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All Articles & Concept by:Vijay. K. Tewari

Nov 3, 2017

गुजरात चुनाव हो और हिन्दू -मुस्लिम का ज़िक्र ना हो तो लगता है की कुछ अधूरा रह गया है --- अब सोशल मीडिया पर "”एकमात्र हिन्दू नेता "” का चलन और दावा है |

गुजरात चुनाव हो और हिन्दू -मुस्लिम का ज़िक्र ना हो तो लगता है की कुछ अधूरा रह गया है --- अब सोशल मीडिया पर "”एकमात्र हिन्दू नेता "” का चलन और दावा है |

गुजरात मे विधान सभा के मतदान के दिन ज्यो -ज्यो नियरा रहे है कुछ वीडियो क्लिप सोशाल मीडिया पर अचानक भहरा रहे है | इनमे एक ही टैग लाइन है "” नरेंद्र मोदी अकेला हिन्दू नेता "”” | इस प्रचार से से यह लगता है की जैसे वे भारतीय जनता पार्टी अथवा भारत के प्रधान मंत्री नहीं रह गए ! अथवा दोनों ही पद उनके लिए अब किसी काम के नहीं रह गए | जब की चुनाव प्रचार सभाओ मे सारा बंदोबस्त बदस्तूर प्रधान मंत्री के कारण ही होता है --चाहे वह वाहनो का काफिला हो अथवा सुरक्षा के तीन घेरे हो जिस स्थान पर उन्हे जाना होता है ---उसको चारो ओर से निरापद करने की ज़िम्मेदारी एनएसजी की है |

अब इतने ताम-झाम के बाद अगर प्रचार सिर्फ धर्म विशेस के नेता होने का है --- तब बात गंभीर है | भारत मे सनातनी जिनहे कुछ लोग हिन्दू कहते है ----वैसे ही जैसे इंगलिश भाषा को लोग अङ्ग्रेज़ी भी कह देते है | अब भले ही वह सही नहीं है पर लोगो को समझ मे आ जाती है | अब गणना के अनुसार विश्व मे विभिन्न धर्मो की आबादी इस प्रकार है --32% ईसाई ,,23% इस्लाम , और 15% भिन्न -भिन्न सनमुदाय के सनातनी जिनहे हिन्दू भी कहते है | भारत मे मुस्लिम आबादी कूल 11% है ! शेष मे सिख- - बौद्ध- जैन - -यहूदी और आदिवासी समुदाय है जिनकी उपासना पद्धती पारंपरिक है |
एक अनुमान के अनुसार सनातनी सत्तर प्रतिशत से कुछ अधिक है | इन आंकड़ो के अनुसार क्या हम यह स्वीकार करे की इन सत्तर प्रतिशत के एकमात्र नेता नरेंद्र मोदी है ? अगर हम भारतीय जनता पार्टी को मिले मतो का विश्लेसण करे तो उन्हे मात्र तीस प्रतिशत ही आबादी के मत मिले है _---जिनमे सनातनी - मुसलमान सिख और अन्य धार्मिक समुदायों का भी समर्थन मिला है | अब ऐसे मे उन्हे एकमात्र हिन्दू नेता मानना संभव नहीं है | गुजरात के 18000 से अधिक गावों मे और 200 से अधिक नगरो मे मात्र धर्म के आधार पर राजनीति संभव नहीं |

अब एक दूसरा सवाल किसी भी व्यक्ति की धार्मिक आस्था उसके जीवन काल मे उसके कर्मकांड से नियत होता है | जैसे मुसलमान का मस्जिद मे नमाज़ पड़ने जाना --- सिख द्वरा गुरुद्वारे मे संगत मे शामिल होना -तथा इनके मत के पच मकार इन्हे बिलकुल अलग पहचान देते है | जैसे आजकल मुस्लिम लोग सर पर गोल टोपी लगाए दिखते है | यह सभी समुदायो के सदस्यो की बाहरी पहचान होती है |

परंतु किसी भी व्यक्ति के धर्म का अंतिम निर्धारण उसके स्वर्गवास के बाद होने वाले कर्मकांड से होता है | सनातनी लोगो का अग्नि संस्कार होता है | जबकि इस्लाम और ईसाई के लोगो को धरती मे शरण दी ज़ाती है | पारसी समुदाय मे "शव को टावर ऑफ साइलेंस "” मे रख देते है | दक्षिण भारत के कुछ सनातनी समुदायो मे भी शव को धरती की शरण मे देने की परंपरा है | उधारण स्वरूप तामिलनाडु के मुख्य मंत्री जे जय ललिता और अभी हाल मे कर्नाटक मे गौरी लंकेश {{जो आदि शैव }} थे उन्हे भी जलाया नहीं गया

अब इस टेस्ट पर पारखे तो हम पाएंगे की भारत के सभी प्रधान मंत्रियो की अंतिम क्रिया '''अग्नि संस्कार '' द्वरा ही की गयी थी ?? तो क्या वे सनातनी नहीं थे ? अथवा आम आदमी की मे कहे तो क्या वे हिन्दू नहीं थे ?
यह इस देश का सौभाग्य है की उपासना पद्धती अलग -अलग होने के बावजूद अधिकान्स मत के लोग अग्नि संस्कार के द्वारा ही इस आसार - संसार को अलविदा कहते है |

इन परिस्थितियो मे सवा अरब से अधिक के इस देश का नेत्रत्व क्या लोकतन्त्र मे इतना मजबूर हो गया है की उसे "”स्वयं को धर्म विशेस ''' के नेता की पहचान बनाना पढ रहा है "” इसका क्या अर्थ निकाला जाये ? की अब हम भी धर्म के आधार पर राष्ट्र बनाए ? एकमात्र हिन्दू राष्ट्र नेपाल अब लोकतन्त्र मे बदल गया --- कभी बौद्ध राष्ट्र रहे तिब्बत के '''प्रमुख '' दलाई लामा निर्वासन मे सरकार चला रहे है " | ऐसे मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने बीजेपी से आग्रह किया है की वे ''''तिब्बत की आज़ादी के लिए आंदोलन करे '''' !!! कैटलान ने स्पेन से और इराक़ मे बसे कुर्दो ने जनमत संग्रह द्वारा आज़ादी की घोसना की है | परंतु विश्व स्तर पर उन्हे ''मान्याता"” नहीं मिल रही | इसका अर्थ साफ है की ''छेत्रीयता और धर्म या समुदाय ''' के आधार पर देशो की नयी सीमाए नहीं बनाई जाएंगी |

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