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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Jan 22, 2018

एक बार फिर शिवराज सरकार ने सादे तीन लाख अध्यापको की संविलयन की मांग स्वीकार कर के ----क्या दो विधान सभा उप चुनावो को प्रभावित नहीं किया ??

चुनाव आयोग द्वरा मूंगावली और कोलारस विधान सभा सीटो पर चुनाव घोषित किए जाने के बाद आचार संहिता लागू हो जाने से सरकार के इस फैसले को '''प्रभावित करने वाला नहीं माना जाना चाहिए ?'' तथ्य के अनुसार निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार 17 जनवरी को दोनों विधान सभाओ के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी |जिसके अनुसार 24 फरवरी को मतदान और 28 फरवरी को मतगणना होनी है |

लगभग एकमाह से अध्यापक अपनी मांगो को लेकर उद्वलित थे --- सरकार की बेरुखी के विरोध मे दस अध्यापको ने सर का मुंडन सार्वजनिक रूप से कराया था | जिसके उपरांत मीडिया मे सरकार की काफी भद्द पिटी थी | अफसरो ने झल्ला कर फैसला किया था की जिन अध्यापको और अध्यापिकाओ ने अपना मुंडन कराया है -----उनके वीरुध अनुशासनात्मक कारवाई की जाएगी | जिस्मव उनको निलंबिल करने और बर्खास्त करने की कारवाई की जाएगी | परंतु मुख्य मंत्री शिवराज सिंह ने इसको संवेदन शील मुद्दा मानते हुए -----उनकी मांगो को स्वीकार करने का फैसला किया |

अभी तक शिक्षको की भर्ती तीन स्तर // पर की जाती थी | शिक्षा विभाग मे सीधी भर्ती के अलावा स्थानीय निकायो द्वरा संचालित स्कूलो के अध्यापक और आदिम जाति कल्याण विभाग द्वरा की जाती थी | अब 2.75 हज़ार अध्यापको का एक ''संवर्ग'' होगा , तथा उन्हे समान पे स्केल मिलेगा | साथ ही उन्हे राज्य स्तरीय अध्यापको के समान बीमा - अनुकंपा नियुक्ति – बीमा -मेडिकल -पेन्सन की सुविधा मिलेगी | इस फैसले से गुरुजी -शिक्षाकर्मी - शिक्षक आदि सभी पद अब '''अध्यापक '' वर्ग मे विलीन हो जाएंगे | इस फैसले से प्रत्येक अध्यपक को तीन से पाँच हज़ार रुपए प्रतिमाह का लाभ होगा | 1998 मे शिक्षा कर्मियों की भर्ती हुई थी - फिर 2001 मे संविदा शिक्षको की तथा 1 अप्रैल 2007 को अध्यापक संवर्ग बनाया गया | इस फैसले से सरकार के खजाने पर चार अरब रुपये का भार राजकोष पर पड़ेगा |अब शिक्षको का तबादला उनके सुविधानूसार राज्य मे कही भी किया जा सकेगा | सरकार द्वरा माडल स्कूल बनाए जाने की प्रक्रिया मे यह फैसला सहायक होगा |

यह सर्व ज्ञात है की ग्रामीण छेत्रों मे अध्यापको का काफी सम्मान होता है - लोग उनकी बातो को ''ज्ञान '' समझ कर मानते है | अब यही ''संतुष्ट '' वर्ग चुनाव छेत्रों मे सरकार के समर्थन की अपपील करेगा ---ऐसा लोगो का अनुमान है | नगरीय चुनावो तथा चित्रकूट मे सत्ता दल की पराजय सरकार के लिए काफी कष्टकारी थी | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओ की असफलता इन चुनावो मे ड्राष्टिगोचर हुई है | जमीनी स्तरपर पकड़ बनाए रखने के लिए अब सरकार ने मास्टरों का सहारा लिया है |
परंतु सवाल वही है की क्या चुनावो की घोसना के उपरांत इतना बाद फैसला करना क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है ? इसका जवाब सार्थक रूप से चुनाव आयोग अथवा अदालत ही दे सकती है ? तबतक इंतज़ार


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