राजनीति और
धर्म गुरु की भूमिका
राजनीति
में धर्म गुरुओ का दखल -
क्या
चुनाव आयोग पंगु हुआ !!
देश
में नागरिकता संशोधन कानून
और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर
को लेकर जैसा विरोध सड्को
पर युवा और कल तक पर्दे में
रहने वाली महिलाए जिस प्रकार
सतत विरोध कर रही हैं – उससे
सरकार और सत्ता धारी दल के
माथे पर बल पड गए हैं |
आसाम
से राजस्थान और उत्तर प्रदेश
से केरल तक सरकार के इन कानूनों
का विरोध आज़ादी के समय साइमन
कमीशन के विरोध की याद ताज़ा
कर देता हैं |
तब
भी ब्रिटिश शासन ने सत्ता के
क्रूर बल प्रयोग से आंदोलन
को कुचलने का प्रयास किया था
--परंतु
आखिर में उन्हे आपण इरादा
बदलने पर मजबूर होना पड़ा |
उस
आंदोलन की अगुआई राष्ट्र पिता
महात्मा गांधी कर रहे थे
-----परंतु
इस जन आंदोलन ने राजनीतिक दलो
को बाहर कर दिया हैं |
भारतीय
जनता पार्टी अपने समर्थको को
लेकर कुछ स्थानो पर इन कानूनों
के समर्थन में ,
आन्दोल्ङ्करियों
किभांति तिरंगा लेकर रैली
निकाल रहे हैं |
परंतु
नोटबंदी के बाद मोदी सरकार
की बात और वादे की साख खत्म
हो चुकी हैं |
एक
ओर सरकार है और उसकी पित्र
संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ है -
बीजेपी
हैं --तो
दूसरी ओर स्वतंत्र युवा और
महिलाए हैं |
इस
आंदोलन के चलते एक महत्वपूर्ण
बात देखने में आई हैं -
की
चाहे शाहीन बाग हो अथवा लखनऊ
के घंटाघर पर आंदोलनकारी
मुस्लिम महिलाए हो ,
वे
सब अब घरो से निकल कर सड़क पर
आ गयी हैं |
कहते
है जिन महिलाओ को सूरज भी नहीं
देख पाता था – अब वे आबदार होकर
कड़ाके की ठंड में नारे लगा
रही है |
उनको
पर्दा प्रथा से निजात मिल गयी
हैं |
कहते
हैं की हर घटना में कुछ ना कुछ
अच्छी बात जरूर होती हैं ,
सो
जो काम राजा राम मोहन रॉय या
महतमा फुले जैसे लोगो ने सनातनी
परिवारों के घूँघट के पर्दे
को खतम कराया |
कुछ
कुछ वैसा ही इस नागरिकता संशोधन
कानून के विरोध में मुस्लिम
महिलाओ के साथ हुआ हैं |
अब
वे आज़ाद हो गयी हैं ----अब
कोई मुल्ला -
या
फतवा उन्हे पर्दे में क़ैद करने
की कोशिस नहीं कर सकता |
1---
हालांकि
सरकार के मंत्री विधायक और
सांसदो के बोल अभी भी इस आंदोलन
को "””हिन्दू
और मुसलमान "”
के
नजरिए से दिखाने की कोशिस कर
रहे हैं |
परंतु
सरकार आसाम और मेघालय तथा
पूर्वोतर के अन्य राज्यो में
केंद्र के इन कानूनों के विरोध
में जो लोग आंदोलन कर रहे हैं
वे 90
फीसदी
सनातनी या बीजेपी की भाषा में
"”हिन्दू
"”
हैं
!! आखिर
वे क्यो इतने नाराज हैं की
प्रधान
मंत्री नरेंद्र मोदी की जापान
के प्रधान मंत्री से मुलाक़ात
का कार्यकरम रद्द करा पड़ा ?
फिर
दुबारा भी जब वे आसाम में
सार्वजनिक सभा के लिये जाने
वाले थे तब भी खुफिया एजेंसियो
ने उन्हे वनहा नहीं जाने की
सलाह दी !!
और
वे नहीं गए |
वे
आजकल उनही राज्यो में जा रहे
हैं जनहा बीजेपी की सरकरे हैं
,जैसे
उत्तर प्रदेश |
यहा
तक की सहयोगी के साथ बिहार
में नितीश कुमार की सरकार के
राज्य में भी सभा करने नहीं
जा रहे हैं !!
