ से निकलती जा रही हैं | ऐसा ही कुछ अमेरिका मे भी हो रहा हैं , वनहा भी औसत आय के लोगों के लिए दोनों सुविधाये पँहुच के बाहर हैं |अमेरिका की भांति भारत मे भी बीमा व्यापार अमेरिका तर्ज पर पर साधारण लोगों की पँहुच के बाहर होता जा रहा हैं |

एक और समानता भी अमेरिका और भारत के नेताओ मे पाई जाती है --वह हैं इन "”जन प्रतिनिधियों "” के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज होना ! भारत मे तो संसद के सदस्यों मे से दर्जनों सांसदों पर

हत्या जैसे अपराध के मामले दर्ज है , उन्मे कुछ के विरुद्ध तो अदालत से फैसले भी हो चुके हैं ,परंतु अपील के कारण उनको "”अयोग्य "” नहीं करार दिया जा सकता हैं |


ट्रम्प का सत्तारोहण इस तथ्य को रेखांकित करता हैं की आज की राजनीति ""इसकाउड्रल "”लोगों का खेल हैं | सही है आज भद्र लोग चालू नेताओ की भांति झूठ बोलने और झूठे आरोप लगाने तथा व्यक्तिगत गंदे आरोप कहने से परहेज करते हैं | पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गीय मनमोहन सिंह को जिस प्रकार मौजूद सरकार के लोगों द्वरा "”लांछित "” किया गया उन्मे से वे कोई भी आरोप नहीं सईद कर पाए | यंहा तक की जिस टू जी घोटाले पर आडिटर जनरल और कंप्रोतर जनरल विनोद रॉय की रिपोर्ट को चुनावी मुद्दा बना कर बदनाम किया ----उस मामले मे सुप्रीम कोर्ट मे विनोद रॉय ने स्वीकार किया की उनके द्वरा सरकार को "”हुए वित्तीय हानी के आँकड़े "” उनके अनुमान थे उनका कोई दस्तावेजी सबूत नहीं था !!! लेकिन देश की जनता तो झूठे प्रचार के जाल मे फँसकर काँग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार को हट दिया था | परंतु ट्रम्प इस मामले मे भाग्यशाली हैं की वे "””दोषी सिद्ध होने के बाद भी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे !