सुप्रीम
कोर्ट गैस पीड़ितो को इलाज़ और
राहत की सुनवाई के लिए हाइ
कोर्ट को विशेस बेंच बनाने
का निर्देश दे रही है ---और
स्वास्थ्य मंत्रालय के नौकरशाह
भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल
अँड रिसर्च सेंटर को खतम करने
का षड्यंत्र कर रही है |
800 करोड़
के ट्रस्ट के फ़ंड को सरकारी
क़ब्ज़े मे लेकर उसे भी समाप्त
करने की तैयारी की जा रही -----
20 लाख
प्रभावितों के इलाज़ के लिए
स्वस्थ्य
मंत्रालय ने सालाना 1
करोड़
रुपए की दवाए खरीदने के आदेश
जारी किए
30 साल
बाद भी क़ैसर और गंभीर बीमारियो
से जूझ रहे स्त्री -
पुरुषो
को वाजिब मुआवजा दिलाने मे
असफल अब नौकरशाह कमजोर राजनीतिक
नेत्रत्व को गुमराह कर इस
''विशिष्ट
अस्पताल को भी ''
सरकारी
अस्पतालो की बदइंतजामी '''
मे
मिलाना चाहते है
जिस
बीएमएचआरसी का निर्माण 250
करोड़
रुपये मे किया गया और जिसके
परिचालन के लिए 800
करोड़
रुपये का फ़िक्स्ड डिपॉज़िट हो
--जिसके
जिससे संस्थान का खर्चा बिना
सरकारी अनुदान के अब तक चल रहा
हो जिस ने
विगत 20
वर्षो
से पीडीतो को ''राहत''
दी
है उन लाखो गरीब लोगो की इस
राशि को समाप्त करने की मुहिम
नौकरशाहों द्वरा चलायी जा
रही
सरकार
उनके ''इलाज़
और राहत तथा पुनर्वास '''
के
लिए मिली धन राशि को अफसर ''बजट
की धनराशि ''
की
तरह खुर्द -
बुर्द
करने की चाल चल रहे है |
कमजोर
राजनेता अफसरो के आगे नत मस्तक
है |वे
अपने मतदाता के हितो की रक्षा
मे असमर्थ है |
बीमा
योजना की घोषणा करती है -----वनही
स्वास्थ्य मंत्रालय भोपाल
गॅस पीडितो के लिए बने ---शोध
केंद्र और अस्पताल को एम्स
मे मिलाने का षड्यंत्र कर रही
है ----
जबकि
सुप्रीम कोर्ट ने प्रभिवितों
के राहत -
पुनर्वास
और चिकित्सा के मामलो की सुनवाई
के लिए उच्च न्यायालय को अलग
पीठ बनाने का आदेश देते हुए
हिदायत दी है की इस बेंच मे
ऐसे जज रखे जाये जिनका "”पर्यापत
सेवा काल हो !
तीस
साल पहले दुनिया की सबसे बड़ी
औद्यगिक त्रासदी ने मध्य
प्रदेश की राजधानी ---भोपाल
को "””
बदनुमा
पहचाना दी थी "”
जिसे
वह आज भी ढो रहा है |
यूनियन
कार्बाइड से 1984
की
दिसंबर तीन को रिसी मिथाईल
आइसो सायनाईट ने अनुमानतः एक
दिन मे 3000
नर
-
नारियो
और बच्चो की जान ली थी |
बाद
मे गॅस के कारण मरने वालो की
संख्या दस हज़ार से भी ज्यादा
हो गयी थी |
घटना
मे मे मारे गए लोगो को मुआवजा
चार साल बाद कंपनी की ओर से
दिया गया |
470 मिलियन
डालर से 5लाख
73
हज़ार
लोगो को मुआवजा दिया गया |
मुक़दमेबाज़ी
आज भी भारत की अदालतों मे चल
रही है-----की
मुआवजा '''नाकाफी''
है
|
मुआवजे
के बाद यूनियन कार्बाइड कंपनी
का अधिग्रहण डाउ जोंस ने कर
लिया |
गैस
प्रभावितो के इलाज़ के लिए
ब्रिटेन के सर परसिवल को एक
सदस्यीय ट्रस्ट का कार्यकारी
बनाया गया |
इस
ट्रस्ट को भोपाल हास्पिटल
ट्रस्ट के नाम से ॥ एम पी पब्लिक
ट्रस्ट 1956
के
तहत पंजीक्र्त किया गया था |
सुप्रीम
कोर्ट 1991
मे
ट्रस्ट को 800
करोड़
प्रदान किए थे |
जिसमे
से 250
करोड़
की लागत से वर्तमान भोपाल
मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च
सेंटर बना |
इस
इतिहास को बताने का तात्पर्य
यह है की बीएमएचआरसी एक स्वायत
शासी निकाय है |
जिसका
प्रबंधन भारत सरकार ने दफ्तरी
आदेश से अपने हाथो मे लेकर
पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल
रिसर्च को फिर स्वास्थ्य
मंत्रालय को सौंप दिया |
सुप्रीम
कोर्ट के आदेश के पूर्व रायपुर
एम्स के डायरेक्टर और भोपाल
एम्स के प्रभारी डॉ नागरकर
ने बताया की बीएचएमआरसी को
भोपाल एम्स मे मिलने की तैयारी
चल रही है |
अब
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के
उपरांत उनके इरादो का क्या
होगा ??
बीएमएचआरसी
जिसे भोपाल हॉस्पिटल ट्रस्ट
चलाता है [[
आज
भी उसी का वैधानिक स्वामित्व
है ]]
के
पास गैस पीड़ेतों के लिए मिले
800 करोड़
रुपये की एक संचित निधि है |
जिस
से अस्पताल मे प्रभावितों का
''मुफ्त
इलाज़ ''
किया
जाता है |
यंहा
कुछ सवाल है जो मौजूदा हाल मे
जवाब चाहते है :-
1--
जब
800
करोड़
रुपये की राशि सिर्फ गैस पीडितो
के ''मुफ्त
इलाज़
के लिए दी गयी थी "”
तब
उसका कानूनन इस्तेमाल
सरकार
अन्य लोगो के इलाज़ के लिए कैसे
कर सकती है ??
2
:- सुप्रीम
कोर्ट द्वरा एक सदस्यीय भोपाल
हॉस्पिटल ट्रस्ट
के
अंतिम सदस्य सुप्रीम कोर्ट
के अवकाश प्राप्त प्रधान
न्यायाधीश
जुस्टिस अहमदी के मौत के बाद
सरकार
और
कोर्ट ने किसी अन्य को क्यो
नहीं नियुक्त किया ??
3:-
गैस
पीड़ेतों के मुआवजे के मामलो
मे केंद्र सरकार ने
नागरिकों
के अधिकार स्वयं हस्तगत कर
लिए थे – और
वादा
किया गया था की प्रभावितों
के उपचार -
पुनर्वास
और
राहत
की ज़िम्मेदारी केंद्र की होगी
,
फिर
अब क्यो नही
ईमानदारी
से लागू किया जा रहा है ??
ये
कुछ सवाल है जिनके उत्तर के
लिए गैस पीडीतो को एक बार फिर
जन आंदोलन करना होगा वरना 30
साल
पहले बहु राष्ट्रीय कंपनी
की '''नालायकी
के कारण 3000
लोगो
की असमय मौत हुई थी और लाखो आज
भी उस पीड़ा को लेकर जी रहे है
| इस
सरकार से न्याय की उम्मीद मत
करना जो नौकरशाहों के इशारे
पर काम करे |
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