गणतन्त्र
दिवस पर अरेड की समाप्ती पर
आधा किलोमीटर पैदल चल कर
उपस्थित दर्शको की भीड़ को हाथ
हिलाते रहे और खुश होते रहे
!
यह
तब था की परेड के लिए सुरक्षा
के कड़े प्रबंध थे,
तब
वे पैदल चल सके क्योंकि सड़क
पर यूने सुरक्षा कर्मियों के
अलावा और कोई नहीं चल रहे थे
| का
इसे ही मोदी जी की लोकप्रियता
का पैमाना माना जाये ?
2-----
देश
के प्रधान न्यायाधीश बोरवाड़े
ने नागरिकता कानुन के विरोध
में आई 144
याचिकाओ
को सुनने से पहले
देश में आग लगी है ,पहले
वह शांत हो जाये तब विचार किया
जाएगा !!
अब
देश के नागरिक केंद्र के कानून
से आशंतुष्ट हो कर आंदोलन कर
रहे है ,
तब
न्यायपालिका से अपेक्षा थी
की वे कुछ ऐसा करेंगे की सरकार
की लाठी से घायल लोगो के घाव
पर मरहम लगेगा ,
लेकिन
अदालत ने "””हालत
"”
के
शांत होने तक "”रुई
का फाहा भी नहीं रखा !!
कुछ
ऐसा ही जामिया के छात्रो और
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालया
में बाहरी नकाबपोश {{
विश्वविद्यलाया
प्रशासन ने खुद इस बात को माना
हैं की सर्वर रूम में कोई हमला
नहीं हुआ था ,और
कुछ नकाबपोश गुंडो ने छात्रों
और शिक्षको पर हमला कर घायल
क्या }}}
लोगो
द्वरा हमले पर पुलिस की एक
तरफा कारवाई पर जब '’राहत
'’
के
लिए याचिका लगाई गयी तब भी यही
कहा गया की पुलिस जांच कर रही
हैं ?
जबकि
पुलिस छात्रसंघ की आद्यकश्हा
की प्रार्थना पर विचार नहीं
करते हुए प्रशासन की शिकायत
पर जांच कर रही थी !
3----
अब
असली मसला भारत निर्वाचन आयोग
चुनाव के दौरान प्रचार के समय
धरम के उपयोग को प्रतिबंधित
करता हैं |
अभी
हाल में दिल्ली विधान सभा
चुनावो में भारतीय जनता पार्टी
के उम्मीदवार कपिल मिश्रा पर
48
घंटे
तक प्रचार का प्रतिबंध लगाया
था ----क्योंकि
उन्होने कहा था मतदान के दिन
भारत और पाकिस्तान का मुकाबला
होगा !
गजब
की बात हैं की प्रधान मनरी
नरेंद्र मोदी से लेकर अमित
शाह सभी "”भारत
से बंगला देशी लोगो को निकालने
की बात कहते हैं ----परंतु
उलाहना पाकिस्तान का देते
हैं !
4---
अब
बात भगवा ब्रिगेड के राजनीति
में दखल की ---
जबसे
नागरिकता कानून को लेकर विवाद
शुरू हुआ हैं ---
तब
से भगवधारी रामदेव हो या जग्गी
वसुदेव हो सभी धरम छोडकर सारा
ध्यान इस बात पर लगा रहे हैं
की नागरिकता कानून और नागरिक
रजिस्टएर सभी देशो में हैं
|
अब
इन दिग्गजों से कौन प्रश्न
करे की यूरोप में सिर्फ ड्राइविंग
लाइसेन्स ही व्यक्ति की पहचान
होता हैं |
संयुक्त
राष्ट्र अमेरिका में काउंटी
चुनाव में मतदाता का आयु
प्रमाण पत्र जो की विद्यालय
से जारी किया जाता हैं |
वही
उनके नागरिक और मतदाता होने
की पहचान हैं |
अगर
माता -पिता
नागरिक हैं तब उनकी संतान
स्व्यमेव नागरिक हो जाती हैं
|
इसे
राजनीति शस्त्र में "”
पैदाशी
नागरिक "”
कहा
जाता हैं |
और
केंद्र जिस प्रकार पाक और
अन्य देश के हिन्दुओ को नागरिकता
देने को कह रही हैं उसे नाग्रिकीकारण
कहते हैं !उनके
यानहा आबादी रजिस्टर ही सारे
विवरण रखता हैं |
प्रवासी
भी उसमें होते हैं |
परंतु
उन्हे मतदान का अधिकार नहीं
होता |
जब
धरम का आसरा सरकार लेने लगे
तब "”तर्क
और तथ्य "”
की
हत्या हो चुकी होती हैं |
विधि
तर्क और तथ्य पर आधारित होती
हैं |
जबकि
धर्म "””भावना
--आस्था
-
और
परंपरा "””
आधारित
होता हैं ,
जिनमें
तर्क नहीं होता |
भोपाल
के आसपास अनेक स्थानो में
रासलीला ---रामायण
-----
भागवत
पाठ के कार्यक्रम चल रहे हैं
|
जिनमें
अनेक धर्मगुरु शामिल हैं |
हालांकि
उनमे अधिकान्स "”भगवा
धारी नहीं हैं "”
परंतु
फिर भी वे धार्मिक उपदेश के
साथ ही उपस्थित जन समुदाय को
"””हिन्दू
"””
हने
का स्मरण कराते चलते हैं |
फिर
संयोग से वे नागरिकता कानून
का ज़िक्र करके समुदाय को समझाते
हैं की __आप
लोगो को इससे कोई नुकसान नहीं
हैं !!!
