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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Mar 10, 2020


आरोपी को अपराधी दिखाने की योगी ट्रिक


नागरिकता कानून के विरोध में आंदोलन करने वाले--इश्तहारी मुजरिम है क्या


नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए देश व्यापी आंदोलन के दौरान योगी सरकार ने लखनऊ के ---- आन्दोलंकारियों को आपराधिक मुकदमें में आरोपी बना कर बंदी बना लिया | इन आरोपियों में सत्तर वर्षीय अवकाशप्राप्त डी आई जी दारापुरी तथा सान्स्क्रतिक कर्मी कबीर भी थे | पुलिस के आरोप के अनुसार दारापुरी ने पुलिस पर हमला किया था ! इन सभी आन्दोलंकारियों के अपराध यू तो "”जमानत योग्य "”की श्रेणी के हैं , परंतु पुलिस प्रशासन "ऊपर के निर्देशों के कारण इनसे अमानवीय व्यवहार ही करता रहा हैं | गिरफ्तार रंगकर्मी महिला की दुधमुंही बालिका को माँ का दुग्धपान नहीं करने दिया गया ! अब इन पर बलवा और अशांति फैलाने के अपराध के मुकदमें दर्ज़ हैं |परंतु अदालती सुनवाई में पुलिस की कारवाई सिद्ध होने तक "” ये सभी निर्दोष ही माने जाएँगे "” | जिससे पुलिस की बहादूरी पर बदनुमा दाग ही साबित होगा ! इस लिए कानून के अपराधी
की सामाजिक इज्ज़त और हैसियत को खराब करने के लिए आरोपियों को अपराधी दिखाने की कोशिस हैं | योगी सरकार के न्याय से पाखंड तो उसी दिन उजागर हो गया था - जब मुख्य मंत्री "योगी " आदित्यनाथ ने खुद के खिलाफ अदालतों में चल रहे दर्जनो आपराधिक मुकदमो को वापास कराया | तटकलिना मुख्या सचिव ने इलाहाबाद उच्च न्ययालाया को बताया की सरकार अब इन मुकदमो पर आगे कारवाई नहीं करना चाहती ! उन पर सरकारी अधिकारी के कर्तव्य निर्वहन में बाधा पाहुचाने और अधिकारी से झूमाझटकी करने का भी आरोप था | वही आरोपी दूसरे आन्दोलंकारियों को बिना मुकदमा चलाये ही अपराधी घोषित करने की कवायद की हैं !!!
आम तौर पर सरकार जिन आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाती उनको भगोड़ा घोषित करके उनपर इनाम जारी करती हैं -----जो उन आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए होता हैं | यानहा आरोपियों की गिरफ्तारी हुई -उनकी जमानत हो गयी | तब किस आधार पर लखनऊ के चौराहे पर योगी सरकार इन लोगो के बड़े - बड़े चित्र के पोस्टर लगा रही हैं ? इसका सिर्फ एक ही मक़सद संभव हैं ----- अदालत में कानून की परीक्षा में सरकार इन लोगो के अपराध को साबित करने में शायद सफल नहीं होगी | इसीलिए अदालत न सही सरे राह बदनाम करने की कोशिस ही काही जा सकती हैं | हालांकि सार्वजनिक छेत्र में काम करने वाले इन सामाजिक कार्यकर्ताओ को विरोध की ज्यादा परवाह नहीं होती | क्योंकि इनके आंदोलन और नाटक साधारण तौर पर समाज के बहुसंख्यक वर्ग की स्थापित अवधारनाओ --वर्जनाओ को तोड़ता हैं | परंतु कानुन के अनुसार भारत के किसी भी नागरिक को {{ फिलवक्त जबतक राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर नहीं लागू हो जाता }} बिना मुकदमा चलाये अपराधी नहीं करार दिया जा सकता | न्यायशास्त्र और भारतीय न्याया पद्धति में भी आरोपी का अपराध "” पूर्णरूपेण से साबित होना चाहिए – उसके अपराधी होने पर किसी भी प्रकार तार्किक संदेह नहीं रह जाना चाहिए ! अब योगी जी के मातहत पुलिस अधिकारी मुख्य मंत्री को कानून की स्थिति नहीं बताते -वरन उनके अहंकार को ईधन सुलभ कराते रहते हैं | आन्दोलंकारियों को आरोपी से अपराधी दिखाने की कोशिस ह -गाना ही हैं | जैसे कुछ समय पहले इंदौर के सहकारी बैंक मे अपने उन कर्जदाताओ के घर और दफ्तर के सामने -किन्नर लोगो की टोली का नाच गाना कराते थे | मक़सद था की लोग यह जान जाये की अमुक आदमी ने क़र्ज़ लिया हैं --और उसको चुका नहीं रहा हैं | इससे समाज में व्यक्ति की "”हैसियत "” का खुलाषा हो जाता था | की भले ही ये कोठी - बंगले - बड़ी बड़ी कार वाले दिखते हो --पर हैं क़र्ज़दार !!! परंतु यानहा तो मामला ही उल्टा हैं ! अरे भाई जिन लोगो को आप ईश्तहार में दिखा रहे हो उन्हे कुछ लोग जानते है और बहुतों ने उनका नाम और काम देखा -सुना हैं | इसीलिए उन्हे "” बदनाम "” करने की कोशिस कामयाब नहीं होगी | राम मंदिर के लिए आंदोलन करने वाले दूसरे आंदोलन करियों को "”विधरमी " और देश द्रोही ही बताते हैं | उनका स्व्यंसिद्धा होने का अहंकार -विमत और असहमत रखने वाले लोगो को आरोपी नहीं -अपराधी ही मानते हैं | जैसे नाजी जर्मनी में होता था | हमने कह दिया की तुम अपराधी हो तो - बस कोई अदालत या अधिकारी इसे गलत नहीं बता सकता , वरना ठुकाई - पिटाई और देश के गद्दारो को गोली मारो सालो को का सूत्र वाक़ई तो है ही !
इल्हाबाद उच्च न्यायालय ने रविवार होने के बावजूद आन्दोलंकारियों की याचिका पर सुनवाई की | सरकार ने अदालत से आग्रह किया की एडवोकेट जनरल दोपहर तक बेंच के सामने हाजिर होंगे | इसलिए सुनवाई 12 बजे तक स्थगित की गयी थी |

इलाहाबाद हाइ कोर्ट की यह सुनवाई का असर दिल्ली पुलिस की कारवाई पर भी पड़ेगा | क्योंकि दिल्ली पुलिस ने भी पाँच दिनी दिल्ली दंगो में हुई तोड़ फोड़ के लिए टीवी से "”सूरत निकाल कर "” पहचाना है की कौन हैं आरोपी या अपराधी ? जिससे नुकसान की भरपाई करी जाये ! अब सरकार की इस कारवाई पर न्यायपालिका के फैसले का बेसबरी से इंतज़ार रहेगा --क्योंकि इसका परिणाम सरकार और पुलिस की सीमा तय करेगा |

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