आगामी
छह सालो मे भारत विश्व की तीसरी
बड़ी अर्थव्यसथा होगी – अंबानी
क्या ऐसा तथ्यात्मक हो
सकता है क्योंकि इसमे जापान
को शामिल नहीं किया गया है ?
यह
कथन प्रधान मंत्री नरेंद्र
मोदी के भाषणो मे किए जा रहे
आश्वासनों का ही एक भाग लग रहा
है |
मोदी
सरकार का कार्यकाल 2019
तक
ही है |
फिलहाल
अभी तो मूडीज़ द्वारा भारतीय
अर्थ व्यसथा को दी गयी रेटिंग
पर ही विवाद है ---
ऐसे
मे किसी उद्योगपति द्वरा
भावी तस्वीर पेश किया जाना
उनकी "”सदिच्छा
"”
ही
काही जा सकती है |
यह
सही है की मुकेश अंबानी की
रिलान्स और जियो कंपनी ऑइल
शोधन और दूर संचार के छेत्र
मे "”एकाधिपत्य
"”
रखती
है |
एवं
उनकी कंपनियो का टर्न ओवर देश
की अर्थ व्यवस्था का एक अहम
भाग है |
परंतु
फिर भी खेती -किसानी
आज भी महत्वपूर्ण भाग है |
ऐसे
मे किसी भी उद्योगपति का
भविष्यवाणी करना अपने उद्योग
के प्रति तो न्यायसंगत और
तथ्यात्मक हो सकता है |परंतु
समस्त देश के लिए यह बताना कुछ
असंगत सा लगता है |
अंबानी
और अदानी समूह गुजरात से
संबन्धित है---
एवं
अनेक प्रोजेक्ट को लेकर काफी
विवाद भी है |
जैसे
"””कावेरी
बेसिन "”
और
अदानी समूह को भारी -
भरकम
कर्ज़ सुलभ कराने मे केंद्रीय
सरकार द्वारा निर्णायक भूमिका
पर भी विवाद एवं विरोध है
|आस्ट्रेलिया
मे कोयले के खनन के प्रोजेक्ट
के लिए स्टेट बैंक द्वरा हजारो
करोड़ का क़र्ज़ सुलभ कराया गया
है ---
उसपर
पर्यावरण को हानि को लेकर
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा
स्थानिक पेड़ -पौधे
और समुद्र के जीवो के विनाश
की आशंका व्यक्त की जा चुकी
है |
आस्ट्रेलिया
के अनेक संगठनो ने इस परियोजना
के विरोध मे प्रदर्शन भी किया
गया है |
गुजरात
कच्छ छेत्र मे भी अदानी समूह
द्वारा भूमि अधिग्रहित किए
जाने से वनहा के मछुवारों को
बहुत मुश्किले आ रही है |
पहले
वे समुद्र मे 5
से
दस मील जा कर पर्याप्त मछली
पकड़ लेते थे |परंतु
अदानी की परियोजना के बाद
समुद्र मे मछलिया दुर्लभ हो
गयी है |
इसलिए
अब मछली पकड़ने के लिए उन्हे
बीस या तीस मील समुद्र के अंदर
जाना पड़ता है |
इसी
प्रकार कावेरी बेसिन से अंबानी
समूह द्वारा इंडियन ऑइल की
साइट से तेल निकालने का विवाद
अभी चल ही रहा है |
नरेंद्र
मोदी की सरकार के पहले यह विवाद
"”पंचाट
"”
के
सामने आ गया था |
चूंकि
दोनों ही पक्ष भारतीय थे इसलिए
इसका निर्धारण भारतीय कानून
और व्यसथा के अंतर्गत होना
था |
परंतु
2015
मे
केंद्र ने इस विवाद को
अंतर्राष्ट्रीय पंचाट को
सौप दिया |
अब
अंबानी की एक साझेदार कंपनी
के विदेश मे स्थित होने से
"”मामले
को अंतराष्ट्रीय रूप दे दिया
गया "””
जिसका
परिणाम यह हुआ जो मामला अपील
मे आगामी पाँच से दस सालो मे
सुप्रीम कोर्ट से अंतिम रूप
से निर्णीत होजाने की आशा थी
------वह
अब अन्न्त काल के लिए उलझा
रहेगा |
जैसे
भारत ---पाक
सीमा विवाद !!!!
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