दिगंबर
जैन साधुओ की साधना वाकई अत्यंत
कठिन हैं ----
मौसम
--भूख
-प्यास
पर उनका नियंत्रण अद्भुत हैं
जो किसी भी आस्थावान को उनके
सम्मुख सर झुकने पर मजबूर कर
देता हैं |
ए
जब सड़क पर चलते हैं तो लोग
सम्मान में रास्ता देते हैं
|
राजनेता
और अधिकारी तथा सेठ साहूकार
उन लोगो के आशीर्वाद के लिए
जाते हैं |
त्याग
-तपस्या
की इन मूर्तियो को जब यह कहना
पड़े की नागरिकता कानून संशोधन
-जैसा
सरकार लायी हैं ,
वह
सह और उचित हैं !!!
अब
उनके हजारो अनुयाईओ के लिए
तो यह ब्रामह वाकय बन गया
------वे
इस विषय को तब चर्चा से ऊपर
स्वीकार कर लेते हैं |
जो
ना तो धार्मिक रूप से उचित हैं
ना ही देश के गणतन्त्र के लिए
लाभकारी हैं |
लोकतन्त्र
में नागरिक अगर भक्त की भांति
व्यवहार करेगा तब विमर्श
की संभावना समाप्त हो जाएगी
|
सभी
धर्मो में विमर्श और शंका -
समाधान
की रीति हैं |
इसी
प्रक्रिया से धरम या मत परिष्करत
होता हैं |
आदि
गुरु शंकराचार्य ने कहा था
की "”अगर
किसी बात या तथ्य में शंका है
---
तब
प्रथम्त्तह उसका निवारण करो
|
अगर
मैं भी कुछ काहू और तुम्हें
लगे की यह सही नहीं |
तब
उसको प्रशन द्वारा रखो |
ऐसी
स्थिति में कोई श्रमण -
या
साधु राजनीति के दलदल मे फंस
जाए तो वह उसके लिए भी उचित
नहीं होगा ,और
भक्तो को ठेस लगेगी |
5--------
भगवा
ब्रिगेड जिसका पालन पोषण
विगत कई दशको से संघ और बीजेपी
के नेत्रत्व द्वरा किया जा
रहा हैं ,
वह
किटन धार्मिक हैं |
इसकी
विवेचना करङ्गे |
आदि
गुरु शंकराचार्य द्वरा
सन्यासियों के लिए नियम
निर्धारित किए गए हैं |
मूलतः
यह नियम वेदिक धरम की परंपरा
में हैं |
इसके
अनुसार जिस किसी क भी सन्यास
ग्रहण करना है ---
तो
पहले वह अपने माता -पिता
और पत्नी {यदि
हैः तब }
उनकी
सहमति प्राप्त करे |
तत्पश्चात
वह किसी को अपना गुरु बनाए |
और
उससे अपनी आकांच्छा व्यक्त
करे |
गुरु
उसे जो भी कार्य दे ,उसे
मन लगाकर करे |
इस
ट्रेनिंग के दौरान उसे सफ़ेद
चीवर धरण करना होगा |
अर्थात
सिले हुए कपड़ो का त्याग |
कम
से कम सामान रखे --एक
पानी का पात्र और एक कंबल या
चादर जो उसके ओड़ने और बिछाने
के काम होगा |
जब
गुरु से किसी विद्या में पारंगत
हो जाएगा ,
तब
एक शुभ दिन को अन्य साधुओ की
उपस्थिती में उसको स्वयं का
श्राद्ध करने के लिए सर मुड़वना
होता हैं |
तत्पश्चात
उसको नया नाम और भगवा वस्त्र
तथा दंड और कमंडल गुरु द्वरा
भेट किए जाते हैं |
उस
दिन के बाद उसका पुराना जीवन
अस्त हो जाता है |
ना
उसके कोई सगे -
संबंधी
होते हैं ना कोई सानसारिक
रिश्ते |
यह
तो हुई वेदिक धरम की परंपरा
|
बौद्ध
धरम हो या जैन धर्म ----
जिस
रूप मै संसार मे आए थे उसे अंत
करना ही होता हैं |||||
अब
इस संदर्भ में भारतीय जनता
पार्टी के भगवा बिग्रेड के
लोगो को परखे तो सर्वप्रथम
यही तथ्य अनैतिक लगता हैं की
-----
राजनीति
सांसरिक लोगो का विषय है ,
जिसमे
समर्थक और विरोधी होते हैं |
जबकि
भगवा धारी को "”
सम्यक
द्रष्टि "””
रखना
जरूरी हैं |
जो
वर्तमान भगवा सांसद और विधायक
तो बिलकुल नहीं रखते |
महावीर
और बुद्ध ने सन्यास के लिए
राज-
पाट
त्यागा था !!!
आज
तो बिलकुल उसका उल्टा हो रहा
हैं -----सन्यासी
राज सत्ता के लिए हत्या और
बलात्कार तक कर रहा हैं |
स्वामी
नित्यानन्द इसके उदाहरण है
जो शाहजहाँपुर में '’’’परमार्थ
निकेतन "”
चलते
थे ,यह
बात और हैं की एक दूसरे भगवा
धारी जो कहने को योगी है नाम
हैं आदित्यनाथा जो उत्तर
प्रदेश के मुख्य मंत्री हैं
----उन्होने
इस मामले को अदालत से वापस
लेने का "””हुकुम
"””
निकाल
दिया ||
सवाल
यह हैं की जो व्यक्ति जिस पहचान
को लेकर जन्मा था ,जब
उसने उस पहचान का क्रिया कर्म
कर दिया – खुद का श्राद्ध करके
अपने को सांसरिक रूप से समाप्त
कर दिया |
उसकी
किस पहचान को चुनाव आयोग मानेगा
???
क्या
इस भ्ग्वधारी को उस म्रतक का
वारिस मान लिया जाये ??
या
एक ही जनम में दो रूप मान लिया
जाये ?
क्योंकि
भगवा धरण करने के उपरांत वे
"””
आम
आदमी नहीं रह जाते ,
तब
उन्हे आम व्यक्ति की भांति
क्यू माना जाता हैं ??
यदि
इन्दिरा गांधी के प्रधान
मंत्री के रूप में सुरक्षा
के रूप में किए गए खर्चे को
"””
अनियमित
मान "”
कर
उनका चुनाव रद्द किया जाता
हैं ,
तब
इन भगवा धारियो को देख कर तो
सभी को वेदिक धर्म की छ्वी
दिखाई पड़ती है !
तब
क्या यह चुनाव आयोग द्वरा धर्म
को चुनाव प्रचार को अयोग्यता
मानते हुए इन भगवा धारियो के
निर्वाचन रद्द नहीं किए जाने
चाहिए ????
जो
नाटक करते हैं संसार छोडने
का --और
लिपटे रहते हैं राज लिप्सा
में उन पर विश्वास कैसे करे
??
जो
अपने घर परिवार को छोड़ कर
सन्यासी का बाना पहना और बाद
में सत्ता की चमक में खो गए ?
सवाल
है उत्तर खोजना होगा ----धरमलिए
और राज सत्ता को शुद्ध रखने
के लिए |
xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx
जिस
जन गणना में धर्म को लेकर इतनी
हाय तोबा मची है ---और
जो
हिन्दू
ह्रदय सम्राट की बात कर रहे
हैं ---
जो
मुसलमानो को बाहरी बता
रहे
हैं ---
उन्हे
यह जान के ताज्जुब होगा की
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की
1925 में
स्थापना के छ्ह वर्ष पश्चात
भी देश की धर्म के आधार पर हुई
जन गणना में "””हिन्दू
"”””
धरम
का अस्तित्व ही नहीं था !
था
तो बस आर्य धरम और सनातन धरम
का ...........
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